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नवरात्र की सप्‍तमी तिथि पर ही फेंक दिया था 'दुर्गा' को, भोजपुर के डीएम पहुंचे देखने और रख दिया नाम

Bihar News नवरात्र की आज नवमी तिथि है। देवी के सिद्धि‍दात्री स्‍वरूप की पूजा की जा रही है। इससे पहले माता के कालरात्रि‍ स्‍वरूप की पूजा रविवार रात की गई। लेकिन भोजपुर में इसी दिन एक दुर्गा जीवन-मृत्‍यु के बीच झूल रही थी।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Tue, 04 Oct 2022 05:30 PM (IST)Updated: Tue, 04 Oct 2022 11:01 PM (IST)
नवरात्र की सप्‍तमी तिथि पर ही फेंक दिया था 'दुर्गा' को, भोजपुर के डीएम पहुंचे देखने और रख दिया नाम
अस्‍पताल में बच्‍ची को देखने पहुंचे डीएम राजकुमार और दुर्गा की तस्‍वीर। जागरण

पटना, आनलाइन डेस्‍क। नवरात्र में देवी की पूजा की जाती है। देवी स्‍वरूपा कन्‍या का पूजन किया जाता है। जगह-जगह कन्‍या का पूजन कर उन्‍हें भोजन कराया जा रहा है। देवी के कालरात्रि स्‍वरूप की पूजा रविवार रात की गई। लेकिन इसी दिन भोजपुर में 'दुर्गा' के साथ जो व्‍यवहार किया गया, वह जानकर आप कांप जाएंगे। हम बात कर रहे हैं उस दुर्गा की जिसका नाम भोजपुर के डीएम राजकुमार ने रखा। वही दुर्गा जिसे अपनों ने नाले में फेंक दिया था। महज इसलिए कि वह बेटी थी, या फिर समाज की नजरों से बचने के लिए। जो भी हो, बच्‍ची के साथ की गई बर्बरता हैरान करने वाली है। 

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जन्‍म के तुरंत बाद फेंक दी गई बच्‍ची 

दरअसल भोजपुर के सदर अस्‍पताल में रविवार देर रात शौचालय की ओरसे बच्‍ची के रोने की आवाज आई। पहले तो लोगों को लगा कि शायद किसी महिला को शौचालय में ही प्रसव हो गया। कौतूहलवश एक महिला जब शौचालय की ओर गई तो वहां की स्थिति देख कांप गई। तुरंत जन्‍मी बच्‍ची को काले दुपट्टे में लपेटकर शौचालय के पास नाली में फेंक दिया गया था। संयोग था कि नाली का मुंह छोटा था। उसने शोर मचाया। 

क्‍यों फेंका, मजबूरी या बेटे की चाहत 

घटना के बाद सनसनी फैल गई। सभी उसकी मां को ढूंढ़ने लगे लेकिन कहीं कोई नहीं मिला। किसी तरह नर्स पूनम कुमारी और गार्ड अभय सिंह वहां पहुंचे। अन्‍य कर्मी भी आए। मशक्‍कत कर बड़ी सावधानी से बच्‍ची को नाले से बाहर निकाला ता‍कि उसे चोट न पहुंचे। इसके बाद उसे शिशु वार्ड में भर्ती कराया गया। इसकी खबर मिलते ही डीएम राजकुमार अस्‍पताल पहुंचे। बच्‍ची के स्‍वास्‍थ्‍य की जानकारी ली। उन्‍होंने कहा कि नवरात्र में यह देवी स्‍वरूपा बच्‍ची मिली है, इसलिए इसका नाम होगा दुर्गा। उन्‍होंने बच्‍ची की बेहतर देखभाल का निर्देश भी दिया। सदर अस्‍पताल में पहले भी इसी तरह की घटना हुई थी। चार फरवरी को एक बच्‍ची को नाले में फेंक दिया गया था। हालांकि तब वह नवजात भाग्‍यशाली साबित नहीं हुई। उसकी सांस थम गई। बच्‍ची को कौन फेंक गया इसका पता तब न उस समय चल पाया था और न इस बार। 


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