पटना में 12 हजार जलस्रोतों पर अतिक्रमण, 31 तक होगा सफाया
अतिक्रमण हटाने के पीछे राजेंद्रनगर में हुए जलजमाव का कारण तो महज एक कारण है।
पटना। अतिक्रमण हटाने के पीछे राजेंद्रनगर में हुए जलजमाव का कारण तो महज एक कारण है। असल में 'जल, जीवन और हरियाली मिशन' के तहत राज्य सरकार ने परंपरागत आहर, पईन, तालाब, जलाशय और नदी-नाले को अतिक्रमणमुक्त करने के लिए 31 दिसंबर तक मोहलत दी है। मंगलवार से पटना जिले के सभी 23 प्रखंडों में जलस्रोतों पर अवैध कब्जा तोड़ने का अभियान शुरू हो जाएगा।
पटना जिले में अबतक करीब 12 हजार जलस्रोतों की पहचान की गई है जिन पर स्थायी और अस्थायी अतिक्रमण है। सभी अंचल पदाधिकारियों को अतिक्रमण तोड़ने की वैधानिक शक्ति दी गई है। अतिक्रमण की पहचान कर मुकदमा चलाने और फैसले के अनुसार तोड़ने की शक्ति सीओ में निहित की गई है।
पटना में 29.8 किलोमीटर लंबे बादशाही नाले पर प्रथम चरण में अतिक्रमण हटाने का अभियान शुरू किया गया जिसमें फुलवारीशरीफ, पटना सदर और संपतचक अंचल का हिस्सा है। दानापुर में लेखानगर इलाके में स्थायी अतिक्रमण तोड़ने का कार्य शुरू कर दिया गया है। मंगलवार से जिले के सभी अंचलों में आहर, पईन, नहर, तालाब सहित अन्य जलाशयों को अतिक्रमणमुक्त करने का अभियान आरंभ कर दिया जाएगा।
जिले में छह अनुमंडल हैं। पटना सदर, पटना सिटी, बाढ़, दानापुर, मसौढ़ी और पालीगंज के अनुमंडल पदाधिकारी को अतिक्रमण हटाने के लिए पर्याप्त संख्या में दंडाधिकारी, पुलिस पदाधिकारी और पुलिस बल का प्रबंध कराने का निर्देश दिया गया। अवैध कब्जा हटाने के दौरान शांति भंग नहीं हो इसके लिए सभी आवश्यक तैयारी की गई है। अनुमंडल के भूमि सुधार उप-समाहर्ता को अवैध निर्माण तोड़ने का निर्देश दिया गया है।
: तोड़ने का खर्च वसूलेगी सरकार :
अंचलाधिकारी द्वारा जलस्रोत पर अतिक्रमण की मापी के बाद निशान लगाना है। निशान लगने के बाद यदि खुद से अवैध कब्जा नहीं हटाया गया तो प्रशासन तोड़ने पर आने वाले खर्च को भी वसूल करेगा।
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