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महागठबंधन में आसान नहीं होगा सीटों का बंटवारा, सभी कर रहे प्रबल दावेदारी

आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए महागठबंधन और एनडीए में सीट बंटवारें को लेकर घमासान तेज हो गया है। सभी घटक दल दावेदारी के लिए हैसियत और हालात की पड़ताल में जुट गए हैं।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Wed, 06 Jun 2018 10:11 PM (IST)Updated: Thu, 07 Jun 2018 11:22 PM (IST)
महागठबंधन में आसान नहीं होगा सीटों का बंटवारा, सभी कर रहे प्रबल दावेदारी
महागठबंधन में आसान नहीं होगा सीटों का बंटवारा, सभी कर रहे प्रबल दावेदारी

पटना [अरविंद शर्मा]। केंद्र की वर्तमान सरकार के कार्यकाल के पांचवे वर्ष में प्रवेश करते ही बिहार में सीट बंटवारे का जिन्न बोतल से बाहर निकल आया है। दोनों गठबंधनों में शामिल छोटे दलों ने अधिकतम सीटों के लिए बड़े दलों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। भाजपा-जदयू में बराबर की रस्साकशी है। महागठबंधन के घटक दलों की महत्वाकांक्षा भी करीब हफ्तेभर बाद प्रबल होने वाली है। अभी दावेदारी के लिए हैसियत और हालात की पड़ताल की जा रही है।

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बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं। पिछली बार यहां सबसे ज्यादा भाजपा को 22 सीटें मिली थी। राजग के घटक दलों भाजपा, लोजपा एवं रालोसपा ने मिलकर कुल 31 सीटों पर कब्जा जमाया था। भाजपा विरोधी दलों के हिस्से में महज नौ सीटें ही आई थीं। इसमें जदयू की दो सीटें भी शामिल हैं। तब जदयू ने भाजपा से अलग चुनाव लड़ा था। अबकी राजग में जदयू भी बड़ा दावेदार है।

महागठबंधन भी इस बार बड़ा फैक्टर है, जिसमें अभी राजद, कांग्रेस एवं हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) शामिल हैं। इस गठबंधन से राकांपा, वामदल एवं बसपा की भी अपेक्षाएं जुड़ी हुई हैं। इधर-उधर से कुछ और दलों की भी चर्चा है। अकेले लड़कर राजद को पिछली बार चार, कांग्र्रेस को दो और राकांपा को एक सीट हासिल हुई थीं, किंतु इस बार की तैयारी पहले से अधिक है।

पिछला परिणाम एवं वर्तमान हैसियत को नजरअंदाज करते हुए कांग्रेस कम से कम 20 सीटों की दावेदारी की तैयारी कर रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कौकब कादरी के मुताबिक पार्टी को सम्मानजनक भागीदारी चाहिए। जीतनराम मांझी की पार्टी को भी चार सीटों से कम स्वीकार नहीं होगा। राकांपा को भी अपनी जीती हुई एक सीट के अतिरिक्त अपेक्षा होगी।

ऐसे में महागठबंधन के सबसे बड़े घटक राजद के खाते में कम से कम सीटें बचेंगी, जो पार्टी की हैसियत और जरूरत के मुताबिक तेजस्वी यादव को स्वीकार नहीं होगा। जाहिर है, दूसरी तरफ भी सीटों का बंटवारा इतनी आसानी से नहीं होना वाला है।

हालांकि हम के प्रवक्ता दानिश रिजवान घमासान से इनकार करते हैं। उनके मुताबिक महागठबंधन का मकसद भाजपा को उखाड़ फेंकना है। एकजुट मकसद के आगे किसी तरह का मतभेद कोई मायने नहीं रखता है। ईद के बाद मिल-बैठकर सारे विवाद को सुलझा लेंगे।


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