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बिहार-झारखंड के बच्‍चों पर बुरी नजर, पांच महीने में 244 लड़कियों का जीवन बर्बाद होने से बचाया गया

बिहार और झारखंड में सक्रिय हैं बचपन के सौदागर पूर्व मध्‍य रेलवे के अंतर्गत पांच माह में छुड़ाए गए 596 बच्चे आरपीएफ ने की कार्रवाई दलालों का बड़ा नेटवर्क मजदूरी के लिए बिहार-झारखंड से बड़ी संख्या में ले जाए जा रहे बच्चे

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Wed, 22 Sep 2021 12:29 PM (IST)Updated: Wed, 22 Sep 2021 12:29 PM (IST)
बिहार-झारखंड के बच्‍चों पर बुरी नजर, पांच महीने में 244 लड़कियों का जीवन बर्बाद होने से बचाया गया
बिहार और झारखंड में बच्‍चों पर मानव तस्‍करों की बुरी नजर। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, जागरण संवाददाता। Bihar Crime: बच्चों को घर-परिवार से दूर कर उनसे मजदूरी कराने का खेल अभी भी जारी है। इस साल अप्रैल से अगस्त तक रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) द्वारा दलालों के चंगुल से छुड़ाए गए 596 बच्चे इसका प्रमाण हैं। दैनिक जागरण इस ओर लगातार ध्यान आकृष्ट कर रहा है कि बच्चों के सौदागर स्थानीय स्तर पर सक्रिय हैं, जो इन्हें विभिन्न शहरों में ले जाकर फैक्ट्री आदि में झोंक देते हैं। आरपीएफ द्वारा दी गई जानकारी चौंकाने वाली है। शुक्र है कि इन बच्चों को श्रम की भट्ठी में झोंके जाने से बचा लिया गया, पर इससे यह भी स्पष्ट है कि बच्चों को मजदूरी के लिए बड़ी संख्या में बाहर ले जाया जा रहा है। साफ है कि अगर सभी मामलों को प्रशासन रोक पाता तो ऐसे मामले सामने आते ही नहीं।

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244 लड़कियाें को भी कराया गया है मुक्‍त

आरपीएफ के मुख्य सुरक्षा आयुक्त सह महानिरीक्षक एस. मयंक ने बताया कि पूर्व मध्य रेल के विभिन्न स्टेशनों और ट्रेनों से एक अप्रैल से 31 अगस्त तक 596 बच्चों को दलालों के चंगुल से मुक्त कराया गया है। इनमें 352 लड़के और 244 लड़कियां हैं। इस दौरान 35 दलालों को भी गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है। पूर्व मध्य रेल के अधीन दानापुर, सोनपुर, दीनदयाल उपाध्याय, धनबाद और समस्तीपुर रेल मंडल हैं। इन क्षेत्रों में यह कार्रवाई की गई।

गरीब परिवारों पर रहती है सौदागरों की नजर

बच्चों के सौदागर सबसे ज्यादा गया, औरंगाबाद, नवादा, कैमूर आदि क्षेत्रों में सक्रिय हैं। इनकी नजर गरीब परिवारों पर रहती है और दो-चार हजार देकर बच्चों की बेहतर जिंदगी का सब्जबाग दिखा उन्हें जयपुर की चूड़ी फैक्ट्रियों से लेकर दिल्ली, कोलकाता आदि महानगरों में बेच आते हैं। फिर शुरू होता है उनका नारकीय जीवन। पहले ज्यादातर लड़कों को ही ले जाया जाता था, पर अब नाबालिग लड़कियों को भी ले जाया जा रहा है। इनमें अधिसंख्य झारखंड से हैं।


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