बाढ़-सुखाड़ पर नीतीश गंभीर, कहा- बिहार में आपदा की दोहरी मार की आशंका, अलर्ट रहें अफसर
मुख्यमंत्री ने ली बाढ़-सुखाड़ के हालात की जानकारी 18 अगस्त को फिर होगी समीक्षा। उन्होंने समीक्षा बैठक में उन्होंने 15 अगस्त तक सारी तैयारियों को पूरा करने का निर्देश दिया।
पटना [राज्य ब्यूरो]। बिहार में बाढ़ एवं सुखाड़ के हालात पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार काफी गंभीर हैं। उन्होंने शनिवार को बैठक की और दोनों स्थितियों से निपटने के लिए तैयार रहने की हिदायत दी। 15 अगस्त तक सारी तैयारियों को पूरा करने का निर्देश दिया। 18 अगस्त को मुख्यमंत्री फिर बैठक कर हालात की समीक्षा करेंगे। इसके पहले सभी जिलों के प्रभारी मंत्री और प्रभारी प्रधान सचिवों को तीन अगस्त को बाढ़ अनुश्रवण समिति की बैठक कर लेने का निर्देश दिया। वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए उन्होंने सभी जिलों के डीएम से हालात की जानकारी ली। बता दें कि अभी तक मानसून की स्थिति यही है कि बिहार के 10 जिलों में सामान्य से काफी कम बारिश हुई है, जबकि नौ जिलों में जरूरत से अधिक।
आलाधिकारियों के साथ सीएम ने की बैठक
सीएम सचिवालय स्थित संवाद कक्ष में मुख्यमंत्री ने सभी संबंधित विभागों के मंत्रियों एवं अधिकारियों के साथ बैठक में कहा कि राज्य में आपदा की दोहरी मार की आशंका है। एक तरफ बाढ़ तो दूसरी तरफ सुखाड़ के हालात बन रहे हैं। आपदा दोनों तरफ है। जीना है तो पर्यावरण को ठीक करना ही होगा।
15 अगस्त तक बनाएं कार्ययोजना
मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के जो सुझाव आ रहे हैं, उन्हें मुख्य सचिव के स्तर पर संकलित किया जा रहा है। उसके आधार पर 15 अगस्त तक एक कार्ययोजना बना ली जाएगी। कम बारिश की स्थिति में वैकल्पिक फसलों के लिए भी कार्ययोजना बनानी होगी। जल के दुरुपयोग रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलेगा।
सभी एकजुट हो समर्पण के साथ करें काम
उन्होंने कहा कि सबको एकजुट होकर समर्पण के साथ काम करना होगा। उन्होंने सभी जिलों के डीएम को निर्देश दिया कि अपने-अपने क्षेत्रों में क्षति का आकलन कर फसल सहायता योजना एवं कृषि इनपुट अनुदान देने की तैयारी कर लें। सूखा प्रभावित इलाकों में पशुचारा, पेयजल एवं वैकल्पिक फसलों की व्यवस्था होनी चाहिए। इसी तरह बाढ़ वाले इलाकों में ध्वस्त हुए मकानों का आकलन होना चाहिए। बाढ़ में बच्चों को डूबने से बचाने के लिए जागरूकता अभियान चलाएं। जहां बालू का जमाव हो गया है, वहां लोगों को राहत मिलना चाहिए। चापाकल, तालाब, पोखर, आहर-पईन को दुरुस्त कर जलस्तर को बनाए रखें।
13 जुलाई को जलवायु परिवर्तन को लेकर हुई थी बैठक
मुख्यमंत्री नीतीश ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण बारिश में कमी, भूजल में गिरावट एवं सुखाड़ की स्थिति पर 13 जुलाई को विधानमंडल दल की आठ घंटे चली बैठक में सबने पर्यावरण में बदलाव को रोकने के लिए सहमति जताई थी।
10 जिलों में सामान्य से कम और नौ जिलों में जरूरत से अधिक बारिश
दक्षिण बिहार के 10 जिलों में इस बार सामान्य से कम बारिश होने के कारण सूखे जैसे हालात उत्पन्न हो गए हैं। सबसे कम बारिश गया, जहानाबाद, अरवल और रोहतास जिले में रिकॉर्ड की गई है।
मौसम विभाग के जारी आंकड़े
मौसम विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार बिहार के जिन जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है, उनमें पटना, नालंदा, गया, जहानाबाद, अरवल, रोहतास, शेखपुरा, बेगूसराय, बांका और उत्तर बिहार का सहरसा शामिल है। पश्चिम चंपारण, गोपालगंज और सिवान में 67 से 75 फीसद तक अधिक वर्षा रिकॉर्ड हुई है। राज्य के पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, सारण, बक्सर, दरभंगा, सुपौल, मधेपुरा, अररिया और किशनगंज जिले में 20 से 49 फीसद तक अधिक वर्षा रिकॉर्ड की गई है।
इन जिलों में हुई सबसे कम वर्षा
पटना में अब तक 26 फीसद कम बारिश दर्ज हुई है। गया में 38 फीसद, औरंगाबाद में 36 फीसद, रोहतास में 37 फीसद, नालंदा में 27 फीसद, शेखपुरा में 41 फीसद, जहानाबाद में 40 फीसद, बेगूसराय में 56 फीसद, बांका में 24 और सहरसा में सामान्य से 28 फीसद कम वर्षा हुई है। मानसून की वर्षा में कमी का प्रतिकूल प्रभाव धान की रोपाई पर भी पड़ रहा है। इसके साथ जिन किसानों ने किसी तरह धान की रोपाई कर दी है, उनकी धान की फसल बिना सिंचाई के सूख रही हैं।
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