घर बनाने भर जमीन सभी को मिल जाएगी, गांधीवादी विचारक ने बिहार सरकार को सुझाया रास्ता
वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत अब तक देश के विभिन्न राज्यों में 30 लाख से अधिक लोगों को लगभग दो से तीन एकड़ जमीन मुहैया कराई गई है। खासकर मध्य प्रदेश एवं झारखंड में सबसे ज्यादा वन अधिकार कानून के तहत लोगों को जमीन मिल रही है।
पटना, जागरण संवाददाता। Bihar Land Allotment Policy: बिहार में भूदान आंदोलन के दौरान सरकार को चालीस लाख एकड़ जमीन मिली थी, जिसमें सरकार आधी जमीन ही बांट पाई है। शेष जमीन बांटने की जरूरत है। भूदान की शेष बीस लाख एकड़ जमीन बांट दी जाए तो प्रदेश के बहुत से भूमिहीन लोगों को कम से कम घर बनाने के लिए जमीन मिल सकती है। राज्य में लाखों लोग हैं, जिन्हें घर बनाने के लिए जमीन नहीं मिल रही है। इसकी चिंता सरकार को करनी होगी। उक्त बातें सोमवार को दैनिक जागरण से बातचीत में प्रसिद्ध गांधीवादी एवं भूमि सुधार के लिए देशभर में आंदोलन चलाने वाले पीवी राजगोपाल ने कहीं। वे रविवार को एएन सिन्हा सामाजिक अध्ययन संस्थान में आयोजित एकता परिषद के कार्यक्रम में भाग लेने पटना आए थे।
मध्य प्रदेश और झारखंड गरीबों को जमीन देने में सबसे आगे
बातचीत में उन्होंने कहा कि वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत अब तक देश के विभिन्न राज्यों में 30 लाख से अधिक लोगों को लगभग दो से तीन एकड़ जमीन मुहैया कराई गई है। खासकर मध्य प्रदेश एवं झारखंड में सबसे ज्यादा वन अधिकार कानून के तहत लोगों को जमीन मिल रही है।
- भूदान की पूरी जमीन बांट दी जाए तो बेघर नहीं रहेंगे भूमिहीन
- पीवी राजगोपाल बोले- अभी तक आधी बांट पाई है सरकार
जमीन विवाद एक जटिल मसला, टालती जा रही हैं सरकारें
उन्होंने कहा कि जमीन विवाद एक जटिल मामला है। सरकारें इसे टालती जा रही हैं। इससे समस्या और गंभीर हो रही है, अगर सरकार इस समस्या को गंभीरता से ले तो कई सामाजिक संगठन भी सहयोग करने को तैयार हो सकते हैं। सबसे पहले जमीन विवाद का दूर करने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित करने की जरूरत है। इसमें अवकाश प्राप्त न्यायाधीशों की सेवा ली जा सकती है। जमीन विवाद दूर होते ही कई सामाजिक समस्याएं दूर हो जाएंगी।