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कटलरी यूनिटें चलीं पेपर कप की ओर, सिंगल यूज प्लास्टिक उत्पाद बंद, 5000 श्रमिक हुए बेरोजगार

प्लास्टिक से कप ग्लास थाली चम्मच आदि बनाने वाली कटलरी यूनिटें अब पेपर कप पेपर ग्लास आदि बनाने लगी हैं। कटलरी उत्पाद बनाने वाली राज्य में करीब 100 यूनिटें हैं। इनमें 28 बड़ी यूनिटें हैं। दो थर्मोकोल की यूनिटें भी हैं।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Thu, 07 Jul 2022 05:51 PM (IST)Updated: Thu, 07 Jul 2022 05:51 PM (IST)
कटलरी यूनिटें चलीं पेपर कप की ओर, सिंगल यूज प्लास्टिक उत्पाद बंद, 5000 श्रमिक हुए बेरोजगार
सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध के बाद बंद हुआ कारखानों का पहिया।

दिलीप ओझा, पटना : सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध के बाद अब प्लास्टिक से कप ग्लास, थाली, चम्मच आदि बनाने वाली कटलरी यूनिटें अब पेपर कप, पेपर ग्लास आदि बनाने लगी हैं। राज्य में करीब 100 कटलरी यूनिटें हैं। इनमें से आधा दर्जन यूनिटें पेपर कप बना रही हैं जबकि अन्य मशीनें खामोश हो गई हैं। लगभग 5000 श्रमिक बेरोजगार हो गये हैं। इस सेक्टर के व्यवसायियों की करीब 320 करोड़ रुपये की पूंजी फंस गयी है।   

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बदलेगी तस्वीर

अभी पेपर कप बनाने वाली यूनिटें कम हैं लेकिन यह इंडस्ट्रीज आगे इस दिशा में तेजी से बदल सकती है। जानकारों का मानना है कि यूनिटें अपनी मशीनों को बदलकर पेपर से ही उत्पाद बनाएंगी। 

बिहार में हैं 100 यूनिटें

कटलरी उत्पाद बनाने वाली राज्य में करीब 100 यूनिटें हैं। इनमें 28 बड़ी यूनिटें हैं। दो थर्मोकोल की यूनिटें भी हैं। सिर्फ कटलरी की 28 बड़ी यूनिटों में 250 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। अन्य छोटी यूनिटों में भी लगभग 70 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। इस तरह से कटलरी सेक्टर में लगभग 320 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है।

5000 श्रमिक हुए बेरोजगार

यूनिटों के बंद होने से लगभग 5000 श्रमिक भी बेरोजगार हो गये हैं। इनमें लगभग 80 प्रतिशत महिलाएं हैं जो कम पढी लिखी हैं। इन्हें परेशानी का सामना करना पड़ेगा।

अधिकांश यूनिटों पर बैंक का कर्ज

230 करोड़ रुपये के निवेश में 70 प्रतिशत बैंक का पैसा है। व्यवसायियों का कहना है कि उत्पादन बंद होने से अब बैंक का कर्ज चुकाना मुश्किल होगा।

बायो डिग्रेडेबल मैटेरियल बना रोड़ा 

सिंगल यूज प्लास्टिक का विकल्प बायो डिग्रेडेबल मैटेरियल बताया गया है। बिहार थर्मो फार्मर्स इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम कुमार ने कहा कि यह मैटेरियल देश में नहीं है। इसे जर्मनी, मलेशिया से आयात करने पर यह चार गुना महंगा हो जाएगा। एक रुपये का प्लास्टिक ग्लास चार रुपये में बिकेगा। इसीलिए अब तक बायो डिग्रेडेबल मैटेरियल बिहार नहीं पहुंच सका है।

जल्दबाजी में सरकार ने लिया फैसला

प्रेम कुमार ने कहा कि हैरानी है कि जो देश बायो डिग्रेडेबल मैटेरियल का निर्यात कर रहे हैं वे भी सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध नहीं लगाये हैं। अमेरिका वर्ष 2032 से प्रतिबंध लगाने की घोषणा किया है। प्लास्ट इंडिया फाउंडेशन के अध्यक्ष जिगीश दोषी ने कहा कि प्रतिबंध से जटिल स्थिति का सामना करना पड़ेगा। इन्हें संरक्षण की आवश्यकता है। इन्हें थोड़ा और समय देना बेहतर होता क्योंकि विकल्प पाने में समय लगेगा। 


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