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Bihar Politics: 'छोटे भाई' पर नरम हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, अब उपेंद्र कुशवाहा को दी ये नसीहत

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को पत्रकारों से बात करते हुए उपेंद्र कुशवाहा को सलाह और नसीहत दी है। इस दौरान सीएम के बगल में खड़े उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी नीतीश के रुख से समहत नजर आए।

By Jagran NewsEdited By: Yogesh SahuPublished: Thu, 26 Jan 2023 03:55 PM (IST)Updated: Thu, 26 Jan 2023 03:55 PM (IST)
'छाेटे भाई' पर नरम हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, अब उपेंद्र कुशवाहा को दी ये नसीहत

एजेंसी, पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जदयू संसदीय बोर्ड अध्यक्ष और पार्टी से असंतुष्ट चल रहे उपेंद्र कुशवाहा को गुरुवार को सलाह और नसीहत दी है कि वह अपनी शिकायतें मीडिया के माध्यम से उठाना बंद करें और अपनी समस्याओं को पार्टी के मंच पर आकर उठाएं।

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जद (यू) नेता और प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कुशवाहा के एक ट्वीट के बारे में पत्रकारों के सवालों के जवाब देते हुए यह बात कही। कुशवाहा ने अपने ट्वीट में नीतीश कुमार को चुनौती देते हुए कहा था कि वह 'अपना हिस्सा नहीं देंगे।'

कुशवाहा का ट्वीट कुछ इस प्रकार था- बड़ा अच्छा कहा भाई साहब आपने...! ऐसे बड़े भाई के कहने से छोटा भाई घर छोड़कर जाने लगे तब तो हर बड़का भाई अपने छोटका को घर से भगाकर बाप-दादा की पूरी संपत्ति अकेले हड़प ले। ऐसे कैसे चले जाएं अपना हिस्सा छोड़कर....?

कुशवाहा का यह ट्वीट नीतीश कुमार की उस प्रतिक्रिया के बाद आया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि हमारी पार्टी कमजोर नहीं हुई है। ये झूठे आरोप हैं, लोगों को जो कुछ कहना है कहने दीजिए। नीतीश ने कहा था कि कुछ लोग चर्चा में बने रहने के लिए कुछ-कुछ बोलते रहते हैं।

उन्होंने कहा कि कुछ लोग पार्टी के कमजोर होने की बात करते हैं। पहले से कई गुना पार्टी सदस्यों की संख्या बढ़ी है। किसी के कहने से जदयू पार्टी कमजोर नहीं होगी। सीएम ने कहा कि महागठबंधन को लेकर बहुत कुछ कहा जा रहा है। किसी के कहने और जाने से विकास रुकेगा नहीं। कोई कहीं भी जाने के लिए स्वतंत्र है। मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद ही उपेंद्र कुशवाहा ने उपरोक्त ट्वीट कर उन्हें चुनौती दी थी।

कुशवाहा के साथ सम्मानजनक व्यवहार किया: नीतीश

नीतीश ने गुरुवार को नाखुशी जाहिर करते हुए कहा कि उन्हें यह समझना चाहिए कि वह पार्टी से अलग होने के बाद तीसरी बार पार्टी में लौटे हैं, लेकिन उनके साथ सम्मान के साथ व्यवहार किया गया। अगर उन्हें कोई शिकायत है तो उन्हें पार्टी के अंदर ही इसे जाहिर करना चाहिए। आपको मीडिया या सोशल मीडिया के माध्यम से अपने विचारों को सार्वजनिक रूप से प्रसारित नहीं करना चाहिए।

कुशवाहा पर नीतीश के रुख से तेजस्वी सहमत

बता दें कि उपेंद्र कुशवाहा 2021 में अपनी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का विलय करके जद (यू) में लौट आए थे और उन्हें तुरंत पार्टी में शीर्ष पद दिया गया था, कुछ ही समय बाद विधान परिषद की सदस्यता से भी उन्हें पुरस्कृत किया गया। प्रदेश की राजधानी में गणतंत्र दिवस समारोह के मौके पर नीतीश कुमार के इस बयान का समर्थन उनके बगल में ही खड़े डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने भी किया है।

राजद नेता तेजस्वी यादव ने भी कहा कि मैंने एक ट्वीट (कुशवाहा का ट्वीट) देखा और मैं इस पर टिप्पणी नहीं कर सकता कि वह क्या बताना चाहते हैं। लेकिन मेरी भी यही राय है कि अगर वह अपनी पार्टी से संबंधित कोई भी मुद्दा उठाना चाहते हैं, तो उन्हें इसके लिए सोशल मीडिया का सहारा नहीं लेना चाहिए।

इसे संयोग ही कहा जाए कि उपेंद्र कुशवाहा की नाराजगी तब से स्पष्ट रूप से सामने आती नजर आ रही है, जब नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव के अलावा किसी अन्य को डिप्टी सीएम बनाए जाने की चर्चा को खारिज कर दिया था। सिर्फ यही नहीं नीतीश ने इसके साथ ही तेजस्वी को सत्तारूढ़ 'महागठबंधन' का भावी चेहरा भी घोषित किया था।

कुशवाहा 2020 के विधानसभा चुनाव से पहले नाता तोड़ने से पहले रालोसपा प्रमुख के रूप में 'महागठबंधन' के साथ थे। जानकारों का मानना है कि कुशवाहा की करीब साठ बरस की उम्र में अपने से लगभग तीन दशक छोटे तेजस्वी यादव को अपने नेता के रूप में स्वीकार करने में असहज महसूस करते थे, यह भी उनकी नाराजगी की एक वजह बताई जाती है।

सुधाकर के जवाब का इंतजार: तेजस्वी

इधर, इस मौके पर तेजस्वी यादव से यह भी पूछा गया था कि क्या पार्टी विधायक सुधाकर सिंह के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, जिन्हें हाल ही में मुख्यमंत्री के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था।

तेजस्वी ने इस पर कहा कि राजद के संविधान के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को अनुशासनहीनता का दोषी पाए जाने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया जाता है। उसे जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया जाता है। हम अवधि समाप्त होने की प्रतीक्षा करेंगे। पार्टी के हितों के खिलाफ काम करने वाला कोई भी व्यक्ति कार्रवाई का सामना करने के लिए बाध्य है।

उन्होंने जोर देकर कहा कि महागठबंधन, जिसमें जद (यू) पिछले साल अगस्त में भाजपा को छोड़ने के बाद शामिल हुआ था, 'सांप्रदायिक ताकतों' के खिलाफ लड़ाई में बरकरार रहेगी। उन्होंने भगवा पार्टी पर बहुदलीय महागठबंधन के खिलाफ दुष्प्रचार करने का आरोप भी लगाया।


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