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बिहार में मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर चुनाव लड़ेगी भाजपा, अमित शाह ने दिया मायावती-अखिलेश का उदाहरण

दो दिवसीय सीमांचल यात्रा में आए अमित शाह ने लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 सीटों में कम से कम 35 सीटों पर भाजपा की जीत सुनिश्चित करने का टास्क दिया है। उन्होंने कहा है कि सीएम का चेहरा घोषित कर ही भाजपा चुनाव लड़ेगी।

By Raman ShuklaEdited By: Akshay PandeyPublished: Sun, 25 Sep 2022 10:59 AM (IST)Updated: Sun, 25 Sep 2022 03:58 PM (IST)
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, सपा नेता अखिलेश यादव और मायावती। जागरण आर्काइव।

किशनगंज से रमण शुक्ला : गृह मंत्री अमित शाह दो दिवसीय सीमांचल यात्रा में 2024 के लोकसभा और 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव का लक्ष्य पार्टी नेताओं को सौंप कर लौट गए। शाह ने लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 सीटों में कम से कम 35 सीटों पर भाजपा की जीत सुनिश्चित करने का टास्क दिया है। नेताओं से दो टूक कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन के आधार पर ही पार्टी 2025 के विधानसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री चेहरा घोषित करेगी। मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर ही चुनाव लड़ेगी। अपने नेताओं को जातीय समीकरण समझाने के लिए शाह ने यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव व मायावती का भी उदाहरण दिया। 

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दरअसल, शाह ने नीतीश कुमार के धोखे से राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) छोड़ने को प्रतिष्ठा से जोड़ लिया है। शाह ने पार्टी के विधानमंडल दल, कोर ग्रुप और फिर सीमांचल क्षेत्र के पार्टी पदाधिकारियों की अलग-अलग बैठकों में बार-बार लक्ष्य को दोहराया। यह भी संकेत दिया कि वह बिहार की कमान अपने हाथ में रखेंगे। सीधे मानीटरिंग करेंगे। केंद्रीय गृह मंत्री ने पार्टी नेताओं को यह भरोसा दिया कि बिहार की स्थितियां लगातार भाजपा के अनुकूल होती जा रही हैं। ऐसे में रणनीति के तहत काम किया जाए तो चुनावी सफलता हासिल करने में परेशानी नहीं होगी। पार्टी नेताओं के बीच चर्चा है कि केंद्रीय गृह मंत्री अब हर महीने बिहार का दौरा 2017 से पहले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की तर्ज पर करेंगे।

शीर्ष नेताओं पर सीधी नजर

शाह की अब बिहार के सांसदों, विधायकों, विधान पार्षदों और प्रदेश पदाधिकारियों के अलावा वरिष्ठ नेताओं के संगठन से संबंधित कामकाज पर सीधी नजर रहेगी। उन्होंने पार्टी नेताओं से साफ-साफ कहा है कि बिहार के लोग अब जातीय समीकरण से आगे निकल चुके हैं। लोगों को विकास से मतलब है। लालू यादव और नीतीश कुमार के जातिवाद से घबराने की जरूरत नहीं है। यूपी का उदाहरण देते हुए कहा कि अखिलेश, मायावती सब एक हो गये थे। ऐसा लग रहा था, मानो पूरा जातीय समीकरण उनके ही पक्ष में है, लेकिन जनता के बीच विकास की भूख ने सारे जातीय समीकरण को ध्वस्त कर दिया था। अपनी पार्टी के नेताओं को अमित शाह ने कहा कि दूसरे वोट की बात छोड़िए, जिस एमवाइ का दावा किया जाता है वह भी बिहार के चुनाव में कायम नहीं रहेगा।

फेल होगी जाति आधारित गणना

बिहार के शीर्ष नेताओं से जाति आधारित गणना पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि वे भी जाति आधारित गणना करा लेते लेकिन पूरे भारत खासकर बिहार के लोग जिस तरह से जाति और उपजाति में बंटे हैं, उसकी गिनती कराना संभव नहीं है। बिहार में एक ही उपनाम वाले पांच जाति के लोग हैं। अगर राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो 32 जातियां निकल कर सामने आ जाती हैं। ऐसे में कंप्यूटर सही गिनती कर ही नहीं पाएगा। अमित शाह ने अपनी पार्टी के नेताओं को कहा कि वे लिखकर रख लें कि बिहार में जाति आधारित गणना कभी सही तरीके से हो ही नहीं सकती है।

लालू क्यों नहीं लाए थे विशेष राज्य का दर्जा

विशेष राज्य के दर्जे पर भी चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार खुद कहते रहे हैं कि लालू केंद्र में इतने ताकतवर मंत्री थे कि आधी रात को कैबिनेट की बैठक बुलाकर बिहार में विधानसभा भंग करा दिया था। उस दौर में लालू यादव ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा क्यों नहीं दिलाया? केंद्र में जब यूपीए की सरकार थी, तभी फैसला लिया गया था कि किसी राज्य को विशेष दर्जा नहीं मिलेगा।


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