जीएसटी से करोड़ों का फर्जीवाड़ा, जानें कैसे होता है GST का रिफंड
फर्जी कंपनी दिखाकर जीएसटी द्वारा घोटाला करने का मामला प्रकाश में आया है।
पटना, जेएनएन। सरकार की एक सुविधा को ही लोगों ने पैसे कमाने का हथकंडा बना लिया है। पटना में फर्जी कंपनी का गठन व कागजी कारोबार दिखाकर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के करोड़ों रुपये का चूना लगाने का मामला सामने आया है। टैक्स चोरी में माहिर कारोबारी एक ही माल की खरीद-बिक्री पांच बार दिखाकर करोड़ों रुपये का इनपुट क्रेडिट लेते जा रहे हैं। बिना पूंजी और कारोबार किए ही जीएसटी रिफंड लेने का मामला लगातार उजागर हो रहा है।
छपरा से उजागर हुआ है मामला
केंद्रीय जीएसटी की टीम को भनक लगी कि गया शहर में किसी कंपनी ने 35 करोड़ रुपये का रिफंड लिया है। जांच में कंपनी के पते पर कुछ भी नहीं मिला तो मामला जीएसटी इंटेलिजेंस को सौंपा गया। बिहार में 144 करोड़ का जीएसटी रिफंड का सबसे बड़ा मामला छपरा में उजागर हुआ है।
इंटेलिजेंस टीम को सौंपे जा रहे मामले
नई कर प्रणाली में फर्जी कंपनी का गठन कर कागजी कारोबार दिखाकर जीएसटी रिफंड लेने वालों को पकड़ पाना काफी मुश्किल हो गया है। जीएसटी कमिश्नर के स्तर पर अपने कार्य क्षेत्र में वस्तुओं के आवागमन की ट्रैकिंग सिस्टम तो है लेकिन दूसरे प्रदेश में जैसे ही माल जाता है नेटवर्क से संपर्क टूट जाता है। ऐसे मामले अब जीएसटी की इंटेलिजेंस टीम को सौंपे जा रहे हैं। दरअसल इंटेलिजेंस टीम के पास ही देश भर के जीएसटी नेटवर्क और सर्च का ऑप्शन दिया गया है।
किस प्रकार होता है जीएसटी का रिफंड
रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी के यहां कंपनी का किसी भी नाम से निबंधन कराया जाता है। कंपनी जीएसटी के इनपुट क्रेडिट और रिफंड के लिए कागज पर कच्चे माल की खरीदारी दिखाती है। माल की फैक्ट्री में बिक्री और फैक्ट्री से प्रोडक्ट बेचने तक की चेन बनी हुई है। इस चेन में बड़े-बड़े कारोबारी शामिल हैं। वे जिस राज्य के माल की खरीद-बिक्री दिखाना चाहें, उन्हें उसका कागज मिल जाता है। इसी के आधार पर जीएसटी इनपुट क्रेडिट ले लिया जाता है। कारोबारी जीएसटी चुकाने की बजाय इनपुट क्रेडिट के आधार पर करोड़ों रुपये हजम कर रहे हैं।