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डेंगू के उपचार व बचाव को बनी रणनीति

पटना। धीरे-धीरे डेंगू 17 जिलों में अपने पांव पसार चुका है। रोगियों की कम संख्या को देख

By Edited By: Published: Thu, 03 Sep 2015 07:31 PM (IST)Updated: Thu, 03 Sep 2015 07:31 PM (IST)
डेंगू के उपचार व बचाव को बनी रणनीति

पटना। धीरे-धीरे डेंगू 17 जिलों में अपने पांव पसार चुका है। रोगियों की कम संख्या को देख निश्चिंत बैठे स्वास्थ्य विभाग ने अब समीक्षा व दिशानिर्देश का दौर शुरू किया है। इसी क्रम में बुधवार को सभी जिलों के संबंधित अधिकारियों से डेंगू से निपटने की तैयारियों की समीक्षा की गई और आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए।

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ठंड बढ़ने तक की तैयारी :

डेंगू समेत संक्रामक रोगों के स्टेट नोडल पदाधिकारी डॉ. एमपी शर्मा ने बताया कि सभी जिलों के संबंधित पदाधिकारियों से डेंगू की स्थिति की जानकारी ली गई। इलाज व बचाव के लिए जिलास्तर पर क्या तैयारी की गई है, इस पर भी चर्चा हुई। भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के आलोक में डेंगू मच्छरों को मारने के लिए फॉगिंग के साथ-साथ लार्विसाइड्ल (मच्छरों को मारने की दवा) का छिड़काव जलजमाव वाले स्थानों पर किया जाएगा। फॉगिंग से वयस्क मच्छर मरेंगे तो लार्विसाइड्ल से मच्छर के अंडे व लार्वा।

डॉ. शर्मा ने कहा कि ठंड बढ़ते ही डेंगू का प्रकोप स्वत: कम हो जाता है। लेकिन, दुर्गापूजा के दौरान बहुत से लोग अन्य प्रदेशों से आते हैं। उस समय स्क्रीनिंग कर डेंगू रोगियों की पहचान करने की रणनीति पर भी चर्चा की गई।

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पांच नए रोगी आए, 41 पर पहुंचा आंकड़ा :

पटना : पीएमसीएच के माइक्रोबायोलॉजी विभाग अब 38 लोगों में डेंगू की पुष्टि कर चुका है। बुधवार को पांच नए लोगों में डेंगू की पुष्टि हुई। वहीं स्टेट पदाधिकारी डॉ. एमपी शर्मा के अनुसार प्रदेश में 41 लोगों में डेंगू की पुष्टि हो चुकी है।

सिविल सर्जन कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार बुधवार को छपरा के शैलेंद्र कुमार, पटना के अनिल कुमार, रोहतास के भोलासिंह, अथमलगोला पटना के अरुण प्रसाद व लखीसराय के अजय में डेंगू की पुष्टि हुई है। हालांकि, राजधानी में सर्वाधिक डेंगू रोगियों के आने के बावजूद फॉगिंग व लार्विसाइड्ल का छिड़काव शुरू नहीं हुआ है।

जहां रहते हों, वहीं का लिखाएं पता :

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अधिकांश डेंगू पीड़ित अपना स्थायी पता बताते हैं और रहते कहीं और हैं। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के पास सही जानकारी नहीं है कि रोगी वर्तमान में कहां रह रहा है। ऐसे में फॉगिंग व लार्विसाइड्ल छिड़काव के लिए संवेदनशील स्थानों का निर्धारण करने में मुश्किल हो रही है। रक्त नमूना लेते समय अब स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी पीड़ित से उसका वर्तमान पता पूछ रहे हैं।


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