बिहार के एक गांव में चीथड़ों में पल रही बिल गेट्स की 'बेटी', जानिए...
पटना से थोड़ी दूर दानापुर में स्थित है जमसौत मुसहरी गांव। यहां की एक बच्ची रानी को अरबपति बिल गेट्स ने अपनी गोद में खेलाते हुए 'बेटी की तरह' बताया था। उन्होंने गांव के विकास के भी वादे किए थे। लेकिन, 'बेटी' चीथड़ों में लिपटी है तो गांव बदहाल है।
पटना [अमित आलोक]। गंदी पगडंडी पर फटे कपड़े पहने कुपोषित बच्चों के बीच उसकी हंसी में आज भी वही खनक है, जो कभी बिल गेट्स की गोद में खेलते हुए सुनी गई थी। हम बात कर रहे हैं पटना जिला के दानापुर स्थित 'जमसौत मुसहरी' गांव की बच्ची रानी की। उसे गेट्स दंपती ने गोद में लेकर अपनी 'बेटी की तरह' बताते हुए प्यार किया था।
माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स की यह 'संतान' आज फटेहाली की जिंदगी जी रही है। गेट्स दंपती द्वारा बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के तहत इस गांव के विकास के आश्वासन भी अभी तक पूरे नहीं हो सके हैं।
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मार्च 2011 में गांव आए थे गेट्स दंपती
बिल गेट्स फांउडेशन और बिहार सरकार के बीच सन् 2010 में स्वास्थ्य सुधार को लेकर एक समझौता हुआ था। समझौते के तहत स्वास्थ्य के विभिन्न मापदंडों (मातृ मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर, कुपोषण, आंगनबाड़ी, आशा कार्यकर्ताओं आदि) पर काम होना था। इसी सिलसिले में बिल गेट्स दंपती 23 मार्च 2011 में जमसौत आए थे।
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मां को आज भी याद है वो दिन
जमसौत मुसहरी गांव की बच्ची रानी अब करीब पांच साल की हो चुकी है। उसकी मां रुंती देवी को आज भी वह दिन याद है, जब उनकी नन्हीं बेटी को गट्स दंपती ने गोद में लिया था। तब बातों-बातों में उन्होंने रानी के साथ-साथ पूरे गांव के लिए बड़े-बड़े वादे किए थे।
रुंती बताती है कि वह खेत पर मजदूरी करने गई थी कि अचानक घर से बुलाया आया। आने पर देखा कि गेट्स दंपती उसकी कुछ महीनों की बेटी को गोद में लिए हुए हैं।
अब सब उड़ाते उसकी हंसी
रुंती देवी ने अपना दर्द बयां किया कि गांव में सब उसका मजाक उड़ाते हैं। लोग कहते हैं कि इतना बड़ा आदमी आया फिर भी कंगाल ही रह गई। अपनी गरीबी का हाल बताते हुए रुंती कहती है कि बारिश के दिनों में इंदिरा आवास से पानी चूता है तो पूरा परिवार चिमकी (पन्नी) डालकर रात गुजारता है।
इलाज के पैसे नहीं
रानी का बड़ा भाई नीतीश कुमार (10 साल) बीमार रहता है। लेकिन, मां-बाप की अपनी मजबूरियां हैं। खाने को पैसे नहीं तो इलाज कहां से हो?
अधूरे रह गए गांव के विकास के वादे
जमसौत पंचायत की मुखिया बेदामी देवी कहती हैं, गेट्स अपने साथ उम्मीदें लेकर आए थे, लेकिन धरातल पर कोई काम नहीं हुआ। रानी के पिता साजन मांझी कहते हैं, 'साहेब लोग (बिल गेट्स दंपती) के गेला के बाद कुच्छो न होलई हे।' मां रुंती बताती है, 'दीदी जी (पद्मश्री सुधा वर्गीज) एगो सेंटर चलाव हलथिन, जेकरा में औरत लोग के महीना के कपड़ा (नैपकिन पैड) बन हलई। हमहूं ओकरे में काम कर हलियई। लेकिन अब ओहू बंद हो गेलई।'
अधिकांश आबादी निरक्षर
गांव के अधिकांश लोग निरक्षर हैं। यहां शिक्षा की लौ नई है। नई पीढ़ी के लिए एक सरकारी प्राथमिक स्कूल व एक आंगनबाड़ी है। नीतीश अपने दो भाई-बहनों (संजोगा कुमारी व सन्नी कुमार) के साथ स्कूल में पढऩे चला जाता है। भाई-बहनों में सबसे छोटी रानी भी घर के निकट स्थित आंगनबाड़ी केंद्र में जाती है।
मजदूरी कर पालते पेट
दैनिक मजदूरी कर किसी तरह पेट पालने वाले गांव के अधिकांश लोग चाहते हैं कि उनकी संतानें पढ़-लिखकर कुछ हासिल करें, लेकिन पेट की आग ख्वाबों को राख कर दे रही है।
ग्रामीण अमर मांझी ने बताया कि वह पोल गाडऩे का काम करता है, जिसके बदले उसे रोजाना तीन सौ रुपये मिलते हैं। अमर ने आठवीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी। गांव के अन्य लोगों की दास्तान भी ऐसी ही है।
खुले में शौच मजबूरी
मुखिया बेदामो देवी कहती हैं कि गांव में सौर ऊर्जा संचालित आठ-दस नल लगे हैं, जिनसे लोग पीने का पानी लेते हैं। उनके अनुसार यहां बिजली भी है। लेकिन, शौचलय की बात पर उनका जवाब है, 'बन रहा है।' मतलब साफ है कि फिलहाल गांव में सार्वजनिक शौचालय नहीं है। अधिकांश ग्रामीण खुले में शौच करने को विवश हैं।
यह अंतहीन इंतजार...
गांव वालों के अनुसार, बिल गेट्स अपनी पत्नी के साथ जमसौत मुसहरी में फोटो खिंचवाकर चले गए। अब लोगों को उनकी घोषणाओं के अनुसार गांव के विकास का इंतजार है।