न्यू पुलिस लाइन बवाल मामले में बड़ी कार्रवाई, हटाए गए डीएसपी
डेंगू से महिला आरक्षी सविता कुमारी पाठक की मौत के बाद हुए बवाल मामले में शनिवार को डीएसपी को हटा दिया गया है। उन्हें पुलिस मुख्यालय में योगदान देने के लिए कहा गया है।
By Akshay PandeyEdited By: Published: Sat, 10 Nov 2018 05:21 PM (IST)Updated: Sat, 10 Nov 2018 05:21 PM (IST)
पटना [जेएनएन]। ट्रैफिक पुलिस में तैनात महिला आरक्षी सविता कुमारी पाठक की डेंगू से हुई मौत के बाद हुए बवाल में शनिवार को बड़ी कार्रवाई की गई। जोनल आइजी नैय्यर हसनैन खान की रिपोर्ट के आधार पर डीजीपी केएस द्विवेदी ने लाइन डीएसपी मो. मसलेहउद्दीन को हटा दिया। इसके पहले महिला सिपाहियों ने बिहार राज्य महिला आयोग के सामने डीएसपी व मुंशी पर कई संगीन आरोप लगाए थे। नई व्यवस्था के तहत डीएसपी का तबादला पुलिस मुख्यालय में किया गया है।
आइजी ने सौंपी थी 19 पन्नों की रिपोर्ट
मामले में गुरुवार की रात जोनल आइजी नैय्यर हसनैन खान ने दूसरी रिपोर्ट सौंपी थी। 19 पन्नों की रिपोर्ट में उन्होंने बवाल के सभी बिंदुओं का जिक्र किया था। आइजी ने ये रिपोर्ट डीजीपी और गृह विभाग को सौंपी थी। जिसके आधार पर ही कार्रवाई की गई।
सीएम ने जोनल आइजी को दिया था निर्देश
पटना न्यू पुलिस लाइन में हुए बवाल पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संज्ञान लिया था। इसके बाद जोनल आइजी को पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया गया। आइजी ने घटना के दो दिन बाद प्रारंभिक रिपोर्ट सौंपी थी, जिसके आधार पर उपद्रव में शामिल 175 नवनियुक्त आरक्षियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। ट्रैफिक और जिला पुलिस के 23 पुलिसकर्मियों को निलंबित और 92 पुलिसकर्मियों का दूसरे जोन में ट्रांसफर किया गया था।
रिपोर्ट में चार पुलिस कर्मियों को बताया था दोषी
रिपोर्ट में सविता को छुट्टी नहीं मिलने के लिए ट्रैफिक सार्जेंट मेजर अनिल कुमार सहित चार पुलिसकर्मियों को दोषी बताया गया था। हालांकि, बवाल के दौरान नवनियुक्त आरक्षियों ने लाइन डीएसपी मो. मसलेहउद्दीन पर गंभीर आरोप लगाए थे। बावजूद इसके डीएसपी पर किसी तरह की कार्रवाई की अनुशंसा नहीं की गई थी।
अधिकारियों की कार्यप्रणाली का है जिक्र
सूत्रों के अनुसार रिपोर्ट में पुलिस लाइन की कार्यप्रणाली और जिम्मेदार पदाधिकारियों की भूमिका का जिक्र किया गया है। इससे पूर्व एसएसपी सहित तीनों सिटी एसपी एवं ग्रामीण एसपी से लिखित में मांगा गया था कि उन्होंने आखिर बार 'लाइन डे' और 'पुलिस सभा' का कब आयोजन किया था तथा कितने सिपाहियों से मुलाकात की और समस्याएं सुनीं? वरीय अधिकारियों का काम कैसा रहा और कहां चूक हुई, इन बिंदुओं पर विस्तार से उल्लेख किया गया है।
आइजी ने सौंपी थी 19 पन्नों की रिपोर्ट
मामले में गुरुवार की रात जोनल आइजी नैय्यर हसनैन खान ने दूसरी रिपोर्ट सौंपी थी। 19 पन्नों की रिपोर्ट में उन्होंने बवाल के सभी बिंदुओं का जिक्र किया था। आइजी ने ये रिपोर्ट डीजीपी और गृह विभाग को सौंपी थी। जिसके आधार पर ही कार्रवाई की गई।
सीएम ने जोनल आइजी को दिया था निर्देश
पटना न्यू पुलिस लाइन में हुए बवाल पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संज्ञान लिया था। इसके बाद जोनल आइजी को पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया गया। आइजी ने घटना के दो दिन बाद प्रारंभिक रिपोर्ट सौंपी थी, जिसके आधार पर उपद्रव में शामिल 175 नवनियुक्त आरक्षियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। ट्रैफिक और जिला पुलिस के 23 पुलिसकर्मियों को निलंबित और 92 पुलिसकर्मियों का दूसरे जोन में ट्रांसफर किया गया था।
रिपोर्ट में चार पुलिस कर्मियों को बताया था दोषी
रिपोर्ट में सविता को छुट्टी नहीं मिलने के लिए ट्रैफिक सार्जेंट मेजर अनिल कुमार सहित चार पुलिसकर्मियों को दोषी बताया गया था। हालांकि, बवाल के दौरान नवनियुक्त आरक्षियों ने लाइन डीएसपी मो. मसलेहउद्दीन पर गंभीर आरोप लगाए थे। बावजूद इसके डीएसपी पर किसी तरह की कार्रवाई की अनुशंसा नहीं की गई थी।
अधिकारियों की कार्यप्रणाली का है जिक्र
सूत्रों के अनुसार रिपोर्ट में पुलिस लाइन की कार्यप्रणाली और जिम्मेदार पदाधिकारियों की भूमिका का जिक्र किया गया है। इससे पूर्व एसएसपी सहित तीनों सिटी एसपी एवं ग्रामीण एसपी से लिखित में मांगा गया था कि उन्होंने आखिर बार 'लाइन डे' और 'पुलिस सभा' का कब आयोजन किया था तथा कितने सिपाहियों से मुलाकात की और समस्याएं सुनीं? वरीय अधिकारियों का काम कैसा रहा और कहां चूक हुई, इन बिंदुओं पर विस्तार से उल्लेख किया गया है।
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें