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मुद्दत के बाद मिला परिवार के संग रहने का मौका

दानापुर रेल मंडल पूरे देश के व्यस्तम मंडलों में से एक है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 27 Mar 2020 12:17 AM (IST)Updated: Fri, 27 Mar 2020 12:17 AM (IST)
मुद्दत के बाद मिला परिवार के संग रहने का मौका

चंद्रशेखर, पटना। दानापुर रेल मंडल पूरे देश के व्यस्तम मंडलों में से एक है। इस मंडल का प्रबंधक होने के नाते सुनील कुमार भी काफी व्यस्त रहने वाले रेल अधिकारियों में से हैं। यहां से प्रतिदिन 400 से अधिक ट्रेनों का परिचालन व 15000 से अधिक कर्मचारियों की जवाबदेही संभालने वाले डीआरएम सुबह से रात तक ट्रेनों के प्रबंधन में ही परेशान रहते हैं। धन्य हो कोरोना का जो उन्हें काफी अरसे बाद बच्चों व परिवार के बीच सुखद पल बिताने को मजबूर किया है। रेलवे में लॉक डाउन होने के बाद दानापुर मंडल रेल प्रबंधक अपना अधिकांश समय वे परिवार के साथ ही व्यतीत कर रहे हैं। घर के ही कंट्रोल रूम से झाझा से गहमर तक 460 किमी से अधिक की दूरी तक नजर रख रहे हैं। मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों का परिचालन बंद होने से उन्हें राहत मिली है परंतु मालगाड़यिों का परिचालन जारी रहने से उनका ध्यान हमेशा अपने रेलवे ट्रैक व कंट्रोल पर ही रहता है। इसके बावजूद वे अपना काफी समय पत्नी व बेटे के साथ व्यतीत कर रहे हैं।

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इस संबंध में विशेष बातचीत के दौरान डीआरएम सुनील कुमार ने बताया कि बुधवार को नवरात्र की शुरुआत हुई है और उन्होंने भी अपने घर में पत्नी व बेटे की साथ मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की है। इसके बाद अपने बेटे व पत्नी के साथ ही अधिकांश समय बिताया। अपने बेटे को पूर्वजों की कहानियों व अपनी संस्कृति से अवगत कराया। उन्होंने अपने छात्र जीवन से लेकर आज तक के सफर की चर्चा भी की। इस मुकाम तक पहुंचने में समाज का क्या योगदान रहा और परिवार की क्या भूमिका रही, इसके बारे में अवगत कराया। किस तरह अपने मां-पिताजी की सेवा की और उनकी सीख को अपने में आत्मसात किया, जिसके बल पर आज वह इस मुकाम तक पहुंचे। शादी के बाद भी पत्नी अपने मां-पिताजी की आदर्शों को अपनाते रहा। मुंबई जैसे प्रमुख रेल मंडल का डीआरएम रहने के दौरान भी अपने ग्रामीणों व परिजनों को नहीं भूला तथा हमेशा से काम के साथ-साथ परिवार को भी उचित प्राथमिकता दी। खाली समय में प्रेमचंद की पुस्तकों के साथ ही फणीश्वर नाथ रेणु के मैला आंचल को पढ़ रहा हूं।


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