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राज्य की शहरी आबादी का हर चौथा व्यक्ति मधुमेह का शिकार

सूबे की शहरी आबादी का हर चौथा व्यक्ति मधुमेह से पीड़ित है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 29 Oct 2017 01:29 AM (IST)Updated: Sun, 29 Oct 2017 01:29 AM (IST)
राज्य की शहरी आबादी का हर चौथा व्यक्ति मधुमेह का शिकार
राज्य की शहरी आबादी का हर चौथा व्यक्ति मधुमेह का शिकार

पटना । सूबे की शहरी आबादी का हर चौथा व्यक्ति मधुमेह से पीड़ित है। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में हर दसवां व्यक्ति मधुमेह रोग की चपेट में है। मधुमेह की बीमारी राज्य में तेजी से पांव पसार रही है। बीमारी के शिकार एक तिहाई मरीजों को इंसुलिन का इंजेक्शन लेना पड़ रहा है। ये बातें शनिवार को राजधानी में आयोजित मधुमेह विशेषज्ञों के सम्मेलन में रिसर्च सोसाइटी फॉर द स्टडी ऑफ डायबिटीज इन इंडिया (आरएसएसडीआइ) के बिहार शाखा के अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार ने कहीं।

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डॉ. कुमार ने कहा कि मधुमेह की बीमारी को केवल दवाओं से नहीं रोका जा सकता है, बल्कि इसके लिए लोगों को जागरूक करना बहुत जरूरी है। हर व्यक्ति को कम से कम चार से पांच किलोमीटर टहलना जरूरी है। इसके अलावा योगाभ्यास से भी मधुमेह के मरीजों को लाभ मिल सकता है। सम्मेलन का उद्घाटन पद्मश्री डॉ. एसएन आर्या ने किया।

4000 लोगों पर हुआ रिसर्च

डॉ. अजय कुमार ने कहा कि इस रिसर्च में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मानकों के अनुसार राज्यभर से 4000 से अधिक लोगों को शामिल किया गया था। इसमें शहरी एवं ग्रामीण दोनों इलाकों के लोग शामिल थे।

नियंत्रित जीवनशैली अपनाने की जरूरत

मुंबई से आए डॉ. दीपक जुमानी ने कहा कि मधुमेह लोगों की जीवनशैली से जुड़ी बीमारी है। जीवनशैली में सुधार लाकर बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है। बिना नियंत्रण के मधुमेह पर लगाम लगाना काफी मुश्किल है। उन्होंने कहा कि मधुमेह की बीमारी बढ़ने पर दवाओं का खर्च काफी बढ़ जाता है।

मधुमेह का हार्ट, किडनी और आंखों पर सर्वाधिक असर

कोलकाता से आए मधुमेह रोग विशेषज्ञ डॉ. अवधेश कुमार सिंह ने कहा कि मधुमेह का सर्वाधिक असर हार्ट, किडनी व आंखों पर पड़ रहा है। इसकी चपेट में बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक आ रहे हैं। युवाओं को भी मधुमेह रोग तेजी से अपनी चपेट में ले रहा है।

40 के बाद नियमित हो रक्त की जांच

डॉ. आनंद शंकर ने कहा कि 40 वर्ष की आयु के बाद हर व्यक्ति को प्रति वर्ष रक्त की जांच करानी चाहिए। जैसे ही मरीज को मधुमेह होने के संकेत मिलें, मरीज को सावधान हो जाना चाहिए। उसके बाद खान-पान से लेकर जीवनशैली में सुधार कर लेना चाहिए। समारोह में आए अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापन संगठन के कोषाध्यक्ष डॉ. शैबाल गुहा ने दिया। इस अवसर पर डॉ. एचके सिंह, डॉ. संतोष कुमार ंिसह, डॉ. सतीश चंद्र झा सहित कई लोगों ने भाग लिया। उक्त सम्मेलन रविवार को भी जारी रहेगा। सम्मेलन में दूसरे दिन मधुमेह के उपचार की नई तकनीकों पर चिकित्सकों के बीच विचार-विमर्श होगा।


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