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पबजी गेम के एडिक्‍शन में बच्‍चे ने उठाया बड़ा कदम, खेलने से मना किया तो फंदे से झूला

मोबाइल पर पबजी गेम खलने से मना करने पर एक बच्‍चे ने फांसी लगाकर आत्‍महत्‍या कर ली। मनोवैज्ञानिक डॉ. बिंदा सिंह ने बच्चों को गेम एडिक्‍शन से बचाने के लिए उनकी मॉनीटरिंग जरूरी है।

By Amit AlokEdited By: Published: Fri, 13 Mar 2020 06:49 PM (IST)Updated: Fri, 13 Mar 2020 11:11 PM (IST)
पबजी गेम के एडिक्‍शन में बच्‍चे ने उठाया बड़ा कदम, खेलने से मना किया तो फंदे से झूला
पबजी गेम के एडिक्‍शन में बच्‍चे ने उठाया बड़ा कदम, खेलने से मना किया तो फंदे से झूला

गोपालगंज, जेएनएन। बिहार के गोपालगंज में मोबाइल पर पबजी मोबाइल गेम (Pubg Mobile Game) खेलने से मना करने पर 14 वर्षीय किशोर ने गले में फंदा लगाकर आत्महत्या (Suicide) कर ली। व‍ह गोपालगंज के डीएवी पब्लिक स्कूल (DAV Public School, Gopalganj) में 10वीं कक्षा (10th. Class) में पढ़ता था। उसकी सीबीएसई बोर्ड की 10वीं की परीक्षा चल रही थी। गोपालगंज के नगर थाना प्रभारी थानाध्यक्ष धनंजय कुमार ने बताया कि घटना की सूचना स्वजनों ने पुलिस को नहीं दी है। हालांकि, पुलिस मामले की जांच कर रही है।

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पबजी खेलते देख पिता ने छीनी मोबाइल

मिली जानकारी के अनुसार, गोपालगंज शहर के राजेंद्रनगर निवासी पप्पू प्रसाद का 14 वर्षीय पुत्र सूर्या कुमार डीएवी पब्लिक स्कूल (थावे) में 10वीं का छात्र था। उसकी सीबीएसई की परीक्षा (CBSE 10th. Board Examination) चल रही थी। गुरुवार की रात सूर्या कुमार मोबाइल पर पबजी गेम खेल रहा था। यह देख पिता ने गेम खेलने से मना किा तथा डांटते हुए मोबाइल फोन छीन लिया।

नाराज किशोर ने लगा लिया फंदा, मौत

इससे नाराज किशोर अपने कमरे में चला गया तथा गले में फंदा लगाकर छत की कुंडी से लटक गया (Hanged himself)। रात में इसकी भनक परिवार में किसी को नहीं लगी। शुक्रवार की सुबह किशोर के कमरे से बाहर नहीं निकलने पर स्वजन अंदर गए तो घटना की जानकारी मिली। उसकी मौत (Death) हो चुकी थी।

गेम एडिक्‍शन से बच्‍चों को ऐसे बचाएं

मोबाइल गेम की ऐसी लत कि मना करने पर आत्‍महत्‍या का फैसला करने के इस मामले पर पटना की  मनोचिकित्सक डॉ. बिंदा सिंह (Dr. Binda Singh) कहती हैं कि बच्चों को गेम एडिक्‍शन (Game Addiction) से बचाने के लिए उनकी मॉनीटरिंग (Monitoring) जरूरी है। साथ-साथ उन्हें समय देने की भी जरूरत है। पबजी जैसे गेम बच्चों को आक्रामक बनाते हैं। इससे पीडि़त बच्चे को पहले दोस्त (Friend) बनाएं, फिर धीरे-धीरे उसे मोबाइल से दूर करें। ऐसे बच्‍चों की दोस्ती (Friendship) को भी खंगालने की जरूरत है।


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