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बिहार में किसान परेशान, मंडरा रहा है सूखे का खतरा

बिहार में बारिश की कमी से अब सूखे के हालात बन रहे हैं। किसान मायूस हैं। धान की रोपनी के साथ ही मक्के की फसल पर भी इसका असर पड़ रहा है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Wed, 18 Jul 2018 03:11 PM (IST)Updated: Thu, 19 Jul 2018 06:17 PM (IST)
बिहार में किसान परेशान, मंडरा रहा है सूखे का खतरा
बिहार में किसान परेशान, मंडरा रहा है सूखे का खतरा

पटना [जेएनएन]। बारिश के लिए किसान आसमान ताक रहे हैं, बादल छाने पर आस बंधती है। लेकिन बादल रूठ कर चले जाते हैं जिससे राज्य में सूखे का खतरा बढ़ गया है। सामान्य से 42 फीसदी कम बारिश होने से किसानों की चिंता बढ़ गई है और खेती पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। बता दें कि अब तक पूरे राज्य में महज 14.80 फीसदी ही धान की रोपनी हो पायी है और वहीं मक्के की  बुआई भी प्रभावित हुई है।

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जानकारी के मुताबिक पानी के अभाव में धान के बिचड़े सूख रहे हैं और जहां रोपनी हुई है, वहां के पौधे भी अब पीले  पड़ने लगे हैं। बारिश कम होने का असर जलाशयों में भी दिखने लगा है. सिंचाई योजना में मदद  के लिए बने 23 में से नौ जलाशयों में पानी नहीं है। वहीं दस  जलाशयों में अपेक्षाकृत कम पानी है।

जल संसाधन विभाग के अनुसार प्रदेश में  कुल 23 जलाशय हैं जिनसे फसलों की सिंचाई के लिए समय-समय पर नहरों में  आवश्यकतानुसार पानी प्रवाहित किया जाता है।

चालू खरीफ मौसम में 34 लाख हेक्टेयर में धान व  4.75 लाख हेक्टेयर में मक्के की खेती का लक्ष्य कृषि विभाग ने तय किया है। 34 लाख हेक्टेयर  में  से 16 जुलाई तक मात्र 503111 हेक्टेयर में ही रोपनी हुई  है। यही हाल मक्के  का है, 4.75 लाख हेक्टेयर में से  मात्र 264870 हेक्टेयर में ही मक्के की बुआई हुई है।

आषाढ़ अब बीतने को है, लेकिन सामान्य से कम बारिश होने से खेतों में दरारें पड़ने लगी हैं। सामान्य से काफी कम बारिश होने से लक्ष्य के अनुरूप बिचड़ा तैयार नहीं हो पाया है। 3.40 लाख हेक्टेयर में बिचड़ा तैयार करने का लक्ष्य रखा गया था, इनमें से 315672 हेक्टेयर में ही बिचड़ा तैयार हो पाया है।

कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार भोजपुर, नवादा, लखीसराय, जमुई, बांका और खगड़िया में एक धूर जमीन में भी रोपनी नहीं हो पायी है. बांका  और नवादा में धान की खेती बड़े पैमाने पर होती है. धान की खेती के लिए मशहूर  शाहाबाद मगध, पटना व अंग क्षेत्र में 10 फीसदी भी रोपनी नहीं हो पायी है. चंपारण, सीतामढ़ी और मिथिलांचल में रोपनी की स्थिति थोड़ी बेहतर है।


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