लोकसभा चुनाव: शहरों में गरमाता जा रहा है चुनावी मौसम, तो इन्हें नेताजी के आने का इंतजार
लोकसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। राजनीतिक पार्टियों में उम्मीदवारों के चयन को लेकर खलबली मची है। शहर में तपिश बढ़ी हुई तो गांवों के वोटर शांत हैं पढ़ें चुनावी माहौल पर खास खबर
पटना [दीनानाथ साहनी]। लोकसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। राजनीतिक पार्टियों में सीट शेयरिंग और उम्मीदवारों के चयन को लेकर खलबली मची है, तो गांवों के वोटर शांत हैं और अपनी किसानी की दिनचर्या में पसीना बहा रहे हैं। यह बात जरूर है कि राजनीतिक पार्टियों ने शहरी क्षेत्रों में चुनावी सरगर्मी से तपिश बढ़ा दी है, वहीं गांवों में अब तक लोग नेताजी का इंतजार कर रहे हैं। बिहार के अधिकांश ग्रामीण हिस्सों में राजनीतिक पार्टियां जनसंपर्क से दूर है। राजधानी पटना से सटे नालंदा जिले के चंडी प्रखंड के माधोपुर गांव के लोग बताते हैं कि इन इलाकों में तो नेताजी के लोग चुनाव के ठीक चार-पांच दिन पहले पहुंचेंगे, तब भी मुद्दों और नीतियों के साथ नहीं। सिर्फ जाति और वर्ग के कुछ ठेकेदार और कुछ तोहफों के साथ।
गांवों में ज्यादा होती है वोटिंग
गांवों में न केवल मतदाताओं की तादाद ज्यादा है, बल्कि यहां शहरी इलाकों के मुकाबले वोटिंग भी ज्यादा होती है। इसके बावजूद राजनीतिक पार्टियों का ग्रामीण इलाकों में सीधे जनसंपर्क पर ध्यान नहीं गया है। हां, यह काम स्थानीय मुखिया, सरपंच, वार्ड सदस्य से लेकर ठेकेदारों ने अवश्य संभाल रखा है। ये लोग ग्रामीणों के बीच चुनावी बतकही के जरिये फिजा जरूर बदलने में जुटे हैं।
शहरों में ही खप रही है ऊर्जा
मौसिमपुर के सेवानिवृत्त शिक्षक देवशरण पाण्डेय बताते हैं कि देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के कार्यकर्ता जहां लोगों के पास जाने का नैतिक साहस नहीं जुटा पा रहे हैं, वहीं भाजपा की ऊर्जा भी शहरी क्षेत्रों में ही खप रही है। इसी तरह क्षेत्रीय पार्टियां जदयू, राजद और लोजपा के कार्यकर्ता भी गांवों से पूरी तरह गायब हैं।
चुनाव होनेवाला है प्रधानमंत्री का
पटना जिले के शाहजहांपुर के ग्रामीण रघु दास कहते हैं कि उनके एक पड़ोसी ने उन्हें बताया कि प्रधानमंत्री का चुनाव होने वाला है। यह पूछने पर कि किस पार्टी को वोट देंगे, उन्होंने बताया-'वोट मोदी जी को देंगे।' वोटने मांगने कोई आया है? इस सवाल पर उन्होंने बेझिझक कहा कि मुखिया जी टोला में आए थे यह बताने कि इस बार भी वोट पड़ेगा। सब तैयार रहिएगा। चुनाव की चर्चा पर कई ग्रामीणों से बात हुई, पर सबका जवाब यही था कि नेता जी तो दूर, उनके कार्यकर्ता भी नहीं आए हैं।
जनसंपर्क की हो रही तैयारी
कमोवेश बिहार भर के गांवों का यही आलम है। परबलपुर के राजनीतिक कार्यकर्ता मो. नौशाद बताते हैं कि बूथ कमेटियों की बैठक हुई है और चुनाव में जनसंपर्क कैसे करना है, इस बारे में बूथ कमेटियों को जानकारी दी गई है। प्रचार और जनसंपर्क से लेकर चुनाव प्रबंधन तक पर प्लानिंग हो रही है। बेशक, गांवों में ठेकेदारों और बूथ कमेटियों के सदस्यों के बूते राजनीतिक पार्टियां चुनाव प्रचार की तैयारी में जुटी है। किन्तु, अभी गांवों में चुनावी फिजा बिल्कुल शांत है और वोटर नेताजी के इंतजार में।