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पटना में लोगों के मिजाज में है संस्कृति और संस्कार : रविशंकर

ऑक्टेव का रंगारंग समापन

By JagranEdited By: Published: Sun, 15 Dec 2019 01:02 AM (IST)Updated: Sun, 15 Dec 2019 01:02 AM (IST)
पटना में लोगों के मिजाज में है संस्कृति और संस्कार : रविशंकर
पटना में लोगों के मिजाज में है संस्कृति और संस्कार : रविशंकर

पटना। पटना के लोगों के मिजाज में संस्कृति व संस्कार है। यहां दीपावली हो, दुर्गा पूजा या कोई और पर्व-त्योहार हो, कहीं शास्त्रीय संगीत का आयोजन होता है, कही कव्वाली तो कहीं सूफी संगीत और कही लोक गायन का भी आयोजन होता है। ये बातें शनिवार को केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहीं। वह बापू सभागार में पूर्वी क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, कोलकाता और प्रदेश के कला संस्कृति एवं युवा विभाग की ओर से आयोजित तीन दिवसीय सांस्कृतिक उत्सव 'ऑक्टेव 2019' के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे।

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उन्होंने कहा कि उत्तर-पूर्व के कलाकारों का यहां आकर सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करना सराहनीय मौका है। उत्तर-पूर्व में मुझे व्यापक रूप से व्यापक रूप से दौरा करने का अवसर मिला है। असम प्रदेश का प्रभारी रहा हूं। उत्तर-पूर्व के लोगों के नृत्य, संगीत, ढोल, थाप, पैरों का चलन, मेघालय व नागालैंड की बेटियों का बैंबू डांस काफी बेहतर है। असम का पारंपरिक नृत्य बिहू नृत्य है। अरुणाचल, मेघालय, नागालैंड, सिक्किम या असम हो, उत्तर-पूर्व भारत का गहना है। सूर्य की पहली किरण वही उगती है। वहां सूर्य के दर्शन होते हैं। वहां पहाड़ भी हैं, हरियाली भी है। संगीत, गीत व नृत्य भी है। पूरा नार्थ ईस्ट एक प्रकार से संगीत का समुद्र है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत को जोड़ने वाले कई तत्व हैं। इसमें आस्था भी है। शंकराचार्य ढाई हजार वर्ष पहले निकले, तब उन्होंने चार धाम को स्थापित किया। इसमें उत्तर में बदरीनाथ, दक्षिण में रामेश्वरम, पूर्व में पुरी एवं पश्चिमी में द्वारिका धाम स्थापित किया है। भारत को आध्यात्मिक, सांस्कृतिक रूप में देखें तो उत्तर-पूर्व भारत का महान हिस्सा है। यहां के लोग स्वाभिमानी होते हैं। वह ना तो मुगलों के सामने झुके ना ही अंग्रेजों के सामने झुके हैं। उनकी साहस व हिम्मत की परंपरा संगीत की परंपरा है।

इस दौरान कला एवं संस्कृति मंत्री प्रमोद कुमार, उद्योग मंत्री श्याम रजक, आईएएस अधिकारी रवि परमार, दीपक आनंद, विधायक नीतिन नवीन, अरूण कुमार सिन्हा, पूर्व क्षेत्र सास्कृतिक केंद्र, कोलकाता के निदेशक गौरी बसु, जय कुमार भी उपस्थित रहे। कला एवं संस्कृति मंत्री ने इस दौरान बेहतर प्रदर्शन करने वाले टीमों को सम्मानित किया। कार्यक्रम में अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा के कलाकारों ने एक से बढ़ कर एक कला का प्रदर्शन कर सबका मन मोह लिया।

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आठ राज्यों की लोक कलाओं का हुआ प्रदर्शन

कार्यक्रम में कलाकारों ने पूर्वोत्तर भारत से लेकर बॉलीवुड के गाने को अपने अंदाज में प्रस्तुत किया। उसके बाद पूर्वोत्तर भारत के आठ राज्यों की लोक कला का प्रदर्शन भी हुआ। आज भी पूर्वोत्तर की वेशभूषा और रहन-सहन थीम पर फैशन शो का आयोजन किया गया। मेघालय की टीम ने खासी समुदाय का एक प्राचीन बुद्ध नृत्य प्रस्तुत किया। इसमें कलाकारों ने तलवार के साथ अपनी सांस्कृतिक विरासत को दिखाया। त्रिपुरा के कलाकारों ने मामीता थीम पर डांस कर वहां के संस्कृति को बताया। अरुणाचल प्रदेश की टीम ने रिकमपादा थीम पर ग्रामीणों की जीवन के बारे में दिखाया। असम से आई टीम ने वोरदोईसिखला थीम पर डांस कर सब का मन मोह लिया।

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त न दिनों तक बही संस्कृति की गंगा

प र्वी क्षेत्र सास्कृतिक केंद्र कोलकाता संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार और कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार सरकार कि ओर से तीन दिनों तक उत्तर पूर्वी भारत के राज्यों की कला और संस्कृति का उत्सव शनिवार को संपन्न हो गया। इसमें पूर्व क्षेत्र सास्कृतिक केंद्र, कोलकाता के निदेशक गौरी बसु ने कहा कि उत्तर-पूर्व की समृद्ध सास्कृतिक परंपराओं को अभिव्यक्त करनेवाला एक खूबसूरत त्योहार है जिसे 2006 में शुरू किया गया था। ऑक्टेव पूर्वोत्तर को ध्यान में लाता है और देश के अन्य हिस्सों के लोगों के बीच इस क्षेत्र के शानदार और सामंजस्यपूर्ण सौंदर्य के बारे में बेहतर रूप से समझ विकसित करता है। अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा के अष्टकोणीय गठन की अपनी अलग सास्कृतिक परंपरा और स्थलाकृति है।


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