मोबाइल और लैपटाप के अधिक इस्तेमाल से युवाओं में बढ़ीं हड्डी जोड़ की समस्याएं, दर्द की न करें अनदेखी
Bihar News शारीरिक श्रम दूध या दूध उत्पादों और धूप से दूरी के कारण कम उम्र में ही हड्डियां हो रहीं कमजोर उठने-बैठने के गलत ढंग और मोबाइल-लैपटाप के अधिक उपयोग से युवाओं में स्पांडलाइटिस व रीढ़ की हड्डी संबंधी समस्याएं बढ़ रही
जागरण संवाददाता, पटना। आधुनिक जीवनशैली और खानपान का सबसे बुरा असर हड्डियों और जोड़ों पर पड़ रहा है। शारीरिक श्रम, दूध या दूध उत्पादों और धूप से दूरी के कारण कम उम्र में ही हड्डियां कमजोर हो रही हैं। इसके अलावा उठने-बैठने के गलत ढंग और मोबाइल-लैपटाप के अधिक उपयोग से युवाओं में स्पांडलाइटिस व रीढ़ की हड्डी संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं। ये बातें दैनिक जागरण के लोकप्रिय कार्यक्रम हेलो डाक्टर में अनूप आर्थोपेडिक एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट के निदेशक सह दक्षिण-पूर्व एशिया के जाने-माने रोबोटिक सर्जन डा. आशीष सिंह ने कहीं।
डा. आशीष सिंह ने कहा कि बिना कारण जाने मेडिकल स्टोर से दर्द निवारक गोलियों से इलाज करने के कारण 40 साल पहुंचते-पहुंचते समस्या गंभीर रूप धारण कर लेती हैं। ऐसे में बेहतर है कि किसी भी प्रकार का दर्द, झनझनाहट होने पर हड्डी या न्यूरो सर्जन से मिलकर परामर्श लें और सभी हड्डियों की गुणवत्ता बताने वाले डेक्सा स्कैन जैसी आवश्यक जांच कराने के बाद ही दवाएं लें।
दिखे ये लक्षण तो डाक्टर से करें परामर्श
शरीर में कहीं भी दर्द-झनझनाहट हो तो खुद से दवा लेने के बजाय डाक्टर से मिलकर आवश्यक जांच जरूर कराएं। हर दर्द का एक कारण होता है और उसकी जानकारी होना जरूरी है। यदि जोड़ में दर्द हो रहा है तो शुरुआत में ही डाक्टर से मिले ताकि प्लाज्मा रिच प्लेटलेट्स और दवाओं आदि देकर घुटने के घिसने की समस्या का निदान किया जा सके। सुबह उठकर यदि शरीर, हाथ-पैर में दर्द, कड़ापन, कमर में दर्द या पैरों में झुनझुनाहट हो तो हड्डी या नस रोग विशेषज्ञ से मिलना चाहिए।
हड्डी और जोड़ों की सुरक्षा को रखें इन बातों का ध्यान
जीवनशैली को बचपन से लेकर बुढ़ापे तक सक्रिय रखें यानी हल्के-फुल्के ही सही शारीरिक श्रम वाले काम करते रहें। जोड़ों को सपोर्ट देने वाली मांसपेशियां मजबूत रहें इसके लिए जीवनशैली में मार्निंग वाक, नियमित व्यायाम और योग को शामिल करें। दूध या दूध से बने उत्पादों के अलावा हर दिन कम से कम आधे घंटे धूप की ङ्क्षसकाई जरूरी है। गर्दन में दर्द व आंखों से पानी निकलने या सूखेपन से बचाव के लिए मोबाइल और लैपटाप का अधिक प्रयोग नहीं करें। कार्यालय में कुर्सी की बैक से पीठ सटाकर सही तरीके से बैठें। यदि लकड़ी वाली कुर्सी हो तो सबसे बेहतर है।
पूरी जांघ व कूल्हा बदल हो रहा बोन कैंसर का इलाज
बोन यानी हड्डी कैंसर का इलाज अब पूरी तरह से संभव है। आज कैंसर से गल चुकी हड्डियों के साथ जांघ व कूल्हे तक नए लगाए जा रहे हैं। इसके अलावा साफ्ट टिश्यू के कैंसर प्रभावित होने पर आर्थोपेडिक, प्लास्टिक और ओंको सर्जन मिलकर सर्जरी करते हैं और मरीज को स्वस्थ कर उसका जीवन आसान बनाते हैं।