एम्स में हड़ताल के कारण आधे से कम पहुंचे मरीज
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान पटना (एम्स) में जूनियर डॉक्टर सोमवार को हड़ताल पर रहे।
पटना (फुलवारीशरीफ) : अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान पटना (एम्स) में जूनियर डॉक्टर सोमवार को कार्य बहिष्कार कर हड़ताल पर चले गए। मामले को लेकर एम्स निदेशक डॉ. पीके सिंह ने रेजिडेंट डॉक्टरों के साथ वार्ता की। मांगें पूरी करने को 10 दिनों का समय दिया गया। इसके बाद शाम तीन बजे डॉक्टर कार्य पर लौटे।
हड़ताल के कारण दूर-दूर से आए मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा। अन्य दिनों में एम्स में जहां दो हजार से अधिक निबंधन होते थे, वह हड़ताल के कारण आंकड़ा 800 के आसपास सिमट कर रह गया। एम्स के रेजीडेंट डॉक्टर्स अपनी सुरक्षा की माग को लेकर सोमवार की सुबह कार्य बहिष्कार करते हुए हड़ताल पर चले गए। इस दौरान सभी ने एम्स प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी भी की। सुबह नौ बजे से ही एम्स के सभी रजीडेंट डॉक्टर अपनी ड्यूटी पर नही जाकर परिसर में जमा हो गए। संघ के अध्यक्ष डॉ. विनय कुमार ने बताया कि पटना एम्स में इमरजेंसी शुरू होने के बाद आए दिन डॉक्टरों के साथ मारपीट की घटना बढ़ गई है।
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: कन्हैया के पहुंचने के बाद बढ़ा था मामला :
छात्र नेता के एम्स में भर्ती रहने के दौरान जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार एम्स पहुंचे थे। इसी दौरान डॉक्टर और कन्हैया में नोकझोंक हुई थी। इसके बाद जूनियर डॉक्टरों ने कार्य बहिष्कार कर दिया था। उनका कहना हैं कि रोजाना किसी भी मरीज के मृत्यु होने पर परिजन डॉक्टर के साथ दुर्व्यवहार करते हैं। पटना एम्स की सुरक्षा का भार संभालने वालों के पास लाठी तक नहीं है। एम्स की सुरक्षा को देखते हुए लगता है कि कभी भी कोई डॉक्टर मॉब लिंचिंग की भेंट चढ़ सकता है।
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नहीं हैं बुनियादी सुविधाएं :
डॉ. विनय के अनुसार एम्स के डॉक्टरों के लिए बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुासर सप्ताह में डॉक्टरों से 48 घंटे कार्य लेना है। जबकि यहां 96 घंटे कार्य लिया जा रहा है। वेतन का भुगतान भी समय पर नहीं होता है। रहने के लिए एक कमरा दिया गया है। जो पर्याप्त नहीं है।
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: 400 डॉक्टरों की जगह कार्य कर रहे दो सौ डॉक्टर :
एम्स पटना में चार सौ डॉक्टरों की जरूरत है। लेकिन अब तक यहां महज दो सौ डॉक्टरों की ही नियुक्ति हो सकी है। इससे आएं दिन मरीजों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जबकि मौजूदा डॉक्टरों को भी कार्य की अधिकता से परेशानी का सामना करना पड़ता है। एम्स निदेशक के अनुसार नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है। इससे परेशानी खत्म हो जाएगी।
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जूनियर की हड़ताल पर सीनियर ने संभाली कमान :
जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के बाद सीनियर डॉक्टरों ने कमान संभाली। हड़ताल के कारण 800 मरीजों का ही निबंधन हो सका। ओपीडी में शाम चार बजे तक कतार लगी रही। इमरजेंसी में डॉ. अनिल कुमार के नेतृत्व में पांच डॉक्टरों की टीम कार्य करती रही। इसमें डॉ. हर्षबर्धन कुमार गोबिंदा, डॉ. शिव किशोर, डॉ. नीलमणि जुटे रहे। कई विभागों में डॉक्टर के कमी के कारण बिना दिखाए कई मरीज को वापस होना पड़ा तो कईयों ने घटो कतार में रहकर अपनी बारी का इंतेजार करते दिखे।