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बेटी की खुशियों के लिए पिता का झुकता है सिर

रवींद्र भवन के प्रेक्षागृह में कलाकारों की उम्दा प्रस्तुति हो रही थी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 10 Nov 2019 11:52 PM (IST)Updated: Sun, 10 Nov 2019 11:52 PM (IST)
बेटी की खुशियों के लिए पिता का झुकता है सिर

पटना। रवींद्र भवन के प्रेक्षागृह में कलाकारों की उम्दा प्रस्तुति हो रही थी। कलाकार अपने हास्य-व्यंग्य से भरे अभिनय से दर्शकों को लोटपोट करने में लगे थे। बिहार की लोक गाथाओं पर आधारित लोक नौटंकी शैली की प्रस्तुति को दर्शक सराह रहे थे। मौका था रवींद्र परिषद व प्रांगण नाट्य-संस्था की ओर से रविवार को अरुण सिन्हा लिखित एवं वरिष्ठ रंगकर्मी अभय सिन्हा के निर्देशन में 'फूल-नौटंकी विलास' की प्रस्तुति का। संवाद प्रस्तुति 'अगर इतना ही वीर हो तो नौटंकी से ब्याह करके दिखाओ' ये संवाद सुनकर दर्शक खूब आनंदित हुए।

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घर छोड़ने पर विवश हो जाता है फूल सिंह -

यह नाटक निम्न जाति का एक योद्धा फूल सिंह और पड़ोसी राज्य की राजकुमारी नौटंकी की प्रेम कहानी है। एक बार फूल सिंह नट और नटी से प्रेम नगर की राजकुमारी नौटंकी की प्रशंसा सुनकर नौटंकी को देखने के लिए व्याकुल हो जाता है। राजकुमारी नौटंकी राजा हरिसिंह की इकलौती संतान है। वह बेटी के स्वयंवर के बहाने युवकों को तरह-तरह की सजा देता है। राजकुमारी राजा के साथ स्वयंवर में निकलती है तो शादी के इच्छुक युवक राजमार्ग की दोनों ओर खड़े हो जाते हैं। राजा के अनुसार राजकुमारी को देखने वाले युवकों को मौत की सजा दी जाती है। ऐसे में राजकुमारी रथ से ही युवकों पर ईट-पत्थर फेंकती है। इसी बीच फूल सिंह चोरी-चुपके राजकुमारी को देख लेता है, वही पत्थर की मार से परहेज नहीं करता और लहूलुहान हो जाता है। वह राजकुमारी की सुंदरता पर फिदा हो जाता है। वह स्त्री रूप धारण कर महल में प्रवेश करता है और राजकुमारी की सहेली बनने में सफल हो जाता है। एक दिन नौटंकी फूल सिंह से बोलती है कि तुम अगर पुरुष होती तो तुमसे शादी कर लेती। फूल सिंह अपनी चालाकी दिखाते हुए राजकुमारी से कहता है कि तुम तीन बार यही शब्द बोलोगी तो मैं शाप मुक्त हो जाऊंगा। राजकुमारी को बोलने के बाद फूल सिंह पुरुष रूप में आता है। इसके बाद दोनों के बीच प्रेम आरंभ होता है। सच्चाई जानने पर राजा उसे मौत की सजा देने का आदेश जारी करता है, लेकिन राजकुमारी अपने प्रेमी को बचा लेती है। अपनी पुत्री की खुशी के लिए पिता का सिर झुक जाता है।

मंच पर कलाकार -

अरविंद कुमार, अर्पिता घोष, संजय सिंह, शांति प्रिया, सोमा चक्रवर्ती, प्रीति कुमारी, इतु घोष, प्रीति शर्मा, अमिताभ रंजन, आतिश कुमार, संजय कुमार, आशुतोष कुमार, गिरीश मोहन, ओम प्रकाश आदि ने प्रस्तुति दी।


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