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BPSC नौकरी घोटाला: आयोग सदस्य के सरकारी आवास पर हुई थी डील- 25 लाख दो; DSP बनो

बीपीएससी का इंटरव्यू पास कराने के लिए आयोग के सदस्य सह पूर्व भाजपा एमएलसी ने 30 लाख घूस मांगा था। रिकॉर्डिंग सुनने के बाद इसका खुलासा हुआ है। अब परिजनाें से हो सकती पूछताछ।

By Kajal KumariEdited By: Published: Wed, 18 Sep 2019 12:00 PM (IST)Updated: Thu, 19 Sep 2019 10:11 PM (IST)
BPSC नौकरी घोटाला: आयोग सदस्य के सरकारी आवास पर हुई थी डील- 25 लाख दो; DSP बनो

पटना, राज्य ब्यूरो। बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्य रामकिशोर सिंह और उनके सहयोगी परमेश्वर राय पर निगरानी ने भ्रष्ट आचरण को लेकर प्राथमिकी दर्ज कराई है। निगरानी ने प्राथमिकी की जानकारी निगरानी की विशेष कोर्ट को भी दे दी है। सिंह पर नंबर बढ़ाने के नाम पर आवेदक से 30 लाख रुपये की रिश्वत मांगने के आरोप हैं। सूत्रों की मानें तो रामकिशोर सिंह की परेशानी अभी और बढऩे वाली है। विजिलेंस ब्यूरो उनकी वॉयस रिकार्डिंग को आधार पर इस रैकेट में शामिल अन्य धंधेबाजों तक पहुंचने की कोशिश में जुट गई है।

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Voice recording में रिकॉर्ड है-‘25 लाख दीजिए; डीएसपी पद कंफर्म।’ विजिलेंस ब्यूरो ने अब इस सच्चाई का सबूत जुटा लिया है। पता चला है कि यह मामला 56 वीं से 59 वीं मुख्य परीक्षा को पास करने वालों के इंटरव्यू से जुड़ा है। विजिलेंस के पास नौकरी के नाम पर रिश्वतखोरी की पूरी बात रिकॉर्डेड है। यह बातचीत 10 मई 2018 को डॉक्टर रामकिशोर सिंह के सरकारी आवास (बी 3/65, बेल्ट्रान भवन, शास्त्रीनगर) पर रिकॉर्ड की गई थी।

रामकिशोर सिंह पर प्राथमिकी दर्ज करने के बाद ब्यूरो ने इस मामले की तह तक पहुंचने की कोशिश शुरू कर दी है। उधर, रामकिशोर सिंह ने आरोप लगाया है कि एक जाति विशेष के लोग साजिश कर उन्हें फंसा रहे हैं।

रामकिशोर सिंह के परिजनों से भी हो सकती पूछताछ

विजिलेंस ब्यूरो की टीम इस बीच बिहार लोक सेवा आयोग भी जाएगी और वहां वर्तमान में लागू परीक्षा प्रणाली के साथ ही पूर्व की पद्धति के बारे में भी जानकारी लेगी। बिहार लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष से जानकारी हासिल करने के प्रयास होंगे। ब्यूरो यह जानकारी हासिल लेने की कोशिश कर रहा है कि रामकिशोर के सहयोगी परमेश्वर राय के अलावा परीक्षा में अंक बढ़ाने के गोरख धंधे में कोई और तो शामिल नहीं। जांच के क्रम में विजिलेंस ब्यूरो सिंह के परिजनों से भी पूछताछ कर सकती है, ऐसी संभावना है। विजिलेंस फॉरेंसिक लैब से वापस आई वॉयस रिकार्डिंग का भी अध्ययन कर रही है। जिससे यह पता लगाया जा सके कि बातचीत के दौरान रामकिशोर सिंह ने कोई ऐसे संकेत तो नहीं दिए हैं जिससे कुछ और बात सामने आ सके। 

बीपीएससी सदस्य ने नंबर बढ़ाने के लिए मांगे थे तीस लाख

बिहार लोक सेवा आयोग के निवर्तमान सदस्य रामकिशोर सिंह पर आयोग की 58वीं और 59वीं परीक्षा में साक्षात्कार में नंबर बढ़ाने के लिए 30 लाख रुपये की रिश्वत मांगने के आरोप में निगरानी ब्यूरो ने मुकदमा किया है। जिसके बाद रामकिशोर सिंह ने अपने पद से इस्तीफा कर दिया है। हालांकि उनका इस्तीफा अब तक स्वीकार नहीं किया गया है। यह मामला करीब डेढ़ वर्ष पुराना है। कहा जा रहा है कि रामकिशोर सिंह ने इस कार्य में अपने सहयोगी परमेश्वर राय की मदद ली। 30 लाख रुपये की रकम की मांग की शिकायत परीक्षार्थी ने निगरानी ब्यूरो में दर्ज कराई है। परीक्षार्थी और रामकिशोर सिंह के बीच कई राउंड में फोन पर बात भी हुई, जिसकी निगरानी ब्यूरो की ओर से रिकॉर्डिंग कराई गई है। 

रिकॉर्डिंग वॉयस ने बढाई परेशानी

निगरानी सूत्रों ने बताया कि राम किशोर सिंह और परीक्षार्थी के बीच फोन पर हुई बातचीत की कुछ रिकॉर्डिंग को ब्यूरो ने जांच के लिए चंडीगढ़ की सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैब भेजा था। जांच में अब इस बात की पुष्टि हो गई है कि आवाज रामकिशोर सिंह की ही है। इसके बाद निगरानी ने 13 सितंबर को ही मुकदमा कायम कर दिया। अब उनसे पूछताछ होगी। 

सिंह का इस्‍तीफा अब तक स्‍वीकार नहीं 

रामकिशोर सिंह ने प्राथमिकी की भनक मिलते ही तीन दिन पहले ही  आयोग की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। हालांकि उनका इस्तीफा अभी स्वीकार नहीं किया गया है। रामकिशोर सिंह 2006-12 के बीच बिहार विधान परिषद के सदस्य भी रह चुके हैं। उन्हें भाजपा ने विधान परिषद में भेजा था। दूसरी बार उन्हें परिषद में न भेजकर भाजपा का प्रदेश प्रवक्ता बनाया गया। लेकिन, 2013 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करने के चलते उन्हें निलंबित किया गया। उस समय प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष मंगल पांडेय थे। भाजपा से नाराज होकर वे जदयू में शामिल हो गए। उन दिनों भाजपा-जदयू के बीच तल्खी चल रही थी। जदयू ने भी उन्हें प्रवक्ता बनाया। 2014 में वे छह वर्षों के लिए बिहार लोकसेवा आयोग के सदस्य बनाए गए।  

रामकिशोर सिंह बोले, जाति विशेष के लोग मुझे फंसा रहे 

उधर, रामकिशोर सिंह ने आरोप लगाया है कि एक जाति विशेष के लोग साजिश कर उन्हें फंसा रहे हैं। उनकी ही जाति के कुछ लोग हैं जो उनके आयोग में योगदान के बाद से नाराज चल रहे थे, क्योंकि जब से उन्होंने आयोग में योगदान किया यहां के तमाम छेद बंद कर दिए थे।


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