बिहार के दवा कारोबारी हिस्सेदारी को लेकर चिंतित, स्वास्थ्य सचिव को मेडिसिन कंपनियों ने गिनाईं कमियां
Medicine News स्वास्थ्य सचिव ने हाल ही में दवा निर्माताओं के साथ मुलाकात की। बिहार में दवा कारोबार को कैसे आगे बढ़ाया जाए और राज्य के दवा कारोबारियों की इसमें हिस्सेदारी कैसे बढ़े इसको लेकर विचार विमर्श किया गया।
राज्य ब्यूरो, पटना : बिहार में दवा कारोबार को कैसे आगे बढ़ाया जाए और राज्य के दवा कारोबारियों की इसमें हिस्सेदारी कैसे बढ़े, इसे लेकर स्वास्थ्य सचिव ने हाल ही में दवा निर्माताओं के साथ गहन विचार विमर्श किया। बैठक में निर्माताओं ने कहा, प्रदेश में दवा का कारोबार एक हजार करोड़ रुपये का है, लेकिन इसमें राज्य के दवा निर्माताओं का हिस्सा मात्र सौ करोड़ ही है। इस दौरान इन लोगों ने विभाग के स्तर पर आ रही परेशानियां से भी अवगत कराया। स्वास्थ्य सचिव गोरखनाथ ने आश्वस्त किया कि तमाम कमियों को दूर करने के हर संभव प्रयास किए जाएंगे।
- - दवा निर्माता कंपनियों ने स्वास्थ्य विभाग को गिनाईं कमियां
- - विभाग बोला, जो कमियां हैं उन्हें दूर करने के उपाय होंगे
जानकारी के अनुसार, दवा निर्माताओं ने बैठक में जानकारी दी कि गुुजरात, महाराष्ट्र में दवा निर्माण से संबंधित सभी प्रकार के लाइसेंस (जैसे उत्पादन क्षमता प्रमाण-पत्र, उत्पादन और बाजार की मांग) उप औषधि नियंत्रक या सहायक औषधि नियंत्रक के स्तर पर जारी होते हैं, लेकिन बिहार में यह काम राज्य औषधि नियंत्रक करते हैं। जिस वजह से पत्राचार में अनावश्यक विलंब होता है। नतीजतन टेंडर और अन्य कार्य में दवा निर्माता भाग नहीं ले पाते।
नियंत्रक को दी गई शक्तियों का अलग-अलग बंटवारा हो
विभाग से मांग की गई कि औषधि नियंत्रक को दी गई शक्तियों का अलग-अलग बंटवारा होना चाहिए, ताकि अनावश्यक विलंब से बचा जा सके और राज्य के औषधि निर्माता अपने व्यापार को बढ़ा सकें। बैठक में दवाओं के मूल्य निर्धारण, तीन वर्ष पर दवा निर्माण कंपनियों का निरीक्षण जैसे बिंदुओं पर भी चर्चा हुई।
आवश्यक उपाय करेगा विभाग
बैठक में सभी पहलुओं को सुनने के बाद स्वास्थ्य सचिव ने आश्वस्त किया कि दवा निर्माताओं द्वारा सुझाए गए उपायों पर विभाग गंभीरता पूर्वक विचार करने के बाद यथा संभव आवश्यक उपाय करेगा ताकि राज्य के दवा कारोबारी दवा कारोबार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा सकें।