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मिशन 2019: बिहार में बदले दल व दिल, दिलचस्‍प होता दिख रहा चुनावी मुकाबला

अागामी लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार में गठबंधनों में आवाजाही लगी हुई है। चुनावी नतीजे हालिया हैसियत के मुताबिक आएगा, यह तय है। जानकारी के लिए पढ़ें यह खबर।

By Amit AlokEdited By: Published: Mon, 24 Dec 2018 09:43 AM (IST)Updated: Mon, 24 Dec 2018 12:53 PM (IST)
मिशन 2019: बिहार में बदले दल व दिल, दिलचस्‍प होता दिख रहा चुनावी मुकाबला
मिशन 2019: बिहार में बदले दल व दिल, दिलचस्‍प होता दिख रहा चुनावी मुकाबला

पटना [अरविंद शर्मा]। राजनीति में दो और दो चार का फार्मूला अक्सर फेल हो जाता है। पिछले चुनावों के प्रदर्शन के आधार पर किसी खेमे की हालिया हैसियत और संभावनाओं का सटीक आकलन संभव नहीं होता, लेकिन अनुमान और आकलन तो चलता ही रहता है। बिहार में कुछ दल इधर से उधर चले गए तो कुछ उधर से इधर आए हैं। जाहिर है, महीने भर बाद जब दोनों गठबंधन चुनाव के मैदान में आएंगे तो खेल नए तरीके से होगा और नतीजा भी हालिया हैसियत के मुताबिक ही आएगा।

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दिलचस्‍प होगा मुकाबला

इस बार भाजपा को जदयू जैसा पूर्व से आजमाया हुआ दोस्त मिला है, तो जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा ने भी पाला बदलकर महागठबंधन के सामाजिक दायरे में इजाफा किया है। किस मोर्चे की ताकत कितनी बढ़ी है, यह तो वक्त बताएगा, किंतु पिछले परिणाम के आईने में देखने पर साफ होता है कि दोनों गठबंधनों में मुकाबला दिलचस्प होगा।

महागठबंधन के पास 34.71 फीसद वोट की ताकत

पिछला लोकसभा चुनाव में राजद ने 27 सीटों पर प्रत्याशी उतारा था। उसे कुल 20.46 फीसद वोट मिले थे। चार प्रत्याशी जीते भी थे। एक दर्जन सीटों पर लड़कर कांग्रेस ने 8.56 फीसद वोट के साथ दो सीटें निकाली थी। एनसीपी की झोली में कटिहार की सीट आई थी। उसका वोट फीसद 1.2 था। भाजपा के साथ गठबंधन में रालोसपा को तीन फीसद वोट के साथ तीन सीटें भी मिली थीं। भाकपा, माकपा और माले को प्राप्त वोटों को अगर जोड़ लिया जाए तो पिछले प्रदर्शन के आधार पर महागठबंधन के पास 34.71 फीसद वोट की ताकत है।

52 फीसद वोट के साथ निर्णायक स्थिति में राजग

अतीत की हैसियत के मुताबिक वोट प्रतिशत में राजग आगे खड़ा दिख रहा है। 2014 में भाजपा को 29.86 फीसद वोट और 22 सीटें मिली थी। लोजपा को 6.50 फीसद वोट और छह सीटें मिली थी। अलग लड़कर जदयू ने 16.04 फीसद वोट प्राप्त किया था। उसे दो सीटें मिली थी। इस तरह राजग की हैसियत का इतिहास 52 फीसद वोट के साथ निर्णायक स्थिति में दिख रही है।

अबकी लड़ाई एकतरफा नहीं

अबकी लड़ाई एकतरफा नहीं है। गुणा-गणित भी पहले की तरह नहीं है। पांच साल पहले मांझी और शरद यादव की पार्टी का अस्तित्व नहीं था। दोनों जदयू की ताकत में शामिल थे। अब छिटककर महागठबंधन के साथ हैं। दूसरी तरफ रालोसपा का आधार भी अबकी राजग से अलग हो गया है। हम को पिछले विधानसभा चुनाव में 2.3 फीसद और रालोसपा को 2.6 फीसद वोट वोट मिले थे। भाजपा से अलग चलने वाली बसपा ने भी 2.17 फीसद वोट लाए थे। राजग को इस पेंच से भी पार पाना होगा।

2014 के लोकसभा चुनाव में मिले वोट (फीसद में)

राजग : वोट

- भाजपा : 29.86

- लोजपा : 6.50

- जदयू : 16.04

(कुल : 52.04)

महागठबंधन : वोट

- राजद : 20.46

- कांग्रेस : 8.56

- रालोसपा : 3.00

- एनसीपी : 1.22

- भाकपा : 1.17

- माकपा : 0.30

(कुल : 34.71)


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