रेरा के पेंच में फंसे बिल्डर, फ्लैट खरीदने वाले भी परेशान
रीयल इस्टेट रेगुलेटरी ऑथोरिटी अर्थात रेरा ने फ्लैट व जमीन का भूखंड खरीदने वाले अब रेरा के पेंच में फंस गएहैं।
पटना । रीयल इस्टेट रेगुलेटरी ऑथोरिटी अर्थात रेरा ने फ्लैट व जमीन का भूखंड खरीदने वाले के हितों को देखते हुए सख्त कानून लागू कर दिया है। 30 अगस्त से ही बिहार में भी रेरा का डंडा चलने लगा है। परिणाम यह हुआ है कि राजधानी पटना समेत सूबे के तमाम शहरी क्षेत्रों में बन रहे अपार्टमेंट के फ्लैटों की बिक्री पूरी तरह ठप हो गई है। रेरा की ओर से सारे बिल्डरों का निबंधन अनिवार्य कर दिया गया है। राजधानी पटना जैसे प्रमुख शहरों में जहां प्रतिदिन 130 से 135 दस्तावेजों का निबंधन हुआ करता था, वह अब यह संख्या 40 से 45 पर सिमट कर रह गई है। निबंधन मुख्यालय की ओर से पटना कार्यालय को प्रतिदिन 1 करोड़ से अधिक का लक्ष्य दिया गया है, वहीं सितंबर माह में आज तक मुश्किल से राजस्व का आंकड़ा 6 करोड़ पार हो सका है। रेरा का कोड़ा चलते ही निबंधन की रफ्तार धड़ाम से गिर गई है।
जमीन के निबंधन में भी तेजी से गिरावट
जमीन के निबंधन में भी तेजी से गिरावट आई है। पहले जहां किसी भी डेवलपर कंपनी के नाम से जमीन खरीदकर इसे मोटे दाम पर बेच दिया जाता था। अब रेरा ने किसी भी डेवलपर, संस्था अथवा कंपनी पर भी भूखंडों की बिक्री के लिए रेरा का निबंधन अनिवार्य कर दिया है। कोई भी संस्था तब तक अपने भूखंडों को नहीं बेच सकती है, जब तक रेरा के तहत उन्होंने अपना रजिस्ट्रेशन नहीं करा लिया हो। रेरा के नियमों को सही तरीके से परिभाषित नहीं होने से निबंधन कार्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
30 अगस्त से लागू हुआ है रेरा कानून
30 अगस्त से रेरा कानून लागू किया गया है। तब से आज तक पटना शहर ही नहीं पूरे राज्य में फ्लैट का निबंधन कार्य ठप हो गया है। इतना ही नहीं संस्थाओं अथवा डेवलपर की जमीन की बिक्री पर भी रोक लगा दी गई है। कोई भी कंपनी अथवा संस्थान अभी तक रेरा के तहत निबंधित नहीं है।
निबंधन कार्यालयों में सन्नाटे जैसी हालत
पटना निबंधन कार्यालय की स्थिति यह है कि पिछले 17 दिनों से दस्तावेजों के निबंधन की संख्या में अप्रत्याशित कमी आई है। पहले यह आंकड़ा 130 का था, जो अब घटकर 40 से 50 पर पहुंच गया है। इसके साथ ही दानापुर व फुलवारीशरीफ निबंधन कार्यालय में अपार्टमेंट के फ्लैटों की बिक्री ठप हो चुकी है। हालांकि, रेरा ने स्पष्ट कर दिया है कि जिस फ्लैट का दोबारा निबंधन होना है, उसके लिए रेरा की बाध्यता नहीं है।