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पीएमसीएच में खुलेगी कैथलैब, मरीजों को लग सकेंगे पेसमेकर-जानें क्या है कैथलैब

पीएमसीएच में जल्द ही मरीजों की सुविधा के लिए कैथलैब खोली जाएगी। इससे यहां आने वाले मरीजों को मेसमेकर लगाया जा सकेगा। जानें और क्या होगा खास।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Sun, 12 Jan 2020 08:49 AM (IST)Updated: Sun, 12 Jan 2020 08:49 AM (IST)
पीएमसीएच में खुलेगी कैथलैब, मरीजों को लग सकेंगे पेसमेकर-जानें क्या है कैथलैब

नीरज कुमार, पटना। बिहार की राजधानी के पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (पीएमसीएच) में इस वर्ष के अंत तक कैथलैब स्थापित कर दी जाएगी। इसके लिए अस्पताल प्रशासन ने स्वास्थ्य विभाग को प्रस्ताव भेज दिया है। कैथलैब में काम करने वाले चिकित्सक भी पीएमसीएच में नियुक्त कर दिए गए हैं। विभाग ने संस्थान के चिकित्सकों को आश्वासन दिया है कि जल्द ही कैथलैब स्थापित करने का काम शुरू कर दिया जाएगा। पीएमसीएच के प्राचार्य डॉ. विद्यापति चौधरी के अनुसार राज्य के सबसे बड़े अस्पताल में हार्ट के मरीजों के लिए केवल ओपीडी की सुविधा है। यहां पर अब तक कैथलैब की व्यवस्था नहीं है। किसी भी सुपर स्पेशियलिटी विभाग में कैथलैब होना बहुत जरूरी है।

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जानें क्या है कैथलैब

कैथलैब एक ऐसी लैब है जहां हार्ट जांच करने वाली कई मशीनें रहती हैं। कैथलैब में हार्ट के मरीजों को पेसमेकर लगाया जाता है। यहां पर एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी एवं बैलूनी की सुविधा मरीजों को दी जाती है।

पीएमसीएच में अभी मरीजों को ओपीडी की सुविधा

पीएमसीएच में स्थापित होने वाली कैथलैब की लागत तीन से पांच करोड़ रुपये आने की उम्मीद है। इसके स्थापित होने पर राज्य के कोने-कोने से आने वाले हार्ट के मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी। अब उन्हें पेसमेकर लगवाने के लिए भटकना नहीं होगा। वर्तमान में पीएमसीएच आने वाले गरीब मरीजों को हार्ट के इलाज के लिए परेशानी उठानी पड़ती है। पीएमसीएच में फिलहाल उन्हें ओपीडी की सुविधा दी जा रही है।

मरीजों को नहीं करना होगा इंतजार

पेसमेकर, एंजियोग्राफी व एंजियोप्लास्टी के लिए राजधानी के दूसरे अस्पतालों में जाना पड़ता है। कई बार तो उन्हें निराश होकर वापस घर लौटना पड़ता है, क्योंकि पीएमसीएच में यह सुविधा नहीं होने सबसे पहले मरीज इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान जाते हैं। वहां पर पहले से ही काफी भीड़ है। वहां पर पेसमेकर या एंजियोग्राफी कराने के लिए मरीजों को लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है। 


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