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अस्पताल जाने में देरी, जान पर पड़ रही भारी

विशेषज्ञ चिकित्सक भी अभी तक कोरोना के लक्षण और गंभीरता को ठीक से नहीं समझ पाए हैं। इलाज के तरीके में नित नए बदलाव हो रहे हैं। ऐसे में कोरोना संक्रमितों के गंभीर लक्षण की अनदेखी करने से उनकी जान पर खतरा बढ़ता जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 01 Oct 2020 07:54 AM (IST)Updated: Thu, 01 Oct 2020 07:54 AM (IST)
अस्पताल जाने में देरी, जान पर पड़ रही भारी

पटना । विशेषज्ञ चिकित्सक भी अभी तक कोरोना के लक्षण और गंभीरता को ठीक से नहीं समझ पाए हैं। इलाज के तरीके में नित नए बदलाव हो रहे हैं। ऐसे में कोरोना संक्रमितों के गंभीर लक्षण की अनदेखी करने से उनकी जान पर खतरा बढ़ता जा रहा है। कोरोना को सामान्य फ्लू समझ अस्पताल जाने में देरी करने से स्वास्थ्य विभाग के निदेशक प्रमुख समेत अब तक कई डॉक्टरों तक की मौत हो चुकी है।

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डॉक्टरों के अनुसार, अब तक कोरोना से जितनी भी मौतें हुई हैं उनमें से 25 फीसद लोगों को बचाया जा सकता था। यदि वे रोग के विकराल होने के पहले अस्पताल आ गए होते। मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग के निदेशक प्रमुख डॉ. यूपी सिंह की मौत का कारण भी हालत बिगड़ने पर एम्स में भर्ती होने को माना जा रहा है।

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लक्षण महसूस होने तक

विकराल हो जाता है वायरस

एम्स पटना के कोरोना नोडल पदाधिकारी डॉ. संजीव कुमार के अनुसार, जब तक संक्रमित को कोरोना वायरस के कारण समस्याओं का अहसास होता है, स्थिति इतनी विकट हो चुकी होती है कि दवाओं से उन्हें नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में सबसे जरूरी है कि कोरोना काल में बुखार, खांसी, कमजोरी, सांस फूलने, ऑक्सीजन स्तर 95 से कम होने पर तुरंत अस्पताल जाना चाहिए। समस्या कैसी भी हो डॉक्टर से परामर्श जरूर लें। जरूरत हो तो तुरंत जांच कराएं और यदि होम आइसोलेशन में रहने का निर्णय लेते हैं तो सरकार द्वार निगरानी को प्रतिनियुक्त डॉक्टर के निरंतर संपर्क में रहें। यदि पहले से मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय, कैंसर या अन्य गंभीर रोग से पीड़ित हैं तो रोगियों को कोरोना से बचाव और उपचार में विशेष एहतियात बरतनी चाहिए। होम आइसोलेशन में रहने वाले लोगों को निगेटिव होने के बावजूद डेढ़ माह तक डॉक्टर के संपर्क में रहना चाहिए। इस दौरान डॉक्टर उनके एक्स-रे या सीटी स्कैन कराकर जरूरत होने पर खून पतला करने और सांस की दवा को चालू रख सकते हैं। डॉक्टर के परामर्श पर ही दवा लेना और बंद करना उचित है।

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कब जाएं अस्पताल

-सास लेने में परेशानी हो या फूलने लगे।

-ऑक्सीजन स्तर 95 से नीचे जाने पर।

-तीन दिन से अधिक लगातार बुखार रहे।

-अत्यधिक कमजोरी हो।

-खांसी लगातार आ रही हो।

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होम आइसोलेशन बरतें सावधानी -होम आइसोलेशन वालों की निगरानी एक सरकारी डॉक्टर करता है, उससे परामर्श लेते रहें।

- एम्स व अन्य मेडिकल कॉलेज भी टेली कांफ्रेंसिंग पर परामर्श दे रहे हैं।

- दो-तीन दिन बुखार नहीं आने पर भी दवा लेते रहें।

- खून पतला करने, सांस, विटामिन डी व सी दवा डॉक्टर के परामर्श पर लेते रहें।


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