तेजस्वी के मामा व बसपा प्रत्याशी साधु यादव गोपालगंज सीट पर हारे, लालू -राबड़ी राज में खूब तरक्की की थी
लालू-राबड़ी शासन काल में अनिरूद्ध प्रसाद यादव ऊर्फ साधु यादव चर्चित चेहरों में से एक थे । उनपर अपराधियों को संरक्षण और अफसरों को प्रताडि़त करने का अारोप लगता था। 2005 में लालू परिवार ने रिश्ता तोड़ लिया था। लगातार तीन हार के बाद भी मैदान में आये थे।
पटना, राज्य ब्यूरो । लालू-राबड़ी शासन काल (Lalu- Rabri Regime) के चर्चित चेहरों में से एक अनिरूद्ध प्रसाद यादव ऊर्फ साधु यादव (Anirudh alias Sadhu Yadav) मतगणना (Counting) के पहले दौर में आगे चल रहे थे। हालांकि बाद में वे पिछड़ते ही चले गए। भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार सुभाष सिंह ने साधु यादव को 36,752 मतों के बड़े अंतर से हरा किया। सुभाष को 77,751 जबकि साधु को 41,039 मत मिले। कांग्रेस के प्रत्याशी आशिफ गफूर 36,460 मत हासिल कर तीसरे स्थान पर रहे।
साधु यादव गोपालगंज विधानसभा क्षेत्र (Gopalganj Constituency) से बहुजन समाज पार्टी (BSP) के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे। उनकी अपनी पार्टी भी है। नाम है-गरीब जनता दल। अपनी पार्टी के टिकट पर भी वे गोपालगंज से विधानसभा का चुनाव लड़े थे। लेकिन, हार हो गई। उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में भी अपना भाग्य आजमाया था। सफलता नहीं मिली। लगातार तीन चुनावों में हार के बाद साधु यादव इन दिनों घर बैठे हुए थे।
उनपर अफसरों को प्रताडि़त और अपराधियों को संरक्षण का आरोप
महागठबंधन (Grand Alliance) के सीएम कैंडिडेट तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav ) और साधु यादव के बीच मामा-भांजा का रिश्ता है। साधु उनके मंझले मामा हैं। लेकिन, 2005 में सत्ता से अलग होने के बाद लालू परिवार ने साधु यादव से नाता तोड़ लिया। यहां तक लालू-राबड़ी के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) की शादी में भी साधु को बेगाने की तरह पूछा गया था। क्योंकि परिवार का मानना था कि सरकार की हार की सबसे बड़ी वजह साधु यादव हैैं। उनपर अपराधियों को संरक्षण देने का आरोप लगता था। उस समय के चर्चित शिल्पी-गौतम हत्याकांड में साधु यादव का नाम सुर्खियों में आया था। साधु और उनके छोटे भाई सुभाष यादव पर अपराधियों को संरक्षण देने और अफसरों को प्रताडि़त करने का आरोप लगता रहता था।
बहनोई के राज में खूब तरक्की की
अपने बहनोई लालू प्रसाद और बहन राबड़ी देवी के शासन में साधु यादव की खूब तरक्की हुई। वे विधान परिषद के सदस्य बने। 1995 में वे जनता दल के टिकट पर गोपालगंज से विधायक बने। बाद में वे गोपालगंज से लोकसभा के सदस्य भी बने।