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डीजीपी बॉक्स में आ रही बिजली, पानी की शिकायत

राजधानी की छात्राओं और आम युवतियों के साथ आए दिन बीच रास्ते में छेड़छाड़ के मामले सामने आते हैं

By JagranEdited By: Published: Wed, 06 Nov 2019 06:00 AM (IST)Updated: Wed, 06 Nov 2019 06:32 AM (IST)
डीजीपी बॉक्स में आ रही बिजली, पानी की शिकायत
डीजीपी बॉक्स में आ रही बिजली, पानी की शिकायत

पटना। राजधानी की छात्राओं और आम युवतियों के साथ आए दिन बीच रास्ते में छेड़छाड़ के मामले सामने आते रहते हैं। लैंगिक वजहों से उन्हें समाज में और भी कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। ऐसी ही शिकायतों को ध्यान में रखते हुए डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने लड़कियों की सुरक्षा के लिए हर महिला कॉलेज में डीजीपी बॉक्स लगाने की बात कही थी। हालांकि अब तक राजधानी के दो कॉलेजों में ही ये बॉक्स लग पाया है। आपको यह जानकर आश्चर्य हो सकता है कि इस बॉक्स में लड़कियों के प्रति होने वाले अपराध की बजाय बिजली और पानी की शिकायतें आ रही हैं। पटना वीमेंस कॉलेज में खाली पड़ा डीजीपी का बॉक्स :

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पटना वीमेंस कॉलेज परिसर में गेट से अंदर आते ही छात्रों की सुरक्षा के लिए डीजीपी का बॉक्स लगा हुआ है। इसमें छात्राओं को बिना अपना नाम और पता डाले अपनी शिकायत दर्ज करवाने की सुविधा है। यह बॉक्स लगाए जाने के एक साल बाद भी खाली ही रहता है। कॉलेज की छात्राओं को पता भी नहीं है कि ये बॉक्स कहां है और इसमें कैसे शिकायत डाली जाती है। कॉलेज की छात्रा पूजा का कहना है कि उन्हें इस बॉक्स के बारे में कोई जानकारी नहीं है।

ताले में बंद है डीजीपी बॉक्स :

पटना वीमेंस कॉलेज में डीजीपी बॉक्स मुख्य दरवाजे के पास ताले में बंद करके रखा गया है। यहां तक कि कॉलेज के गेट पर गार्ड को भी नहीं पता है कि यहां बॉक्स क्यों लगाया गया है। मगध महिला कॉलेज में बिजली-पानी की शिकायत :

मगध महिला कॉलेज में छात्राओं को ये जानकारी तक नहीं है कि डीजीपी बॉक्स में किस तरह की शिकायत को डाला जाता है। डीजीपी बॉक्स में छात्राओं द्वारा बिजली-पानी जैसी शिकायतें डाली जा रही हैं। पिछली बार 14 सितंबर को यह बॉक्स खुला तो इसमें कुल 10 शिकायतें मिली हैं। इनमें से बस दो ही शिकायतें पुलिस महकमे से संबंधित हैं। बाकी शिकायतों में नामांकन कराने और बिजली-पानी जैसे मसले उठाए गए हैं। प्राचार्य की पहल पर खुलता है डीजीपी बॉक्स :

कॉलेज की प्राचार्य प्रो. शशि शर्मा का कहना है कि डीजीपी बॉक्स खोलवाने के लिए हमेशा पुलिस प्रशासन को कॉल करके बुलाना होता है। कभी तो वो समय पर आ जाते हैं और कभी आते ही नहीं हैं। डीजीपी बॉक्स के प्रति ना तो छात्राओं की रुचि दिखती है और ना ही पुलिस प्रशासन की। आखिरी बार 14 सितंबर को फोन करने के बाद महिला थाना प्रभारी ने आकर बॉक्स को खोला था।


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