Exclusive interview: जंगलराज का ही चेहरा हैं तेजस्वी यादव, सबको याद है बिहार ने क्या झेला है : डॉ संजय जायसवाल
दैनिक जागरण के विशेष संवाददाता ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ जायसवाल से चुनावी समीकरण नफा-नुकसान और एनडीए का चुनावी मुद्दा विकास से भटककर जंगलराज पर केंद्रित होने पर खास बातचीत की। जिसका जवाब डॉ जायसवाल ने विस्तार से दिया । प्रस्तुत है इंटरव्यू के मुख्य अंश
विधानसभा चुनाव में पहले चरण का मतदान संपन्न हो चुका है। स्थानीय समीकरण और एग्जिट पोल के आधार पर दलों ने पहले चरण में हुए नफा-नुकसान की भरपाई दूसरे और तीसरे चरण में करने की रणनीति में ताकत झोंक रखी है। दैनिक जागरण के विशेष संवाददाता रमण शुक्ला ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल से चुनावी समीकरण पर लंबी बातचीत की। पेश है प्रमुख अंश :
सवाल- पहले चरण का मतदान खत्म हो गया। आप सबकी मेहनत कितनी सफल हुई। पहली लड़ाई में एनडीए कितनी सीटें जीत रही है?
जवाब :: देखिए पहले चरण की 71 सीटों पर मतदान हुआ है, एनडीए 50 से 55 सीटें जीत रही है। जमीनी आकलन और चुनावी सभाओं में मिल रहे जनसमर्थन से तय है कि प्रचंड बहुमत से एनडीए की सरकार बनेगी।
सवाल : राजद में तेजस्वी ने अकेले मोर्चा संभाल रखा है, जबकि भाजपा में 36 स्टार प्रचारक पसीना बहा रहे हैं। क्यों इतनी मेहनत करनी पड़ रही है?
जवाब : भाजपा लोकतांत्रिक पार्टी है। हर कार्यकर्ता नेता है। सबसे ऊपर है। यही वजह है कि नरेंद्र मोदी जैसे अतिपिछड़े समाज के कार्यकर्ता को पार्टी ने प्रधानमंत्री जैसे शीर्ष पद पर सुशोभित किया। राष्ट्रपति के पद पर रामनाथ कोविंद जैसे संगठन गढऩे वाले कार्यकर्ता हैं। भाजपा में व्यक्ति नहीं, पार्टी व राष्ट्र सर्वोपरि है। राजद में उलटा है। लालूजी के लिए परिवार सबसे पहले है। तेजस्वी यादव ने लालूजी से आगे बढ़कर पार्टी ही नहीं, परिवार में सबको पीछे धकेल कब्जा कर लिया है। यही वजह है कि किसी नेता, पार्टी पदाधिकारी को प्रचार का मौका नहीं दे रहा है। जिसने पार्टी और परिवार में सबको पीछे धकेल दिया, वह प्रदेश को क्या आगे बढ़ाएगा?
सवाल : पार्टी में बगावत चरम पर है। पहली बार रिकॉर्ड संख्या में पार्टी पदाधिकारी, नेता और कार्यकर्ताओं कार्रवाई करनी पड़ रही है, वजह?
जवाब : देखिए, हर व्यक्ति को टिकट का अधिकार है। सभी पार्टी के लिए ही तो काम कर रहे हैं। जो पार्टी के लिए काम करता है, वह सेवा को और विस्तार देना चाहता है। जनप्रतिनिधि बनकर वह और काम कर सकता है। भाजपा जब किसी को टिकट दे देती है तो सारी बातें खत्म हो जाती हैं। नेता-कार्यकर्ता उनके लिए काम करने लग जाते हैं। पार्टी की यही खूबसूरती है कि नेता बागी हो सकते हैं, कार्यकर्ता-समर्थक नहीं।
सवाल : आखिर क्या मजबूरी है कि राष्ट्रीय स्तर पर एनडीए से लोजपा को भाजपा बाहर नहीं कर रही है।
जवाब : लोजपा एनडीए में रहते हुए झारखंड और अन्य राज्यों में अकेले चुनाव लड़ चुकी है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। हां, जहां तक घोषणा के बावजूद चिराग ने भाजपा के खिलाफ प्रत्याशी उतारा है, तो इसका जवाब तो वही दे सकते हैं। हर निर्णय चिराग स्वयं कर रहे हैं। भाजपा ने आखिरी समय तक उन्हें मौका दिया, लेकिन बात नहीं बनी।
सवाल : एनडीए का चुनाव प्रचार विकास से भटक कर जंगलराज की ओर क्यों केंद्रित हो गया है?
जवाब : ऐसी बात नहीं है। विकास, सुशासन और आत्मनिर्भर बिहार एनडीए का पहला लक्ष्य है। जंगलराज का सवाल है तो राजद की सरकार में 1995 से 2005 तक डेढ़ दशक में बिहार ने क्या-क्या झेला है, नई पीढ़ी को बताना जरूरी है। तेजस्वी जंगलराज के चेहरा हैं। लालू-राबड़ी के शासनकाल में जो कुछ हुआ, वह किसी से छुपा नहीं है? 15 वर्षों में महज दो डॉक्टर को सरकारी नौकरी मिली। वह भी यादव थे। राजद के डेढ़ दशक का इतिहास बताना जरूरी है कि कितने उद्योगपति, व्यवसायी और डॉक्टर का अपहरण हुआ। कितना भ्रष्टाचार हुआ। कितने महत्वपूर्ण लोगों की हत्याएं हुईं, किस तरह अपराधी को संरक्षण मिला था। कैसे बेरोजगारी और पलायन बढ़ा। लाखों कारोबारी बिहार छोड़कर क्यों लोग भागने को मजबूर हुए। रंगदारी और लेवी के डर अच्छे-अच्छे डॉक्टर बिहार छोड़कर भाग गए।
सवाल : विपक्ष को कितना मजबूत मानते हैं?
जवाब : विपक्ष लड़ाई में कहीं नहीं है। पांच-पांच मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं। विपक्ष केवल भ्रम फैलाने का प्रयास कर रहा है। कोई मुद्दा नहीं है। चुनाव परिणाम का इंतजार कीजिए।