मनचले पति ने कोर्ट में कहा-पत्नी खुश नहीं रखती, तलाक चाहिए, उल्ट पड़ गया दांव, जानिए
पति को अपनी पत्नी के खिलाफ झूठा मुकदमा दायर करना महंगा पड़ा। कोर्ट ने पति पर आठ लाख का जुर्माना लगाया है।
पटना [जेएनएन]। तथ्य छिपाकर झूठा और मनगढंत मुकदमा पत्नी के खिलाफ लाने वाले पति को तब महंगा पड़ा जब मामले की सुनवाई करते हुए बेगूसराय परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश अजय कुमार श्रीवास्तव ने आठ लाख रुपये पति पर जुर्माना लगाते हुए उसके द्वारा कोर्ट में लाए गए पूरे मामले को खारिज कर दिया।
मालूम हो कि बरौनी थाना क्षेत्र के हरिपुर निवासी जनार्दन सिंह के पुत्र राजेंद्र पुरुषोत्तम जो दिल्ली नगर निगम क्षेत्र में शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं, उन्होंने अपनी पत्नी रानू कुमारी के खिलाफ झूठा मनगढंत आरोप लगाते हुए दिल्ली की अदालत में विवाह विच्छेद का मुकदमा लाया।
रानू सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए दिल्ली की अदालत से मुकदमे की सुनवाई बेगूसराय की अदालत में करने की मांग की। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी बात को मानते हुए बेगूसराय परिवार न्यायालय में सुनवाई के लिए मामले को स्थानांतरित कर दिया।
वाद संख्या 118/15 में राजेंद्र पुरुषोत्तम ने बताया कि पहसारा निवासी गणेश प्रसाद सिंह शिक्षक की पुत्री रानू कुमारी के साथ 20 नवंबर 2001 को शादी हुई थी। शादी के उपरांत पत्नी द्वारा क्रूरतापूर्ण व्यवहार के साथ मधुर दाम्पत्य संबंध नहीं बनाने के कारण यह मुकदमा दाखिल किया हूं।
विदित हो कि 26 मई 2013 को रानू को घर से भगा दिया गया। तब रानू ने इस मामले में अपना जवाब देते हुए मुकदमा में न्याय पाने के लिए संघर्ष करने लगी। बेगूसराय के प्रधान न्यायाधीश अजय कुमार श्रीवास्तव इस मामले की गंभीरता को देखते हुए सुनवाई प्रारंभ की।
आवेदक राजेंद्र पुरुषोत्तम अधिवक्ता प्रभाकर वर्मा ने पति की ओर से अदालत में अपना पक्ष रखा। जबकि विपक्षी रानू कुमारी के अधिवक्ता अखिलेश्वर प्रसाद सिंह ने राजेंद्र द्वारा दाखिल मुकदमा को मनगढंत और झूठ का पुलिंदा बताते हुए न्यायालय से इसे खारिज करने की मांग की।
दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद न्यायाधीश ने राजेंद्र पुरुषोत्तम की ओर से दाखिल मुकदमे को खारिज करते हुए आठ लाख रुपये जुर्माना लगाया। न्यायाधीश ने आदेश में यह भी कहा, पति ने तथ्यहीन मनगढ़ंत आरोप पत्नी के खिलाफ लगाया।