जीपीओ घोटाले में सीबीआइ ने दर्ज की प्राथमिकी
पटना। प्रधान डाकघर (जीपीओ) में फर्जीवाड़ा कर गुमनाम बचत खातों से करोड़ों के धन की निकासी मामले में एफआइआर दर्ज कर ली है।
पटना। प्रधान डाकघर (जीपीओ) में फर्जीवाड़ा कर गुमनाम बचत खातों से करोड़ों के धन की निकासी करने के मामले में सीबीआइ सक्रिय हो गई है। सीबीआइ की पटना शाखा ने इस घोटाले में डाक विभाग के पांच कर्मचारियों व कनीय अधिकारियों को आरोपित बनाते हुए प्राथमिकी दर्ज की है। इसके साथ ही टीम ने मामले की जांच शुरू कर दी है। दूसरी ओर, करोड़ों की हेराफेरी के मामले की गंभीरता देखते हुए डाक विभाग के केंद्रीय निगरानी निदेशक वीपी सिंह भी गुरुवार को अपनी टीम के साथ जांच करने पहुंचे। सूत्रों के अनुसार निदेशक ने आरोपित कर्मियों व अन्य अधिकारियों से पूछताछ की, इसके बाद वह दिल्ली लौट गए।
बताते चलें कि करीब तीन माह पहले पटना जीपीओ के पांच कर्मचारियों ने 70 साल पुराने गुमनाम बचत खातों से पांच करोड़ से अधिक की धनराशि गायब कर दी है। इस मामले में विभाग के कुछ वरीय अधिकारियों का भी कर्मियों को संरक्षण प्राप्त था। हालांकि मामला उजागर होते ही मुख्य पोस्टमास्टर जनरल की ओर से कार्रवाई की गई। आनन-फानन में आरोपी पांच कर्मियों मुन्ना कुमार, राजेश कुमार शर्मा, सुजय तिवारी, आदित्य कुमार सिंह व सुधीर कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया था। विभाग ने दावा किया था कि इन कर्मचारियों द्वारा निकाली गई रकम वापस जमा करा ली गई है। निगरानी के निदेशक ने पांचों आरोपी कर्मचारियों के साथ मुख्य पोस्टमास्टर जनरल सहित अन्य अधिकारियों से इस संबंध में पूछताछ की है। निदेशक शुक्रवार को पूछताछ कर वापस दिल्ली लौट गए हैं।
वहीं सीबीआइ के अधीक्षक की ओर से आरोपित पांच कर्मचारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। केंद्रीय एजेंसी ने टीम गठित कर जांच शुरू कर दी है। सोमवार से सीबीआइ टीम जांच के लिए सक्रिय हो जाएगी। टीम जीपीओ पहुंच उन बचत खातों की जांच करेगी, जिनसे इतनी बड़ी रकम निकाली गई थी। इसके साथ टीम उन पुराने खातों का भी लेखा-जोखा लेगी, जिसमें करोड़ों की राशि जमा है, लेकिन अब इनका कोई दावेदार नहीं है। माना जा रहा है कि सीबीआइ टीम की गहन जांच में अब विभाग के कई अधिकारी भी लपेटे में आ सकते हैं।