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ईद का इंतजार, टोपी और सेवई से सजने लगे बाजार, जानिए कीमत

ईद को लेकर बाजार रंग-बिरंगे टोपियों और सेवई से सज गया है। मंडियों व थोक से खरीदारी कर अब खुदरा दुकानदार मोहल्लों में खुली दुकानों को सजाने लगे हैं।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Sat, 09 Jun 2018 04:36 PM (IST)Updated: Sat, 09 Jun 2018 07:36 PM (IST)
ईद का इंतजार, टोपी और सेवई से सजने लगे बाजार, जानिए कीमत
ईद का इंतजार, टोपी और सेवई से सजने लगे बाजार, जानिए कीमत

पटना [जेएनएन]। अल्लाह की रहमत व बरकत वाला माह-ए-रमजान अब विदा होने को है। ईद की खुशियां घरों पर दस्तक देने ही वाली हैं। इस त्योहार को लेकर बाजार सजने लगे हैं। ईद में इस्तेमाल होने वाली सामग्री की दुकानें मौसमी कारोबारियों द्वारा सजाई जाने लगी हैं। इस कारण थोक व खुदरा कारोबार से जुड़े व्यापारियों की सक्रियता बढ़ गई है। स्थिति यह है कि मंडियों व थोक से खरीदारी कर अब खुदरा दुकानदार मोहल्लों में खुली दुकानों को सजाने लगे हैं।

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बढ़ी लच्छा व सेवई की मांग

यूं तो रमजान माह आरंभ होते ही बाजारों में सेवई व लच्छे की डिमांड बढ़ जाती है। इसे ईद का खास पकवान माना जाता है। ऐसे में सेवई व लच्छा का बाजार सजने लगा है। पटना के आधा दर्जन मुहल्लों में संचालित एक दर्जन से अधिक लच्छा व सेवई के कारखानों में ईद की खपत को लेकर निर्माण चल रहा है।

कारोबारियों की मानें तो रमजान व ईद में लगभग पांच करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार होगा। इसमें महीन सेवई सादी 80 से 110 रुपये प्रति किलो, मोटी सेवई 90 से 140 रुपये प्रति किलो, सादी महीन सेवई 24 से 28 रुपये पैकेट प्रति 150 ग्राम, मोटी सेवई 12 से 15 रुपये प्रति 100 ग्राम के पैकेट में, लच्छा रिफाइंड 140 से 180 रुपये तक, लच्छा सेवई उत्तम 150 से 250 रुपये प्रति किलो, बंगाली लच्छा 180 से 220 रुपये प्रति किलो तक की दर पर बाजार में उपलब्ध है। कारोबारियों की मानें तो रमजान से लेकर ईद की अवधि में लगभग 45 लाख रुपये के सेवई व लच्छा का व्यापार होने का अनुमान है।

ईद में रहेगी टोपियों की बहार

अल्लाह की रहमत व बरकत वाले माह-ए- रमजान के साथ आने वाले ईद को ले बाजार में टोपियों की बहार आ गई है। सब्जीबाग में थोक खरीदारों की ओर से मंगाई गई टोपी अब चौक-चौराहों पर सजी दुकानों में पहुंचने लगी है। इसके कारोबार से जुड़े पश्चिम दरवाजा के कारोबारी मो. सोनू ने बताया कि टोपियों का कारोबार ईद के निकट रहने पर अधिक होता है। बाजार सूत्रों की मानें तो अनुमान के मुताबिक बाजार में रमजान से लेकर ईद तक टोपियों के दो करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार होने की उम्मीद है।

कहां से आती है टोपी

कारोबारियों ने बताया कि पटना के बाजारों में यूं तो सालों भर टोपियों की बिक्री होती है पर रमजान से लेकर ईद के दौरान इसकी बिक्री सात गुना बढ़ जाती है। बकरीद में भी इसकी बिक्री दोगुना बढ़ जाती है। कारोबारियों ने बताया कि पटना की मंडियों में टोपी बिक्री के लिए लखनऊ, दिल्ली, हैदराबाद, रामपुर व  कोलकाता के साथ अन्य स्थानों से आती है। बंगला देश की टोपी भी महानगर के रास्ते पटना के बाजारों में आती है। ईद को लेकर फुटकर बाजारों में टोपियों की दर्जनों क्वालिटी उपलब्ध हो जाएगी।

अखिल भारतीय सब्जबाग रंगरेज ऑर्गेनाइजेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष रजी अहमद सिद्धकी की मानें तो रामपुर व हैदराबाद की कल्ला टोपी में मखमल का उपयोग होता था। तीन दशक पहले तक हैदराबाद व रामपुर की कल्ला चौड़ी टोपी का निर्माण पटना सिटी में आधा दर्जन कारीगर करते थे। अब यह अतीत का हिस्सा बन गई है।

कीमतों पर एक नजर

पल्ले वाली टोपी : 20 से 65 रुपये प्रति पीस

पल्ला कढ़ाई वाली टोपी : 50 से 165 रुपये प्रति पीस

कल्ला रोआ टोपी : 100 से 280 रुपये प्रति पीस

गोल टोपी साधारण : 15 से 65 रुपये प्रति पीस

गोल टोपी स्पेशल : 40 से 100 रुपये प्रति पीस


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