एमपी के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह को मिली जमानत
मानहानि के एक मामले में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह ने शुक्रवार को अदालत में सरेंडर कर दिया।
पटना। मानहानि के एक मामले में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह ने शुक्रवार को अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया। उनकी ओर से अदालत में नियमित जमानत आवेदन दायर किया गया। उनके खिलाफ अदालत ने 3 अक्टूबर को गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। अदालत के आदेश का पालन नहीं करने पर अदालत ने सिंह के बंधपत्र को रद करते हुये अभियुक्त को गिरफ्तार करने का आदेश दिया था। एमपी-एमएलए के विशेष न्यायाधीश परशुराम सिंह यादव ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अभियुक्त को जमानत दे दी।
अभियुक्त दिग्विजय सिंह की ओर से कहा गया कि वे मध्यप्रदेश चुनाव में पार्टी के प्रभारी हैं जिस कारण उनकी व्यस्तता बढ़ी हुई है। उन्हें यह पता नहीं था कि उनके खिलाफ चल रहा मुकदमा हाजीपुर सिविल कोर्ट से पटना की विशेष अदालत में ट्रायल के लिये भेज दिया गया था। अभियुक्त मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। अभी वे सांसद हैं। आगे अदालत के आदेश का पालन करते रहेंगे।
सिंह गुरुवार को भी अदालत में आत्मसमर्पण करने आये थे लेकिन अधिवक्ता एजाजुल हक की असमय मृत्यु के कारण शोकाकुल अधिवक्ताओं ने अपने को न्यायिक कार्य से अलग रखा था। इस कारण सिंह को लौटना पड़ा। सूत्रों के अनुसार इंदौर में अभियुक्त ने 5 अगस्त 2012 को सार्वजनिक तौर पर कहा था कि योग गुरु बाबा रामदेव अपराधी प्रवृति के हैं। इस पर उनके एक अनुयायी गिरीनाथ सिंह ने 7 अगस्त 2012 को दिग्विजय सिंह के खिलाफ हाजीपुर सिविल कोर्ट में एक मुकदमा दायर किया। अदालत ने इस पर 26 अक्टूबर 2016 को संज्ञान लिया था।
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नकली नोट मामले में चार दोषी करार
पटना : नकली रुपये के साथ पकड़े जाने के मामले में एनआइए के विशेष जज मनोज कुमार सिन्हा ने झारखंड के रामगढ़ इलाके के जुज्जु निवासी अफरोज अंसारी, बिहार के नवादा जिले के कादिरगंज के कबीर खान उर्फ सन्नी कुमार उर्फ सुजीत उर्फ सन्नी साव उर्फ अकबर, पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के बेसनोनगर थाना क्षेत्र के मोहनपुर के असराफुल आलम और आलमगीर शेख को दोषी पाया। अफरोज कबीर का रिश्ते में साला बताया गया है।
एनआइए के सूत्रों के अनुसार कबीर के खिलाफ अनेक तरह के अपराध के लिये करीब 22 मुकदमे चल रहे हैं। अदालत 11 अक्टूबर को सजा सुनायेगी। अदालत आतंकवादी निरोधक अधिनियम की अनेक धाराओं व आइपीसी की विभिन्न धाराओं में दोषी पाया। एनआइए की ओर से विशेष लोक अभियोजक ललन प्रसाद सिन्हा और मनोज कुमार सिंह ने बहस किया। राजस्व निदेशालय के गुप्तचर विभाग ने गुप्त सूचना के आधार पर रकसौल स्थित रामगढ़वा रेलवे क्रॉसिंग के पास से 19 सितम्बर 2015 को अभियुक्त अफरोज के पास से उच्च गुणवता वाला 5 लाख 94 हजार रुपये का जाली नोट बरामद किया था। बाद में सरकार ने 23 दिसम्बर 2015 को जांच के लिये इसे एनआइए को सौंप दिया। एनआइए ने पहला आरोप पत्र 22 जुलाई 2016 को आरोपितों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया। मामले में कुल दस आरोपित बनाये गये। बकिये छह के खिलाफ ट्रायल अलग से चल रहा है। सूत्रों के अनुसार इन 6 में से दो पर आरोप पत्र दायर हो चुका है। अन्य दो सरकारी गवाह बन गये हैं। एक को एनआइए ने 2 जून को गिरफ्तार किया था। एक अभी फरार चल रहा है। बताया जाता है आरोपित लोग एक बड़ा गिरोह बनाये हुये हैं। जांच में एनआइ ने पाया कि जाली नोट पाकिस्तान में छपता है और ये लोग बंगलादेश के रास्ते भारत बांग्लादेश बॉर्डर से जाली नोट भारत लाते हैं।