डीजीपी ने माना- साइबर अपराध से निपटना पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती
डीजीपी पीके ठाकुर ने कहा कि समय की मांग है कि पुलिस पदाधिकारी व कर्मी साइबर अपराध करने वालों से एक कदम आगे की सोच रखें। वे घर बैठे ही बड़े अपराध करते हैं।
पटना [राज्य ब्यूरो]। डीजीपी पीके ठाकुर ने कहा कि समय की मांग है कि पुलिस पदाधिकारी व कर्मी साइबर अपराध करने वालों से एक कदम आगे की सोच रखें। कैशलेस लेनदेन के आधुनिक युग में साइबर अपराधी बड़ी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। क्योंकि ये घर बैठे ही बड़े अपराध करते हैं। डीजीपी पीके ठाकुर शुक्रवार को नियोजन भवन सभागार में जिला पुलिस के अधिकारियों के लिए आयोजित सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन कर रहे थे।
इस मौके पर श्रम संसाधन विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह, डीजी (प्रशिक्षण) केएस द्विवेदी, आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) के एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार, एडीजी (विधि-व्यवस्था) आलोक राज समेत कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारी उपस्थित थे। डीजीपी ने कहा कि देश के अन्य राज्यों की तरह बिहार भी अब साइबर अपराधियों के निशाने पर है।
जिस तरह झारखंड का जामताड़ा साइबर अपराधियों का गढ़ बन गया है, उसी तरह बिहार के नालंदा और शेखपुरा से भी संगठित तरीके से साइबर क्राइम को अंजाम दिया जा रहा है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्रम संसाधन विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह ने कहा कि उनका विभाग प्रखंड स्तर पर स्थापित कौशल विकास केंद्रों पर भी पुलिस अधिकारियों को कंप्यूटर की जानकारी उपलब्ध कराने को तैयार है। डीजी (प्रशिक्षण) केएस द्विवेदी ने कहा कि अबतक केवल जल, थल और वायु मार्गों से होने वाले हमलों के प्रति पुलिस सचेत रहती थी। लेकिन साइबर क्राइम नागरिक सुरक्षा पर एक नए खतरे का संकेत है।
ईओयू के एडीजी जेएस गंगवार ने कहा कि बिहार पुलिस को जिलास्तर पर साइबर क्राइम की जांच के लिए सभी उपकरण व सॉफ्टवेयर उपलब्ध हो गए हैं। शिविर में देश के जानेमाने साइबर विशेषज्ञ मनु जकारिया अगले तीन दिनों तक प्रशिक्षण देंगे।
बिहार में हाल के वर्षों में साइबर क्राइम को लेकर दर्ज कांडों का आंकड़ा
वर्ष दर्ज किए गए कुल मामले
2011 01
2012 30
2013 63
2014 87
2015 151
2016 152
2017 215
(सितंबर तक)