बिहार में खेमों में बंटी कांग्रेस तय नहीं कर पा रही अपना एजेंडा
बिहार में कांग्रेस की स्थिति ठीक नहीं है, पार्टी जनता के बीच अपनी पकड़ बनाने के लिए खुद का एजेंडा तय नहीं कर सकी है। अंदरूनी मामले ने ही कांग्रेस को कमजोर किया है।
पटना [एसए शाद]। बिहार कांग्रेस में इस समय सब कुछ ठीक नहीं है। यह स्थिति नई नहीं है। पिछले एक दशक से खेमों में बंटी कांग्रेस 20 माह तक सत्ता में भी रही, फिर भी जनता के बीच अपनी पकड़ बनाने के लिए कोई एजेंडा तय नहीं कर सकी। सत्ता से अलग हुए करीब डेढ़ माह का समय बीत चुका है, परन्तु विपक्ष में आ जाने के बावजूद कांग्रेस खुद को विपक्षी दल के रूप में सक्रिय नहीं कर सकी है।
पार्टी नेताओं की सक्रियता लगी रही खेमेबाजी में
किसी ज्वलंत मुद्दे पर पिछली बार प्रदेश की कांग्रेस इकाई कब सड़क पर उतरी है, यह शायद ही कोई बता सके। पार्टी ने खुद को केवल बयान जारी रखने तक सीमित रखा। 2015 में कांग्रेस ने राजद और जदयू के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और 27 सीटों पर कब्जा किया तो कार्यकर्ताओं में बड़ी उम्मीद जगी थी। लेकिन संगठन विस्तार से अधिक पार्टी नेताओं की सक्रियता खेमेबाजी में रही।
प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए मचा है संग्राम
प्रदेश अध्यक्ष पद पर दावेदारी के लिए हमेशा आधा दर्जन से अधिक नेता ताल ठोंकते रहे। जदयू के महागठबंधन से अलग होकर भाजपा के साथ सरकार बना लेने के बाद तो स्थिति और विकट हो गई है। पार्टी को जहां सशक्त विपक्ष की भूमिका में नजर आना चाहिए वहीं इसके कई विधायक और खुद प्रदेश अध्यक्ष का नाम पार्टी छोडऩे वालों के रूप में अखबार की सुर्खियां बनने लगा। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को हस्तक्षेप करना पड़ा।विधायकों को दिल्ली तलब किया गया।
सृजन घोटाले पर राजद हमलावर, कांग्रेस खामोश
इधर सृजन घोटाले को लेकर राजद लगातार राज्य सरकार पर हमलावर है, लेकिन कांग्रेस में खामोशी है। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ताओं ने इस मुद्दे पर आवाज बुलंद करते हुए मुख्यमंत्री के इस्तीफे तक की मांग की। कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि सृजन घोटाला भागलपुर में हुआ है और वहां के दो बड़े नेताओं के नाम पार्टी छोडऩे की इच्छा रखने वालों में शामिल है। पार्टी में इस कारण भी इस मुद्दे पर खामोशी है।
वैसे, कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता हरखू झा की मानें तो पार्टी का एजेंडा तय है। भाजपा के खिलाफ हमें अभियान चलाना है। अब जबकि नीतीश कुमार भी भाजपा के साथ हो गए हैं, हमें उनके खिलाफ भी मुहिम चलानी है। लेकिन वह यह नहीं बता सके कि पार्टी ने हाल के दिनों में ऐसा कोई अभियान चलाया है।
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सृजन घोटाले पर पार्टी का रुख स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि अभी सीबीआइ जांच कर रही है। जांच के बाद ही हम कोई कदम उठाएंगे। यह पूछे जाने पर कि राजद लगातार बाढ़ राहत में कोताही का सरकार पर आरोप लगा रहा है, लेकिन कांग्रेस खामोश है, हरखू झा ने कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया है।
उनके मुताबिक, राहुल गांधी अपनी विदेश यात्रा से 20 सितंबर को लौटेंगे। उनके लौटने पर आगे के कार्यक्रम तय होंगे।