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बिहार: 85 लाख रुपये के लिए मरे हुए बेटे को कर दिया जिंदा, एेसे खुल गई पोल

एक पिता ने अपने मरे बेटे को जीवित बताकर 85 लाख का बीमा करा लिया जिसकी पोल खुलते ही पुलिस हैरान रह गई। मामले का एफआइआर दर्ज कराया गया।

By Kajal KumariEdited By: Published: Sat, 14 Sep 2019 11:21 AM (IST)Updated: Sat, 14 Sep 2019 10:17 PM (IST)
बिहार: 85 लाख रुपये के लिए मरे हुए बेटे को कर दिया जिंदा, एेसे खुल गई पोल
बिहार: 85 लाख रुपये के लिए मरे हुए बेटे को कर दिया जिंदा, एेसे खुल गई पोल

पटना, जेएनएन। वैशाली जिले के भगवानपुर के रहने वाले मृत रणधीर कुमार के नाम पर विभिन्न बीमा कंपनियों से कुल 85.08 लाख रुपये की पॉलिसी कराई गई थी। सभी पॉलिसी 2014 में कराई गईं और सालभर के बाद अलग-अलग तारीख पर बीमा की रकम पाने के लिए कंपनियों में दावे पेश किए गए। हालांकि, आइसीआइसीआइ प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस कंपनी ने ही फर्जीवाड़ा पकड़ा। बाकी की दो कंपनियों से रकम की निकासी हुई या नहीं? इसकी जानकारी के लिए पुलिस उन कंपनियों के अधिकारियों से संपर्क करेगी।

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गांधी मैदान थानाध्यक्ष ने बताया कि फर्जीवाड़ा में आरोपित आइसीआइसीआइ प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के एडवाइजर कृष्ण चंद्र सिंह (बांकीपुर मछियावां, दनियावां) और बीमा की रकम पाने वाले नॉमिनी व मृत रणधीर के पिता राजेंद्र राय की तलाश की जा रही है। 

आइसीआइसीआइ प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के क्षेत्रीय प्रबंधक राणाजीत सिंह बताया कि उनकी कंपनी के एडवाइजर कृष्ण के माध्यम से 23 जुलाई 2014 को रणधीर कुमार के नाम से 30 लाख रुपये का बीमा करने का ऑनलाइन आवेदन भरा गया था। इसके एवज में कंपनी ने पॉलिसी संख्या-18761316 निर्गत की गई। इसके नॉमिनी रणधीर के पिता राजेंद्र राय बनाए गए।

11 अप्रैल 2016 को राजेंद्र राय द्वारा बीमे की रकम पाने के लिए दावा पेश किया गया, जिसमें बताया गया कि तीन फरवरी 2015 को बीमित रणधीर कुमार की बिजली का झटका लगने से मौत हो गई। बीमित व्यक्ति का मृत्यु प्रमाणपत्र भी कंपनी को उपलब्ध कराया गया। कंपनी को जब मालूम हुआ कि बीमित व्यक्ति की मौत पॉलिसी लेने के छह माह 12 दिन बाद हो गई, तब आंतरिक जांच कराई गई।

जांच में पता चला कि रणधीर कुमार की मौत 14 जुलाई 2010 को हो चुकी है। मौत का कारण बिजली का झटका लगना ही है। यह भी पता चला कि साजिश के तहत रणधीर कुमार के नाम से 2014 में चार जून और छह जून को श्रीराम लाइफ, 16 जुलाई को एचडीएफसी एवं फ्यूचर जनरल कंपनियों से बीमा कराया गया। इसके बाद आइसीआइसीआइ प्रूडेंशियल में बीमा कराया। आरोपों से जुड़े दस्तावेजों को एकत्रित करने के बाद प्रबंधक ने मुकदमा कराया।


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