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सीएम नीतीश ने किया पुस्‍तक मेले का उद्घाटन, अब किताबों की सोहबत में गुजरेंगे दिन

सीएम नीतीश कुमार ने शनिवार को पटना पुस्‍तक मेले का उद्घाटन किया। अब 10 दिनों तक पटनावासी किताबों की सोहबत में दिन गुजारेंगे। साहित्य पर चर्चा होगी। लेखकों से मिलना-जुलना होगा।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Sat, 02 Dec 2017 07:43 PM (IST)Updated: Sat, 02 Dec 2017 09:10 PM (IST)
सीएम नीतीश ने किया पुस्‍तक मेले का उद्घाटन, अब किताबों की सोहबत में गुजरेंगे दिन
सीएम नीतीश ने किया पुस्‍तक मेले का उद्घाटन, अब किताबों की सोहबत में गुजरेंगे दिन

पटना [जेएनएन]। किताबों का मेला फिर से आबाद हो गया। हां, इस बार ठिकाना गांधी मैदान से चंद कदम दूर ज्ञान भवन है। शनिवार की शाम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पटना पुस्तक मेले का उद्घाटन किया। इसके साथ ही पटना के लोग अगले दस दिन किताबों की सोहबत में समय व्‍यतीत करेंगे।

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अब साहित्य पर चर्चा होगी। लेखकों से मिलना-जुलना होगा। कविता और गजलों की शाम सजेगी। कहानियां सुनाई जाएंगीं। परिचर्चा होगी और सबसे खास महिलाओं का दम दिखेगा। पिंक थीम पर आधारित पुस्तक मेले की टैगलाइन ही है- 'लड़की को सामर्थ्‍य दो, दुनिया बदलेगी।'

32 सालों में 24वां पुस्तक मेला

पटना पुस्तक मेले की शुरुआत 1985 में हुई थी। पहले दो वर्षों के अंतराल पर मेल लगता था मगर 21वीं शताब्दी की शुरुआत से यह हर साल आयोजित होने लगा। पटना पुस्तक मेले पर किताब लिखने वाले डॉ. धु्रव कुमार बताते हैं कि 1985 के बाद 1988 में पुस्तक मेला आयोजित हुआ।

इसके बाद 1990, 1991 और 1992 में लगातार पुस्तक मेले लगे। इसके बाद फिर 1994 और 1996 में पटना में पुस्तक मेला लगा। अविभाजित बिहार का हिस्सा रहे रांची में भी एक साल के अंतराल पर पुस्तक मेला लगता था। रांची में 1997, 1999 और 2001 में पुस्तक मेले का आयोजन हुआ। इसके बीच के वर्षों में पटना में पुस्तक मेला लगा।

जब पाटलिपुत्र मैदान में लगा पुस्तक मेला

ये पहली बार नहीं है, जब पटना पुस्तक मेले का आयोजन गांधी मैदान में नहीं हो रहा। इसके पहले वर्ष 2000 और 2002 में भी पटना पुस्तक मेले का आयोजन गांधी मैदान की जगह पाटलिपुत्र कॉलोनी मैदान पर हुआ था। सीआरडी के अध्यक्ष रत्नेश्वर बताते हैं कि उस समय जिला प्रशासन की ओर से व्यायवासयिक दर पर मैदान का आवंटन करने की जिद के कारण गांधी मैदान में आयोजन संभव नहीं हो सका था। वे बताते हैं कि उस समय पाटलिपुत्र मैदान तक आने-जाने के लिए आज की तरह सुविधा नहीं थी। उस समय मेला प्रशासन की ओर से कई वाहनों की व्यवस्था की गई थी ताकि पाठक पुस्तक मेले तक पहुंच सके।

2003 में वापस गांधी मैदान लौटा मेला

वर्ष 2003 में पटना पुस्तक मेला वापस गांधी मैदान लौटा और इसके बाद से 2016 तक लगातार गांधी मैदान में ही पुस्तक मेले का आयोजन हुआ। इन सालों में पटना पुस्तक मेला साहित्यिक आयोजन से बढ़कर सांस्कृतिक आयोजन का रूप ले चुका था। अब किताबों के साथ नुक्कड़ नाटक, कवि सम्मेलन और परिचर्चा आदि का आयोजन भी होने लगा। इसके कारण पटना पुस्तक मेले ने लोकप्रियता के शिखर को छुआ।

इसलिए ज्ञान भवन में हो रहा है आयोजन

पटना पुस्तक मेला अगले साल 25वां आयोजन करेगा। आयोजकों का कहना है कि राज्य सरकार की भी इच्छा है कि सिल्वर जुबली आयोजन अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेले की शक्ल में हो इसलिए इस बार ज्ञान भवन के ऑडिटोरियम में इसका आयोजन किया जा रहा है। भले ही यहां खुला आसमान और धूप नहीं होगी मगर धूल से राहत मिलेगी। साथ ही पाठकों को कई अन्य सुविधाएं मिल सकेंगीं।

मेले में जुटेेंगे करीब 200 प्रकाशक

पटना पुस्तक मेले में इस पूरे देश के करीब 200 प्रतिष्ठित प्रकाशन संस्थान शिरकत करेंगे। प्रभात प्रकाशन, राजकमल प्रकाशन, वाणी प्रकाशन, राजपाल एंड सन्स, उपकार प्रकाशन, पुस्तक महल, अरिहंत प्रकाशन, प्रकाशन संस्थान, नोवेल्टी एडें कम्पनी, साहित्य अकादमी, ईशा फाउंडेशन, कोयंबटूर, साहित्य भवन पब्लिकेशंस आदि शामिल हैं।

संगीत और साहित्य का अनूठा संगम

दो दिसंबर से ग्यारह दिसंबर तक चलने वाले इस मेले में साहित्य, संगीत का अनूठा संगम भी देखने को मिलेगा। इस दौरान कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा जिसमें रचनात्मकता, सृजन, समस्या और समाधान, जनसंवाद जैसे कार्यक्रम प्रमुख होंगे। कार्यक्रम के उद्घाटन और अंतिम सत्र में संगीत की भी सरिता बहेगी जिसमें आर जे श्रुति और अपूर्व और डैनियल रॉड्रिक अपनी प्रस्तुतियां देंगे।

अंतिम दिन दिए जाएंगे कई पुरस्कार

पुस्तक मेले के अंतिम दिन विभिन्न विधाओं में कई पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे। इसमें साहित्य के लिए विद्यापति पुरस्कार, पत्रकारिता के लिए सुरेन्द्र प्रताप सिंह पुरस्कार, रंगकर्म के लिए भिखारी ठाकुर पुरस्कार और कला के लिए यक्षिणी पुरस्कार दिए जाएंगे। हर साल की तरह इस साल भी 35 वर्ष से कम उम्र के बिहारी प्रतिभा को दिया जाने वाले इन सम्मान के साथ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साहित्य और संस्कृति में विशेष योगदान के लिए बिहार भारती सम्मान भी दिया जाएगा।


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