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पारस गुट ने राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष पद से हटाया तो चिराग ने पांच सांसदों को किया बाहर, जानिए आगे क्‍या होगा

Chirag Paswan Vrs Pashupati Kumar Paras लोजपा दो खेमे में बंट चुकी है। पशुपति कुमार पारस ने मंगलवार को चिराग पासवान को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से भी बेदखल कर दिया। दूसरी तरफ चिराग ने पारस समेत पांच सांसदों के बारे में कड़ा फैसला लिया है।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Tue, 15 Jun 2021 04:21 PM (IST)Updated: Tue, 15 Jun 2021 06:47 PM (IST)
सूरजभान सिंह, पशुपति कुमार पारस और चिराग पासवान। फाइल फोटो

पटना, राज्‍य ब्‍यूरो/ऑनलाइन डेस्‍क। Bihar Politics:  लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) अब एलानिया दो हिस्‍सों में बंटती दिख रही है। इसी के साथ पार्टी पर कब्जे को लेकर पशुपति कुमार पारस और चिराग पासवान खेमे में लड़ाई तेज हो गई। लोजपा संसदीय दल के नये नेता पशुपति कुमार पारस ने मंगलवार को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की आपात बैठक दिल्ली में अपने आवास पर बुलायी और चिराग पासवान को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से भी हटा दिया। पारस खेमा ने पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं पूर्व सांसद सूरज सिंह उर्फ सूरज भान सिंह को लोजपा का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष व चुनाव प्रभारी की जिम्मेवारी दी। इस फैसले के तत्काल बाद चिराग पासवान ने पलटवार करते हुए देर शाम राष्ट्रीय कार्यकारिणी की वर्चुअल बैठक की और बागी पांचों सांसद (पशुपति कुमार पारस, चौधरी महबूब अली कैसर, वीणा देवी, प्रिंस राज और चंदन सिंह) को पार्टी से निकाल दिया।

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चिराग ने कहा- पार्टी मां के सामन, धोखा देना ठीक नहीं

बैठक के बाद चिराग तो मीडिया के सामने नहीं आए पर एक ट्वीट कर पार्टी को मां बताते हुए इसके साथ धोखा करने वालों पर जमकर बरसे। उन्होंने कहा कि पार्टी मां समान है और मां के साथ धोखा नहीं करना चाहिए। उन्होंने ट्वीट के साथ 29 मार्च को चाचा पारस को लिखा एक पुराना पत्र भी टैग किया। इसमें रामविलास पासवान के निधन बाद पारस के बदले तेवर की चर्चा है।

चिराग गुट ने बागी सांसदों की सदस्‍यता भी खत्‍म की

चिराग के करीबी और पार्टी के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव अब्दुल खालिक ने बैठक में लिये गए फैसले के बारे में मीडिया को बागी सांसदों को लोजपा से निकाले जाने की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बागी सांसदों की पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी खत्म कर दी गई है। बैठक में सर्वसम्मति से राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान के नेतृत्व में अगले साल यूपी, गोवा, उत्तराखंड व पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनाव लडऩे की भी फैसला लिया गया।

एक व्यक्ति, एक पद का सिद्धांत पर हुई चिराग के खिलाफ कार्रवाई : पारस

पशुपति कुमार पारस ने बताया कि लोजपा की राष्ट्रीय कार्य समिति की बैठक में सर्वसम्मति से चिराग पासवान को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाने का फैसला लिया गया। यह फैसला इसीलिए लिया गया कि पार्टी के संविधान के तहत 'एक व्यक्ति, एक पद' का प्रविधान सभी के लिए है। इसीलिए संविधान के आलोक में चिराग पासवान को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाया गया। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष सूरज भान सिंह ही चुनाव अधिकारी रहेंगे। बैठक में सूरज भान सिंह को अधिकृत किया गया कि पांच दिनों के अंदर राष्ट्रीय परिषद की बैठक बुलाकर राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव संपन्न कराएं। पारस ने बताया कि बुधवार को वे पटना पहुंच रहे हैं और यहीं पर राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक भी करेंगे। पार्टी पर असली कब्‍जा अब किसका होगा, ये आगे समझिए।

चिराग ने खुद भी दिया था पद छोड़ने का प्रस्‍ताव

इससे पहले चिराग ने खुद ही राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष का पद छोड़ने का प्रस्‍ताव दिया था, लेकिन उन्‍होंने अपनी मां और दिवंगत नेता राम विलास पासवान की पत्‍नी रीना पासवान को राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष बनाने की शर्त रखी थी। अब उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के नेतृत्‍व वाले गुट ने पांच दिनों के अंदर नए राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष का चुनाव कराने का एलान भी किया है। सूरजभान को ही नया चुनाव अधिकारी भी घोषित किया गया है।

लोजपा में उठापटक का फिलहाल अंत नहीं

लोजपा में बगावत की शुरुआत रविवार को ही हो गई थी। रविवार को ही खबरें आईं कि लोजपा के छह में से पांच सांसदों ने लोकसभा अध्‍यक्ष से मिलकर अपने नए नेता को चुन लिये जाने की सूचना दी है। दिवंगत नेता राम‍ विलास पासवान के छोटे भाई पशुपति कुमार पारस को लोजपा संसदीय दल का नया नेता चुना गया था। इसे लोकसभा अध्‍यक्ष ने भी मान्‍यता दे दी है। अब पार्टी पर कब्‍जे को लेकर बागी गुट ने कदम आगे बढ़ा दिए हैं।

कौन हैं सूरजभान, ये भी जानिए

सूरजभान लोजपा के पुराने साथी हैं, लेकिन लंबे समय से चुनावी राजनीति से बाहर हैं। हालांकि वे पार्टी के लिए रणनीति बनाने में हमेशा अहम भूमिका अदा करते रहे हैं। उनकी गिनती बिहार के बाहुबली नेताओं में की जाती है। 5 मार्च 1965 को पटना जिले के मोकामा दियारा में उनका जन्‍म हुआ। एक वक्‍त इलाके में उनकी दहशत होती थी। बाद में वे मुख्‍य धारा की राजनीति में आ गए। वे विधायक और सांसद भी रह चुके हैं। वे राम विलास के महत्‍वपूर्ण सहयोगियों में एक रहे हैं। वे फिलहाल लोजपा के राष्‍ट्रीय उपाध्‍यक्ष थे। अब बागी गुट ने उन्‍हें कार्यकारी अध्‍यक्ष और चुनाव अधिकारी बनाया है।

जानिए आगे और क्‍या हैं आसार

लोजपा के बागी गुट ने जल्‍द ही राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाए जाने की बात कही है। इसमें पार्टी के नए राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष का चुनाव किया जाएगा। ऐसी उम्‍मीद जताई जा रही है कि पशुपति कुमार पारस को ही नया राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष भी चुना जाता है। लोजपा के स्‍थापना काल के बाद 25 वर्षों से अधिक समय तक राम विलास पासवान खुद ही पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष रहे। उन्‍होंने खुद ही चिराग को नया राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष बनाने की घोषणा की थी।

बागी गुट के लिए आसान नहीं होगा रास्‍ता

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के दौरान अपनी नीति को लेकर चिराग पार्टी के ज्‍यादातर नेताओं से नाराजगी मोल ले चुके हैं। उनकी पार्टी का बिहार में अब न तो एक भी विधायक है और न हीं विधान पार्षद। पार्टी के पास बिहार में केवल छह सांसद ही बचे थे। इनमें पांच ने अलग रास्‍ता पकड़ लिया है और खुद चिराग ने भी सभी को बाहर करने का एलान कर दिया है। चिराग गुट के पास अब अकेले सांसद वे खुद हैं। अब य‍ह पूरी तरह तय हो गया है कि पार्टी दो गुटों में बंट जाएगी।

कल पटना पहुंच रहे हैं पारस

पारस ने बताया कि बुधवार को वे पटना पहुंच रहे हैं और यहीं पर राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक भी करेंगे। पार्टी के संसदीय दल के नेता पद और अब राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से बेदखल किए जाने के बाद चिराग पासवान ने भी मंगलवार की शाम दिल्ली स्थित 12 जनपथ सरकारी आवास पर राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक कर आगे की रणनीति पर लंबी मंत्रणा की।


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