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जदयू व रालोसपा में सब कुछ ठीक नहीं, कुशवाहा वोटों को ले शुरू हुई खींचतान

बिहार में जदयू और रालोसपा में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। जदयू के फिर से एनडीए का हिस्सा होने के बाद कुशवाहा समुदाय के वोट को लेकर दोनों में खींचतान जारी है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Thu, 01 Feb 2018 09:35 AM (IST)Updated: Thu, 01 Feb 2018 07:19 PM (IST)
जदयू व रालोसपा में सब कुछ ठीक नहीं, कुशवाहा वोटों को ले शुरू हुई खींचतान
जदयू व रालोसपा में सब कुछ ठीक नहीं, कुशवाहा वोटों को ले शुरू हुई खींचतान

पटना [राज्य ब्यूरो]। कुशवाहा मतदाताओं को रिझाने के लिए जदयू और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) का पिछले कुछ वर्षों से प्रयास जारी है। जदयू के फिर से राजग का हिस्सा होने के बाद भी यह खींचतान जारी है। दोनों दलों ने इस वर्ष भी कुशवाहा समुदाय के प्रति अपना लगाव दर्शाने को शहीद जगदेव प्रसाद की जयंती बड़े पैमाने पर अलग-अलग ही आयोजित करने का फैसला किया है।

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दो फरवरी को आयोजित इस कार्यक्रम की तैयारी में दोनों दल लगे हैं। वहीं, मुख्य विपक्षी दल राजद अपने कार्यालय में जयंती समारोह का आयोजन करेगा। राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी के मुताबिक, पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता मौजूद रहेंगे। 

जदयू की ओर से पार्टी के राज्य कार्यकारिणी सदस्य नंदकिशोर कुशवाहा रवींद्र भवन में जयंती समारोह का आयोजन कर रहे हैं। कार्यक्रम का उद्घाटन जदयू के राष्ट्रीय महासचिव आरसीपी सिंह करेंगे, जबकि मुख्य अतिथि के रूप में जल संसाधन मंत्री ललन सिंह मौजूद रहेंगे।

दूसरी ओर, कुशवाहा महासभा की ओर से श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित शहीद जगदेव जयंती समारोह का उद्घाटन रालोसपा के अध्यक्ष एवं केंद्रीय मानव संसाधन राज्यमंत्री उपेंद्र कुशवाहा करेंगे। रालोसपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता फजल इमाम मलिक ने बताया कि जयंती समारोह में जगदेव प्रसाद के पुत्र नागमणि सहित पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता मौजूद रहेंगे। 

दीगर है कि जगदेव प्रसाद की हत्या अरवल के कुर्था प्रखंड में 5 सितंबर, 1974 को कर दी गई थी। कुशवाहा समुदाय से ताल्लुक रखने वाले जगदेव प्रसाद ने सामाजिक न्याय के लिए आंदोलन छेड़ रखा था। उनका मानना था कि सौ में नब्बे शोषित हैं।

उनका नारा था- 'दस का शासन  नब्बे  पर, नहीं चलेगा-नहीं चलेगा।' उनका यह नारा भी बहुत चर्चित रहा था- 'गोरी कलाई कादो में, अबकी बार भादो में।' इस नारे से उनका तात्पर्य था कि गरीब महिलाएं खेतों में बोआई का काम नहीं करेंगी। संभ्रांत परिवार की महिलाओं को ही यह काम खुद से करना होगा।


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