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CoronaVirus Bihar: बिहार में कोरोना अस्पतालों में अव्यवस्था, मजबूरी में होम आइसोलेशन पसंद कर रहे मरीज

CoronaVirus Bihar बिहार के काेरोना अस्‍पतालों में कुव्‍यवस्‍था के कारण मरीज होम आइसोलेशन में रहना ही पसंद कर रहे हैं। वे स्थिति गंभीर होने पर ही मजबूरी में अस्‍पताल जा रहे हैं।

By Amit AlokEdited By: Published: Sun, 19 Jul 2020 07:29 AM (IST)Updated: Mon, 20 Jul 2020 03:33 PM (IST)
CoronaVirus Bihar: बिहार में कोरोना अस्पतालों में अव्यवस्था, मजबूरी में होम आइसोलेशन पसंद कर रहे मरीज
CoronaVirus Bihar: बिहार में कोरोना अस्पतालों में अव्यवस्था, मजबूरी में होम आइसोलेशन पसंद कर रहे मरीज

पटना, जागरण टीम। CoronaVirus Bihar: बिहार में कोरोना अस्पतालों (Corona Hospitals) में जांच और इलाज में देरी, कोताही और एक शौचालय सबके लिए जैसी शिकायतें आ रहीं हैं। गंभीर मरीजों को भर्ती कराने में नियम बाधक बन रहे और कोरोना से भयाक्रांत लोग और परेशान हो रहे हैं। संक्रमितों के स्वजन इन दिनों स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को फोन पर गुहार लगाते हैं। बड़े अधिकारी जब हस्तक्षेप करते हैं, तब गंभीर रूप से बीमार की भर्ती होती है। यही वजह है कि लोग अस्पताल में आइसोलेट होने की तुलना में घर में रहकर इलाज कराना पसंद कर रहे हैं। अस्पताल का रुख गंभीर मरीज ही कर रहे हैं।

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सिफारिश और प्रबंधन की मर्जी पर इलाज

कोविड अस्पताल (COVID Hospital) घोषित नालंदा मडिकल काॅलेज एवं अस्‍पताल (NMCH) में 240 बेड खाली हैं। वहां निर्धारित जिलों के रोगियों को ही भर्ती किया जाता है। छपरा, सिवान, पटना के लिए पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्‍पताल (PMCH) को कोविड अस्पताल बनाया गया है, लेकिन वहां मंगलवार से इलाज शुरू होगा। तब तक इन जिलों के मरीज सिफारिश और अस्पताल प्रबंधन की मर्जी पर भर्ती हो सकेंगे।

एनएमसीएच ने नहीं लिए भेजे गए मरीज

इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्‍थान (IGIMS) के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने शुक्रवार की देर रात पटना के बीएमपी-1 जवान और अरवल एवं रोहतास जिले के कुछ संक्रमितों को कोरोना अस्पताल एनएमसीएच भेजा था। आग्रह के बाद भी जब उन्हें भर्ती नहीं किया गया, क्योंकि वे निर्धारित जिले से नहीं आए थे। फिर डॉ. मनीष मंडल ने पटना के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान (AIIMS) के कोरोना नोडल पदाधिकारी डॉ. संजीव कुमार से बात कर उन्‍हें भर्ती कराया।

अपने जिले से रेफर होकर आएं मरीज

पटना की अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी (ACMO) डॉ. विभा कुमारी सिंह कहती हैं कि  किस कोविड अस्पताल में किन-किन जिलों के कोरोना संक्रमितों का इलाज होगा, यह निश्चित कर दिया है। इन मरीजों को अपने जिले के संबंधित मेडिकल कॉलेज से रेफर होकर आना चाहिए।

एम्स बन रहा सहारा, बेड से अधिक भर्ती

पटना एम्स अभी इन नियमों से अलग है। वहां आधिकारिक रूप से 175 बेड ही हैं। शुक्रवार शाम तक वहां 284 गंभीर कोरोना मरीज आइसीयू, सीसीयू से लेकर अन्य बेडों पर भर्ती हैंं।

संक्रमित होने पर पटना गए भागलपुर डीएम

पूर्व बिहार का सबसे बड़ा अस्पताल है भागलपुर का जवाहर लाल नेहरूमेडिकल कॉलेज अस्पताल (JLNMCH)। छह सौ बेड यहां हैं कोरोना मरीजों के लिए। वहां सिर्फ 79 मरीज भर्ती हैं। टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज स्थित कोविड सेंटर में 130 मरीजों का इलाज चल रहा है। भागलपुर में पटना से पहले दोबारा लॉकडाउन लगा। डीएम प्रणव कुमार कोरोना संक्रमित हुए तो उन्होंने छुट्टी ली और पटना चले गए। कमिश्नर वंदना किनी भी संक्रमित होने के बाद होम आइसोलेशन में हैं। भागलपुर के अस्पताल में इलाज की व्यवस्था यह है कि मरीज यहां रहना नहीं चाहते। कोरोना संक्रमित मरीज निरंजन साह ने स्वजनों को बताया कि वे यहां से भाग जाएंगे। यहां की अव्यवस्था से नाराज होकर वे अस्पताल से जाने लगे थे। बाद में उन्हें मेडिकल कर्मियों ने समझाकर वहां रोका। यह आम शिकायत है कि डॉक्टर वहां मरीजों को देखने नहीं जाते हैं। इसी अस्पताल में यूको बैंक के सीनियर मैनेजर संतोष कुमार साहू की मौत हो गई थी। लापरवाही की जांच की प्रशासनिक जांच शुरू हुई है। आरोप यह भी है कि उनके शव को जलाने के लिए अस्पताल कर्मियों ने 36 हजार रुपये लिए।

गर्म पानी पीना है, पर व्यवस्था नहीं

मुंगेर का उदाहरण ऐसा ही है। मरीजों के लिए 421 बेड की व्यवस्था है। 322 मरीज भर्ती हैं। पूरब सराय स्थित आइसोलेशन सह ट्रीटमेंट सेंटर में भर्ती मरीज मो. रहमान कहते हैं कि डॉक्टर साहब कहते हैं कि गर्म पानी पीना है। यहां पानी गर्म करने की व्यवस्था ही नहीं। डॉक्टर गेट पर से ही मरीजों की समस्या पूछ कर लौट जाते हैं। हालांकि, यहां के सिविल सर्जन डॉ. के पुरुषोत्तम कुमार कहते हैं कि मरीजों की हर सुविधा का ध्यान रखा जाता है।

उत्तर बिहार में 1248 में से 1061 बेड खाली

उत्तर बिहार में कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए छह जिलों में कोविड अस्पताल बनाए गए हैं। मुजफ्फरपुर, दरभंगा, पूर्वी-पश्चिम चंपारण, सीतामढ़ी और शिवहर मिलाकर कुल 10 अस्पताल हैं। इनमें 1248 बेड निर्धारित हैं। इनमें 187 भरे और 1061 खाली हैं। अधिसंख्य संक्रमित मरीज अस्पताल की जगह घर पर रहना चाहते हैं। कई जिलों में कोविड अस्पताल नहीं बनाए गए हैं। वहां गंभीर मामले सामने आने पर मुजफ्फरपुर, दरभंगा या पटना रेफर कर दिए जाते हैं।

स्‍वजनों ने खुद लगाया ऑक्‍सीजन मास्‍क

एक और घटना की चर्चा भी जरूरी है। 16 जुलाई को मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्‍ण मेडिकल कॉलेज एवं अस्‍पताल (SKMCH) में संदिग्ध मरीज अघोरिया बाजार निवासी संजय वर्मा  को लाया गया था। स्वजन भर्ती कराने के लिए भटकते रहे। तबीयत बिगड़ने पर स्वजनों ने खुद ऑक्सीजन मास्क लगाया। शिकायत के बाद अस्पताल कर्मियों ने मामले को संभाला। एसकेएमसीएच के प्राचार्य डॉ. विकास कुमार कहते हैं कि मामले की जांच के लिए कमेटी गठित की गई है। लेकिल सवाल यह है कि लापरवाही केि कारण अगर मरीज की मौत हो जाए तो जांच करने या दोषी को दंड देने से क्‍या वह वापस आ जाएगा?


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