सफेद हाथी बन गई डबल डेकर बस, साढ़े चार साल में बन गई कबाड़
पर्यटकों को सैर करने के लिए खरीद की गई वातानुकूलित डबल डेकर बस सफेद हाथी बनकर रह गई है। साढ़े चार में यह सड़क पर एक दिन भी नहीं चली।
पटना [मृत्युंजय मानी]। पर्यटकों को सैर करने के लिए खरीद की गई वातानुकूलित डबल डेकर बस सफेद हाथी बनकर रह गई है। गैरेज में पड़ी हुई है। साढ़े चार साल की डबल डेकर बस का छज्जा सड़ गया। अब इसे बदलने की जरूरत है। 54 लागत से पटना दर्शन कराने के लिए दिसंबर 2014 में इसे मंगाया गया था।
बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम मध्य 2012 में तीन डबल डेकर बस का चेचिस खरीदी थी। करीब ढ़ाई वर्ष के बाद पहला डबल डेकर का बॉडी तैयार हुआ। जबकि दो और डबल डेकर बस गुडग़ांव स्थित बॉडी निर्माण कंपनी में पड़ी हुई है। आधा बॉडी दोनों का निर्माण हो चुका है।
बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम के अधिकारी कई बार उसे देखने के पर गुडग़ांव गए। पर्यटन निगम राशि भुगतान नहीं कर रहा है। बॉडी बनाने वाली कंपनी काम बंद कर दी है। बॉडी निर्माण कंपनी और पर्यटन निगम के झगड़े के बीच दो डबल डेकर बस का इंजन खराब होने के कगार पर पहुंच गया है।
सवाल उठता है कि दो डबल डेकर के आने में विलंब के लिए कौन जिम्मेवार है? एसएमएल इसूजू कंपनी, हरियाणा से चेचिस खरीदकर दूसरी कंपनी को डबल डेकर बनाने को दे दिया। सात वर्ष इसे तैयार करने में लग गया। जनता के पैसे के दुरूपयोग होने के लिए कौन जिम्मेवार है?
डबल डेकर कंपनी से 45 सीट का आया था। नीचे में 20 तथा ऊपर में 25 सीट था। एमवीआई के आपत्ति के बाद इसे 28 सीट कर दिया गया था। इसकी ऊंचाई 17 फीट है। डबल डेकर को पटना के महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल के लिए चलना था। सभी पर्यटन स्थलों तक चलाने में बिजली के पोल व खंभे बाधक बने। इस उलझन की समस्या का अध्ययन तक नहीं किया गया था। पर्यटन निगम के अधिकारियों के अनुसार डबल डेकर के छज्जा को शीघ्र बदल दिया जाएगा।