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RJD से अलग होते ही बिहार में खुद को मजबूत करने में जुटी कांग्रेस, नवंबर से होगा खास प्‍लान पर काम

Bihar Politics बिहार विधानसभा की दो सीटों के उप चुनाव में राजद की बेवफाई से सबक ले चुकी कांग्रेस अपनी ताकत बढ़ाने की कोशिश में जुट गई है। कांग्रेस नेता साफ तौर पर कह रहे हैं कि अब राजद और उनका रास्‍ता अलग हो चुका है।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Mon, 18 Oct 2021 12:42 PM (IST)Updated: Mon, 18 Oct 2021 12:42 PM (IST)
कांग्रेस की राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष सोनिया गांधी। फाइल फोटो

पटना, राज्य ब्यूरो। Bihar Politics: बिहार विधानसभा की दो सीटों के उप चुनाव में राजद की बेवफाई से सबक ले चुकी कांग्रेस अपनी ताकत बढ़ाने की कोशिश में जुट गई है। कांग्रेस नेता साफ तौर पर कह रहे हैं कि अब राजद और उनका रास्‍ता अलग हो चुका है। आगे क्‍या होगा, यह आलाकमान तय करेगा। अपनी पार्टी को मजबूत करने की शुरुआत अधिक से अधिक लोगों को पार्टी से जोड़ने की मुहिम से हो रही है। सदस्यता अभियान एक नवंबर से चलेगा। अभी अभियान की आखिरी तय नहीं है। पुराने सदस्यों के नवीनीकरण के अलावा 13-14 लाख नए सदस्यों को जोड़ने का लक्ष्य है। पुराने सदस्यों की संख्या 17 लाख बताई गई है।

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सरकार से नाराज लोगों से कांग्रेस को उम्‍मीद

प्रदेश अध्यक्ष डा. मदन मोहन झा ने सोमवार को बताया कि केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों से नाखुश लोग कांग्रेस की ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं। ऐसे लोग मानने लगे हैं कि कांग्रेस के शासन में ही सबके लिए सोचा जाता है। लोगों के मन में हो रहे बदलाव का लाभ कांग्रेस को मिलेगा। वे कांग्रेस से जुड़ेंगे। उन्होंने कहा कि अधिक लोगों को आकर्षित करने के लिए कांग्रेस की सदस्यता नीति में बदलाव भी किया गया है।

एक श्रेणी के होंगे सभी सदस्य

डा. झा ने बताया कि नई नीति में कांग्रेस के सभी सदस्यों को एक श्रेणी में रखा गया है। इससे पहले साधारण और सक्रिय सदस्य की श्रेणी थी। सदस्यता शुल्क के तौर पर साधारण सदस्यों से पांच और सक्रिय सदस्यों से 25 रुपया लिया जाता था। अब सभी सदस्यों के लिए एक समान पांच रुपया सदस्यता शुल्क तय किया गया है। ये सदस्य संगठन में किसी भी पद पर जाने के लिए अधिकृत होंगे।

प्राथमिकता में है यह समूह

सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस अपने सदस्यता अभियान में एक खास समूह को पार्टी से जोडऩे की कोशिश करेगी। कोरोना संकट के बाद बड़ी संख्या में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और दूसरे राज्यों से बड़ी संख्या में श्रमिक और छोटे कारोबारी गांव लौट आए हैं। ये लोग स्थानीय स्तर पर जीवन यापन की तलाश कर रहे हैं। लेकिन, सफलता नहीं मिल रही है। महंगाई के कारण पैदा हुई परेशानी को भी कांग्रेस अपने पक्ष में करना चाहती है। हालांकि, तत्कालीन प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने ऐसे ही लोगों को पार्टी से जोडऩे के लिए डेढ़ साल पहले डिजिटल सदस्यता अभियान चलाया था। उसमें खास कामयाबी नहीं मिल पाई थी।


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