नये साल के पहले राजगीर पहुंचे सीएम नीतीश, कही ये बात
नये साल के ठीक पहले सीएम नीतश कुमार राजगीर की वादियों में पहुंचे। कहा कि घोड़ाकटोरा पहाड़ी झील भविष्य में मनोहारी पर्यटन स्थल के रुप में जाना जाएगा।
नालंदा [मनोज मयावी]। बिहार विकास समीक्षा यात्रा के तीसरे दिन रविवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अहले सुबह लगभग साढे 8 बजे घोड़ाकटोरा पहाड़ी झील यात्रा की ओर कूच किए। उनके काफिला जैसे ही रोपवे परिसर स्थित घोड़ाकटोरा के मुख्य प्रवेश द्वार के पास पहुंचा। वहां उपस्थित जिला वन पदाधिकारी डॉ. नेशामणि व बिहार पर्यटन निगम के अधिकारियों ने पुष्पगुच्छ प्रदान कर सीएम का भव्य स्वागत किया।
फिर सीएम बैटरी चलित गाड़ी से घोडाकटोरा पहाड़ी झील तक पहुंचे। जहां वे बांस के बने कॉटेज में नाश्ता-चाय का लुत्फ लिया। इसके बाद वे झील के तट तक गये। उन्होंने वहां उपस्थित पदाधिकारियों से घोड़ाकटोरा परियोजना पर चर्चा की।
उन्होंने घोड़ाकटोरा के स्वच्छ व शुद्ध पर्यावरण की चर्चा करते हुए कहा कि यहां का वायुमंडल स्वास्थ्यवर्धक है। उन्होंने यहां भ्रमण पर आ रहे पर्यटकों की सुरक्षा, सुविधा व मार्गदर्शन के लिए संबंधित विभाग के अधिकारियों को समय-समय पर ध्यान देने की बात कही।
उन्होंने कहा कि यहां पर्यटकों का सपरिवार भ्रमण पर आना एक सुखद अहसास की अनुभूति कराता है। जिसमें वन विभाग व पर्यटन विभाग की सार्थक भूमिका नजर आती है। इस दौरान उन्होंने झील में बन रहे भगवान बुद्ध की 70 फुट की एक विशालकाय भगवान बुद्ध की प्रतिमा के स्थापना के कार्य पर दूर से ही नजर डाली।
पर्यटन विभाग के पदाधिकारियों ने उन्हें जानकारी दी कि प्रतिमा को लगाये जाने के लिए झील की गहराई में 30 फुट का फाउंडेशन पिलरिंग आदि का काम लगभग पूरा किया जा चुका है। साथ ही भगवान बुद्ध की धर्म प्रवर्तक चक्र मुद्रा वाली प्रतिमा का निर्माण कार्य के लिए उत्तर प्रदेश जिले के चुनार गढ़ से सैंड स्टोन क्वालिटी की शिला खण्ड की आपूर्ति कराई जा रही है।
साथ ही उन्होंने बताया कि इसे आगामी वर्ष 2018 के मार्च माह में भगवान बुद्ध की विशालकाय प्रतिमा की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है। साथ ही जिला वन पदाधिकारी ने बताया कि घोड़ाकटोरा के पर्वतीय ढलानों पर समुचित हरियाली बनाये रखने के लिए रैन हार्वेस्टिंग टेक्निक को अपनाया जा रहा है।
सीएम ने कहा कि इन पहाडिय़ों की ढलान 30 डिग्री तक झुकाव वाली स्थिति में है। पहाडिय़ों को सालों भर हरा भरा रखने के लिए इनके ढलानों पर रैन हार्वेङ्क्षस्टग स्ट्रक्चर के निर्माण के तहत छोटे-छोटे दीवार बनाया गया है। ताकि वर्षा के पानी का ठहराव होने से इन ढलानों पर नमी बरकरार रहे और पेड़ पौधों की हरियाली सालों भर बनी रहे।
उन्होंने कहा कि झील के चारों ओर वाले किनारों पर स्थित ढलानों को गार्डेन के रूप में विकसित करने की भी योजना है। इस जानकारी के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि घोड़ाकटोरा पहाड़ी झील यात्रा भविष्य में एक रोमांचक व मनोहारी पर्यटन स्थल के रुप में जाना जाएगा। जो अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन नगरी राजगीर को एक नया आयाम प्रदान करेगा।
लगभग डेढ़ घंटे के बाद उनका काफिला 11 बजे के करीब राजगीर अतिथिगृह वापसी के लिए कूच किया। वापसी के क्रम में घोडाकटोरा प्रवेश द्वार के समीप स्थित भगवान बुद्ध के प्रतिमा के यूपी से आयातित किये व कटिंग किये जा रहे शिलाखंडों का अवलोकन भी किया। 12 बजकर 40 मिनट में वे सड़क मार्ग से पटना के लिए प्रस्थान कर गए।