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CoronaVirus Effect: सैकड़ों वर्षों के इतिहास में पहली बार विश्वप्रसिद्ध सोनपुर मेले को लेकर संशय

कोरोना संक्रमण को लेकर मेला पर ग्रहण लगने के आसार दिख रहे हैं। मेला को लेकर ना तो कोई दिशा-निर्देश जारी हुआ और ना ही कोई सुगबुगाहट दिख रही है। प्रबुद्ध नागरिकों का कहना है कि आवश्यक दिशा निर्देश जारी करते हुए मेला अवश्य लगाया जाना चाहिए।

By Bihar News NetworkEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 06:28 PM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 06:28 PM (IST)
CoronaVirus Effect: सैकड़ों वर्षों के इतिहास में पहली बार विश्वप्रसिद्ध सोनपुर मेले को लेकर संशय
हरिहर क्षेत्र के मशहूर सोनपुर मेले का एक दृश्य। जागरण आर्काइव।

सोनपुर, जेएनएन: हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला के सैकड़ों वर्षो के इतिहास में संभवतः यह पहला अवसर है जब मेला लगने और नहीं लगने को लेकर लोगों में निराशा तथा संशय बना हुआ है। कोविड-19 से देश में उपजे भयावह हालत के बीच अभी तक इस विश्व विख्यात मेला के संदर्भ में ना तो प्रशासनिक स्तर पर कोई दिशा निर्देश जारी किया गया है और ना ही मेला के पहले होने वाली तैयारियां की कोई सुगबुगाहट है। 

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उधेड़बुन में व्यापारी

इधर सोनपुर नागरिक मंच ने इस आशय का एक आवेदन सारण के जिलाधिकारी को दिया। इस मंच के अध्यक्ष तथा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रामविनोद सिंह का कहना है कि मेला आरंभ होने में महज सवा महीना का समय शेष रह गया है। ऐसे में अभी तक प्रशासनिक स्तर पर कोई पहल नहीं किए जाने से यहां के लोगों में व्यवस्था के प्रति क्षोभ व्याप्त है। इस मेले में पंजाब, हरियाणा, यूपी तथा जम्मू कश्मीर, दिल्ली आदि से अपनी विभिन्न प्रकार की दुकानें लेकर आने वाले व्यापारी भी उधेड़बुन में हैं। उधर सरकारी तंत्र मेला पर कुछ भी स्पष्ट रूप से बोलने से बच रहा है।

मेला प्रेमियों के उम्मीद पर धुंध

मालूम हो कि कोरोना को लेकर लाॅक डाउन तथा अनलॉक के दौरान न केवल बाबा हरिहर नाथ मंदिर को बंद करवा दिया गया तथा बल्कि सावन के महीने में यहां शिव भक्त कांवरियों के स्नान व जलाभिषेक पर भी पाबंदी लगा दी गयी थी। इसके बाद जब धीरे-धीरे सामान्य होता जनजीवन पटरी पर लौटा तो लोगों में यह उम्मीद जगी कि हरिहर क्षेत्र मेला लगेगा। लेकिन अब तक मेला का डाक नहीं होने तथा मेला समिति की बैठकों का आयोजन नहीं किये जाने एवं मेला के संदर्भ में किसी मंत्री अथवा अधिकारी का बयान नहीं आने से मेला प्रेमियों के उम्मीद पर धुंध छायी हुई है। 

कारोबारियों को भारी आर्थिक क्षति 

मेला नहीं लगने की स्थिति में न केवल सरकारी राजस्व का नुकसान होगा बल्कि मेले में कारोबार करने वाले कारोबारियों को भी भारी आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ेगा । यहां के प्रबुद्ध नागरिकों का कहना है कि कोरोना से बचाव को लेकर सरकार के स्तर पर आवश्यक दिशा निर्देश जारी करते हुए इसे सख्ती से लागू किये जाने के बीच मेला अवश्य लगाया जाना चाहिए।


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