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संस्कृति, सभ्यता और ज्ञान को दूसरी पीढ़ी तक पहुंचाने की सीढ़ी होती हैं पुस्तकें

विश्व पुस्तक दिवस पर मंगलवार को पटना में कई जगह तरह-तरह के आयोजन कर किताबों का महत्व बताया गया।

By Edited By: Published: Tue, 23 Apr 2019 08:55 PM (IST)Updated: Wed, 24 Apr 2019 10:00 AM (IST)
संस्कृति, सभ्यता और ज्ञान को दूसरी पीढ़ी तक पहुंचाने की सीढ़ी होती हैं पुस्तकें
संस्कृति, सभ्यता और ज्ञान को दूसरी पीढ़ी तक पहुंचाने की सीढ़ी होती हैं पुस्तकें
पटना, जेएनएन। पुस्तक, वास्तव में हमारी संस्कृति, सभ्यता और ज्ञान को एक से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचाने में संवाहक होती है। पुस्तकों में ज्ञान का वह खजाना होता है जिसके जरिए इंसान को उसके जीवन का सही अर्थ पता चलता है। यही कारण है कि संचार क्रांति के इस दौर में भी पुस्तक का अस्तित्व बरकरार है। ये बातें मंगलवार को स्वरांजलि संस्था की ओर से विश्व पुस्तक दिवस पर मंगल तालाब स्थित हितैषी पुस्तकालय में आयोजित ज्ञान की खिड़की व संपन्नता की स्रोत हैं किताबें' विषय पर आयोजित संगोष्ठी के दौरान डॉ. ध्रुव कुमार ने कहीं।

उन्होंने कहा कि गहन अंधकार के बीच पुस्तक ऐसी ज्योति है जिसकी रोशनी मशाल की तरह विकास का मार्ग प्रशस्त करती है। पुस्तकों में संचित ज्ञान संपूर्ण मानवीय सत्ता को संचालित करते हैं जो हमारी संपन्नता का आधार बनता है। इस दौरान संस्था की ओर से पुस्तकालय को दो दर्जन से अधिक पुस्तकें भेंट की गयी। उपस्थित छात्रों को किताबें उपहार में दी गयी। वक्ताओं ने प्रत्येक वार्ड में एक पुस्तकालय स्थापित करने की मांग महापौर से किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संस्था के संयोजक अनिल रश्मि ने कहा कि इंटरनेट के दौर में पुस्तक संस्कृति को बचाने और युवाओं में किताबों से प्रेम पैदा करने के लिए विद्यालयों में विशेष कार्य योजना शुरू करने की आवश्यकता है।

युवाओं के व्यक्तित्व के संपूर्ण विकास के लिए कोर्स एवं प्रतियोगी विषयक पुस्तकों के साथ-साथ अन्य उपयोगी पुस्तकों के अध्ययन में शिक्षकों और अभिभावकों की भूमिका महत्वपूर्ण है। बच्चों में अधिक से अधिक किताबें पढ़ने की आदत विकसित करने की आवश्यकता है। इस दौरान लघुकथा लेखक आलोक चोपड़ा ने कहा कि पाठकों और पुस्तकों के बीच बढ़ती दूरी को कम करने के लिए गांव-कस्बों में भी पुस्तक मेला और प्रदर्शनी आयोजित करने की आवश्यकता है।

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