कोरोना से उपजे चैलेंज ने दिखाया पढ़ाई के तरीके में बदलाव का रास्ता, अब हल्का होगा बस्ता
कोरोना वायरस से उपजे चैलेंज को देख बदले पढ़ाई के तौर तरीके से बच्चे चकित हैं और नये अवसर को रूटीन का हिस्सा मानकर इंजॉय कर रहे हैं।
दीनानाथ साहनी, पटना। कोरोना संकट में शिक्षण संस्थानों में सन्नाटा है। सुविधा संपन्न संस्थान छात्र-छात्राओं को ऑनलाइन पढ़ाई करा रहे हैं। वेबसाइट, वाट्सएप और ऐप के जरिये होमवर्क दे रहे हैं। सिलेबस और किताबें भी ट्रैक पर है। पढ़ाई के तरीके बदलने से बच्चे चकित हैं और नये तौर-तरीके को रूटीन का हिस्सा मानकर इंजॉय कर रहे हैं। वो बस्ते का बोझ खत्म होने से खुश हैं। क्या कोरोना के बाद पढ़ाई के तौर-तरीके बदलने जा रहे हैं? इस मुद्दे पर चर्चा गरम है।
जल्द आएगा वर्चुअल क्लास का दौर
जो लोग सूचना क्रांति और टेक्नोलॉजी की महिमा समझते हैं वो मान रहे हैं कि यही मौका है पढ़ाई-लिखाई के पुराने ढर्रे से हटकर नई इबारत लिखने का। पटना विवि के कुलपति प्रो.रासबिहारी सिंह मानते हैं कि कोरोना महामारी जैसी चुनौती ने बिहार में शिक्षा की मौजूदा व्यवस्था में बड़े बदलाव का रास्ता दिखाया है। टेक्नामलॉजी से चेंज लेने का दौर आ गया है। देर-सवेर आभासी कक्षा (वर्चुअल क्लास), पारंपरिक कक्षा की जगह लेने जा रही है।
बाबू खींच रहे भविष्य का खाका
सरकारी शिक्षा व्यवस्था में भी बड़े बदलाव की चर्चा शुरू हो गई है। प्राइमरी व सेकेंडरी लेवल पर वर्चुअल क्लासरूम को लेकर बदलाव का तानाबाना बुना जाने लगा है। यहां के स्कूल-कॉलेजों में ढाई करोड़ विद्यार्थी हैं। इनमें से अभी बमुश्किल सात-आठ फीसद विद्यार्थी ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं। ऐसे में शिक्षा महकमे से जुड़े रणनीतिकार मानने लगे हैं कि आने वाले समय में पढ़ाई में टेक्नोलॉजी बढ़ाने पर काम करना जरूरी होगा। यही अवसर है बच्चों पर पढ़ाई और बस्ते का बोझ कम करने का।
वर्चुअल क्लासरूम को ज्यादा स्पेस
इस बात पर मंत्रणा होने लगी है कि 2024 तक स्कूलों व कॉलेजों में वर्चुअल क्लासरूम को ज्यादा स्पेस देने को लेकर लक्ष्य तय करना होगा। ई-पाठशाला, स्मार्ट क्लासरूम, ऑडियो-वीडियो तथा डिजिटल आधारित ओपन शिक्षा के सेंटर के रूप में कैसे विकसित किया जाए, इन सब कांसेप्ट पर भविष्य की बड़ी प्लानिंग को लेकर अफसरों की टीम पेपर वर्क में जुटी है।
तकनीक से लैस होंगे शिक्षक और छात्र भी
कोरोना के बाद भविष्य में शिक्षण संस्थानों में डिजिटल प्लेटफार्म तेजी से आकार लेगा। जैसा कि दसवीं की छात्रा मानवी सिंह ने बताया-क्लासरूम का कांसेप्ट के दिन लदने वाले हैं। घर बैठे पढ़ाई की सुविधा आसान होने वाली है। टीचर्स और स्टूडेंट्स, दोनों स्क्रीन पर होंगे। काफी कुछ स्क्रीन पर टंग जाएगी, जिन्हें हम की-बोर्ड से उतारेंगे और फिर स्क्रीन पर टांग देंगे। बीआरए बिहार विवि के ङ्क्षहदी के प्राध्यापक डॉ. रमेश प्रसाद कहते हैं-शिक्षकों को तकनीक रूप से लैस होने के दिन आ गए। कोरोना संकट ने शिक्षा व्यवस्था के मूल ढांचे को छिन्न-भिन्न कर दिया है।
भविष्य को ध्यान में रखकर करनी होगी बड़ी प्लानिंग
बकौल शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा, 'मुझे नहीं लगता बिहार अभी पूरी तरह से वर्चुअल क्लासरूम के लिए तैयार है। इंफ्रास्ट्रक्चर और टेक्नोलॉजी के तौर पर हम अभी तैयार नहीं हैं। लेकिन, हमें भविष्य को ध्यान में रखकर बड़ी प्लानिंग करनी होगी।