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अभ्यर्थियों ने आंसर-की में सुधार के लिए किया बीपीएससी का घेराव

64वीं संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों ने बीपीएससी कार्यालय के गेट पर प्रदर्शन किया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 Mar 2019 09:18 PM (IST)Updated: Tue, 26 Mar 2019 09:18 PM (IST)
अभ्यर्थियों ने आंसर-की में सुधार के लिए किया बीपीएससी का घेराव
अभ्यर्थियों ने आंसर-की में सुधार के लिए किया बीपीएससी का घेराव

पटना। 64वीं संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों ने बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) कार्यालय का मंगलवार को घेराव किया। अभ्यर्थियों ने बताया कि आयोग के पदाधिकारी ने 26 मार्च को पीटी की आंसर-की में सुधार के लिए प्रमाण मांगा था। दर्जनों अभ्यर्थी प्रमाण के साथ पहुंचे तो आयोग ने आंसर-की के सभी विकल्पों को ठीक बताते हुए बातचीत से इनकार कर दिया। इसके विरोध में दर्जनों अभ्यर्थी धरने पर बैठ गए। बीपीएससी प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। अभ्यर्थियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए काफी संख्या में पुलिस बल कार्यालय के आसपास तैनात कर दिया गया। गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव आमिर सुबहानी को अभ्यर्थियों ने आयोग के गेट पर घेर लिया। उन्होंने छात्रों से शांतिपूर्वक अपनी मांग रखने की अपील की। इस पर अभ्यर्थियों ने उन्हें कार्यालय में प्रवेश करने दिया। लगभग चार बजे पुलिस अधिकारियों ने अभ्यर्थियों के प्रतिनिधिमंडल को परीक्षा नियंत्रक से मिलने के लिए राजी किया।

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: एक सप्ताह में वेबसाइट पर दी जाएगी जानकारी :

परीक्षा नियंत्रक से वार्ता कर लौटे अभ्यर्थियों ने बताया कि आयोग को त्रुटिपूर्ण जवाब वाले प्रश्नों की सूची और प्रमाण उपलब्ध करा दिया गया है। वहीं आयोग के अधिकारी ने कहा कि अभ्यर्थियों की आपत्ति से विशेषज्ञों को अवगत कराया जाएगा। विशेषज्ञों की राय आयोग की वेबसाइट के माध्यम से अभ्यर्थियों को उपलब्ध करा दी जाएगी। विशेषज्ञों का फैसला ही अंतिम होगा। अभ्यर्थियों ने आयोग के अधिकारी से पूछा कि मुख्य परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन की तिथि समाप्त हो जाएगी। इस पर आयोग के अधिकारियों ने कहा कि विशेषज्ञों से राय के बाद ही मुख्य परीक्षा का शिडयूल जारी किया जाएगा।

: होईकोर्ट में कर चुके हैं अपील :

64वीं संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा की आंसर-की को अभ्यर्थियों ने पटना होईकोर्ट में चुनौती दी है। अभ्यर्थियों का कहना है कि एक ही प्रश्न का जवाब 63वीं और 64वीं परीक्षा में अलग-अलग दिया गया है। आयोग के विशेषज्ञ एनसीईआरटी और सूचना एवं प्रकाशन विभाग द्वारा प्रकाशित पुस्तकों के तथ्य को भी प्रामाणिक नहीं मान रहे हैं। ऐसी स्थिति में आयोग को प्रामाणिक पुस्तकों की सूची सार्वजनिक करनी चाहिए।


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