पटना में डेंगू का खतरनाक तेवर, एक दिन में बड़ी संख्या में मिले मरीज; ये चार मोहल्ले बने हाटस्पाट
राजधानी में 12 नए डेंगू संक्रमित मिले। कंकड़बाग बोरिंग रोड अगमकुआं पटनासिटी जैसे घनी आबादी वाले मोहल्लों के अलावा नए विकसित हो रहे मोहल्लों बिस्कोमान कालोनी रामकृष्णा नगर संदलपुर और कुम्हरार में अधिक डेंगू के संक्रमित मिल रहे हैं।
जागरण संवाददाता, पटना : प्रदेश समेत राजधानी की घनी और विकसित हो रही कालोनियों में डेंगू वाहक एडीज मच्छर बेकाबू होते जा रहे हैं। मंगलवार को राजधानी में 12 नए डेंगू संक्रमित मिले। एक अगस्त से अबतक 36 दिनों में 102 मरीज मिल चुके हैं। इसके पूर्व जनवरी से 31 जुलाई तक जिले में डेंगू के कुल 12 मामले थे। यह संख्या सिर्फ आरएमआरआइ, एम्स पटना, पीएमसीएच, एनएमसीएच और आइजीआइएमएस जैसे संस्थानों में जांच कराने वालों की है। 70 प्रतिशत से अधिक मरीज निजी पैथोलाजी में जांच व इलाज कराते हैं, जिनका आंकड़ा स्वास्थ्य विभाग को नहीं मिल रहा है। इस वर्ष अबतक दो रोगियों की डेंगू से मौत हो चुकी है।
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मलेरिया पदाधिकारी डा. सुभाष चंद्र प्रसाद ने बताया कि सोमवार को जिन नमूनों की जांच की गई, उनमें से 12 की रिपोर्ट पाजिटिव आई है। इनमें से बजरंगपुरी में चार, संदलपुर में दो के अलावा खजांची रोड, कंकड़बाग, बोरिंग रोड, कुम्हरार, पटनासिटी और बिस्कोमान कालोनी में एक-एक संक्रमित मिला है।
कई मोहल्लों में सप्ताह में एक बार हो रही फागिंग
कंकड़बाग, बोरिंग रोड, अगमकुआं, पटनासिटी जैसे घनी आबादी वाले मोहल्लों के अलावा नए विकसित हो रहे मोहल्लों बिस्कोमान कालोनी, रामकृष्णा नगर, संदलपुर और कुम्हरार में अधिक डेंगू के संक्रमित मिल रहे हैं। जिन घरों में डेंगू संक्रमित मिल रहे हैं, मलेरिया विभाग वहां तो चारों ओर फागिंग और लार्वासाइड्ल का छिड़काव करा रहा है, लेकिन एडीज मच्छरों की रोकथाम के लिए निगम द्वारा की जा रही सामान्य फागिंग के हाल बुरे हैं। निगम आउटसोर्सिंग के तहत फागिंग करा रहा है, लेकिन बोरिंग रोड, इंद्रपुरी, पटेल नगर, शास्त्री नगर जैसे इलाकों के लोगों की मानें तो सप्ताह-दस दिन में उनके मोहल्ले में फागिंग वाहन चक्कर लगाता है।
परिवार में किसी को डेंगू हो तो रहें सावधान
मलेरिया पदाधिकारी के अनुसार, यदि घर में किसी को डेंगू हो तो अन्य सदस्य सावधान हो जाएं। अगस्त से अबतक कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जहां एक घर के चार-चार लोग संक्रमित हो रहे हैं। इसका कारण यह है कि डेंगू मच्छर काटने के बाद खून पीने के लिए नहीं रुकता है। यह काटते ही उड़ जाता है और अन्य लोगों को काटता है। यही कारण है कि मलेरिया विभाग डेंगू संक्रमित की सूचना मिलते ही उनके घर और आसपास सघन फागिंग के अलावा लार्वासाइड्ल का छिड़काव कराता है। उन्होंने स्वीकार किया कि एक बार की फागिंग मच्छरों को खत्म करने में प्रभावी नहीं है।
वर्ष , डेंगू मरीज
2019---- 482
- 2020---- 243
- 2021-- 353
- 2022-- 114 अबतक
लक्षण :
- तेज बुखार, बदन, सिर, आंखों के पीछे और जोड़ों में तेज दर्द।
- त्वचा पर लाल चकत्ते-धब्बे या चकत्ते के निशान।
- नाक-मसूढ़ों या उल्टी के साथ रक्तस्राव।
- काला पाखाना होगा।
- यदि ये लक्षण हों तो तुरंत डाक्टर से मिलें, सभी रोगियों को भर्ती होने की जरूरत नहीं। समय पर उपचार से रोगी पूर्णत: स्वस्थ हो जाते हैं।
याद रखें :
- तेज बुखार होने पर एस्प्रिन या ब्रुफेन जैसी दर्द निवारक गोलियों के बजाय सुरक्षित पारासिटामोल ही लें।
बचाव के उपाय :
- दिन में सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें।
- दिन में भी मास्कीटो रिपेलेंट लिक्विड या क्रीम का प्रयोग करें।
- पूरे शरीर को ढंकने वाले कपड़े पहनकर रहें और सभी कमरों को साफ-सुथरा व हवादार बनाए रखें।
- टूटे-फूटे बर्तनों, कूलर-एसी, फ्रिज के पानी, पानी की टंकी ढंक कर रखें और आसपास पानी नहीं जमा होने दें।
- गमले आदि जहां रखें हों वहां काला हिट का छिड़काव करें।
- घर के आसपास साफ-सफाई रखें और पानी जमा हो तो दवा का छिड़काव करें।
- गमला, फूलदान आदि का पानी हर दिन बदलें।
- जमे पानी पर केरोसिन का छिड़काव करें।
- दुकानदार भी आसपास पड़े डिब्बों में पानी जमा नहीं होने दें।
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